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05 Jan 2024
सामान्य अध्ययन पेपर 1
इतिहास
दिवस 41
प्रश्न 2. 19वीं शताब्दी के दौरान भारत में लॉर्ड डलहौजी द्वारा लागू किये गए ‘व्यपगत सिद्धांत’ ने रियासतों को किस प्रकार प्रभावित किया तथा उस समय के राजनीतिक परिदृश्य पर इसके प्रमुख परिणाम क्या हुए थे? (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- उत्तर की शुरुआत एक प्रस्तावना के साथ कीजिये, जो प्रश्न के लिये एक संदर्भ निर्धारित करती है।
- इस नीति का रियासतों पर पड़ने वाले प्रभावों को लिखिये।
- उस समय के राजनीतिक परिदृश्य के लिये इस सिद्धांत के प्रमुख परिणामों को लिखिये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
व्यपगत सिद्धांत को 19वीं शताब्दी के दौरान भारत के गवर्नर-जनरल लॉर्ड डलहौज़ी द्वारा लागू किया गया था। इसने ब्रिटिश सत्ता के केंद्रीकरण और आर्थिक शोषण में योगदान दिया, साथ ही असंतोष के बीज भी बोए, जिसके परिणामस्वरूप अंततः भारत में महत्त्वपूर्ण राजनीतिक परिवर्तन हुए।
मुख्य भाग:
रियासतों पर प्रभाव:
- राज्यों का विलय: व्यपगत सिद्धांत एक ऐसी नीति थी, जिसके माध्यम से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी किसी भी ऐसी रियासत को अपने कब्ज़े में ले सकती थी जिस राज्य के पास कोई प्राकृतिक उत्तराधिकारी न हो।
- इसके कारण सतारा, झाँसी और नागपुर सहित कई राज्यों पर उसका कब्ज़ा हो गया।
- संप्रभुता का क्षरण: रियासतों को पारंपरिक रूप से उत्तराधिकारी को गोद लेने की अनुमति थी, भले ही वह जैविक संतान न हो। इस सिद्धांत में कहा गया है कि दत्तक पुत्र अपने पालक पिता की निजी संपत्ति का उत्तराधिकारी हो सकता है, अपितु राज्य का नहीं।
- यह तय करने की सर्वोच्च शक्ति ब्रिटिश शासन के पास थी कि दत्तक पुत्र को राज्य द्वारा अपनाया जाएगा या संबंधित राज्य को ब्रिटिश शासन के तहत मिला लिया जाएगा, जिससे रियासतों के शासकों की संप्रभुता में कमी देखी गई।
- आर्थिक शोषण: व्यपगत सिद्धांत के तहत रियासतों के विलय के परिणामस्वरूप प्रायः आर्थिक शोषण होता था।
- ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने इन राज्यों की संपत्ति और संसाधनों को ज़ब्त कर लिया, जिससे भारत से ब्रिटेन तक आर्थिक पलायन में वृद्धि हुई।
राजनीतिक परिदृश्य हेतु परिणाम:
- सत्ता का केंद्रीकरण: राज्यों पर कब्ज़ा करके ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने क्षेत्रीय नियंत्रण में वृद्धि की और राजनीतिक अधिकार को मज़बूत किया।
- व्यपगत सिद्धांत ने ब्रिटिश हाथों में सत्ता के केंद्रीकरण में योगदान दिया।
- अविश्वास और आक्रोश: इस नीति के कारण रियासती शासकों और भारतीय जनता के बीच अविश्वास एवं आक्रोश उत्पन्न हुआ।
- कुशासन के बहाने लॉर्ड डलहौज़ी द्वारा अवध पर कब्ज़ा कर लिये जाने से हज़ारों सरदार, अधिकारी, अनुचर और सैनिक बेरोज़गार हो गए।
- वर्ष 1857 के विद्रोह की परिणति: विलय को स्थापित मानदंडों और रीति-रिवाज़ों का उल्लंघन माना गया, जिससे असंतोष तथा ब्रिटिश विरोधी भावना में वृद्धि हुई।
- इन विलय नीतियों ने शिकायतों को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाई, जिसकी परिणति वर्ष 1857 के भारतीय विद्रोह के रूप में हुई।
निष्कर्ष:
व्यपगत सिद्धांत और उसके बाद वर्ष 1857 के भारतीय विद्रोह के आसपास की घटनाओं के कारण ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन समाप्त हो गया। ब्रिटिश क्राउन ने भारत का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया, जिससे शासन में एक महत्त्वपूर्ण बदलाव आया।