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30 Dec 2023
सामान्य अध्ययन पेपर 1
इतिहास
दिवस 36
Q1. विजयनगर साम्राज्य की राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज का विवरण दीजिये। इस साम्राज्य के पतन के प्रमुख कारण कौन से थे? (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- विजयनगर साम्राज्य का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- इस साम्राज्य के अंतर्गत राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज की विशेषताओं पर चर्चा कीजिये।
- उन कारकों की चर्चा कीजिये जिनके कारण इस साम्राज्य का विघटन हुआ था।
- यथोचित निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
वर्ष 1336 ई. में हरिहर और बुक्का द्वारा स्थापित, विजयनगर साम्राज्य उत्तर में कृष्णा नदी से लेकर भारतीय प्रायद्वीप के दक्षिणी बिंदु तक फैला हुआ था। इस साम्राज्य को इसके सांस्कृतिक योगदान, वास्तुशिल्प उत्कृष्टता, धार्मिक सहिष्णुता, आर्थिक समृद्धि एवं दक्षिण भारत के इतिहास और विरासत पर इसके स्थायी प्रभाव द्वारा चिह्नित किया गया था।
मुख्य भाग:
यहाँ विजयनगर साम्राज्य की राजनीति, अर्थव्यवस्था एवं समाज का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:
- राजनीति:
- केंद्रीकृत सत्ता: विजयनगर के शासकों में राजत्व की अवधारणा काफी अधिक थी।
- इस साम्राज्य की एक केंद्रीकृत राजनीतिक संरचना थी जिसके शीर्ष पर एक शक्तिशाली शासक था।
- प्रशासनिक पदानुक्रम: शासन को प्रशासनिक इकाइयों में संगठित किया गया था, प्रत्येक का नेतृत्व राजस्व संग्रह, कानून और व्यवस्था तथा स्थानीय प्रशासन के लिये ज़िम्मेदार अधिकारी करते थे।
- राज्य को मंडलम (प्रांत) में विभाजित किया गया था, जिसके नीचे नाडु (ज़िला), स्थल (उपज़िला) और ग्राम (गाँव) थे।
- सैन्य शक्ति: इस साम्राज्य की सीमाओं की रक्षा के लिये एक सुव्यवस्थित सेना थी जो राजनीतिक स्थिरता में योगदान देती थी।
- अमर-नायक (सैन्य कमांडर) प्रणाली विजयनगर साम्राज्य का एक प्रमुख राजनीतिक नवाचार था।
- केंद्रीकृत सत्ता: विजयनगर के शासकों में राजत्व की अवधारणा काफी अधिक थी।
- अर्थव्यवस्था:
- कृषि समृद्धि: व्यापक कृषि पद्धतियों एवं उन्नत सिंचाई प्रणाली द्वारा इसकी आर्थिक समृद्धि में योगदान मिला।
- हिरिया नहर में तुंगभद्रा नदी पर स्थित एक बाँध द्वारा जल प्राप्त होता था जिससे सिंचाई की सुविधा मिलती थी।
- रणनीतिक व्यापार स्थान: प्रमुख व्यापार मार्गों पर इस साम्राज्य की रणनीतिक स्थिति तथा प्रमुख बंदरगाहों पर नियंत्रण से व्यापार सुविधाजनक हुआ, जिससे आर्थिक विकास में योगदान मिला।
- विजयनगर मसालों, वस्त्रों, कीमती पत्थरों एवं आभूषणों के लिये प्रसिद्ध था।
- वाणिज्य केंद्र: हम्पी (विजयनगर साम्राज्य की राजधानी) वाणिज्य का एक संपन्न केंद्र बन गया, जो विभिन्न क्षेत्रों के व्यापारियों को आकर्षित करता था।
- कृषि समृद्धि: व्यापक कृषि पद्धतियों एवं उन्नत सिंचाई प्रणाली द्वारा इसकी आर्थिक समृद्धि में योगदान मिला।
- समाज:
- मंदिर वास्तुकला: यहाँ के शासकों ने विशिष्ट विजयनगर शैली में प्रभावशाली मंदिरों और स्मारकों के निर्माण को संरक्षण दिया था।
- कृष्णदेवराय ने विजय महल, हज़ारा राम मंदिर और विट्ठल स्वामी मंदिर का निर्माण कराया था।
- साहित्य: इस अवधि में संस्कृत, कन्नड़ और तेलुगू सहित विभिन्न भाषाओं में साहित्य का विकास देखा गया था।
- अष्टदिग्गज कृष्णदेवराय के दरबार में आठ महान तेलुगू विद्वानों और कवियों को दी जाने वाली सामूहिक उपाधि थी।
- सामाजिक स्तरीकरण: यहाँ का समाज स्तरीकृत था जिसमें अभिजात वर्ग, व्यापारी, किसान और कारीगर अलग-अलग वर्ग मौजूद थे।
- मंदिर वास्तुकला: यहाँ के शासकों ने विशिष्ट विजयनगर शैली में प्रभावशाली मंदिरों और स्मारकों के निर्माण को संरक्षण दिया था।
इसके विघटन हेतु अग्रणी कारक:
विजयनगर साम्राज्य को कई आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था जिसके कारण अंततः उसका विघटन हुआ था।
- तालीकोटा का युद्ध (1565): दक्कन सल्तनत, जिसमें बीजापुर, अहमदनगर, गोलकुंडा और बीदर की सेनाएँ शामिल थीं, ने विजयनगर की सेनाओं को हराया था।
- इस युद्ध के बाद राजधानी हम्पी का विनाश, इस साम्राज्य के लिये एक निर्णायक मोड़ था।
- क्षेत्रीय विखंडन: तालीकोटा की लड़ाई के परिणामस्वरूप साम्राज्य छोटी-छोटी रियासतों में विखंडित हो गया।
- आर्थिक कमज़ोरी: प्रमुख बंदरगाहों की हानि एवं व्यापारिक मार्गों पर विजयनगर के प्रभाव में कमीं आने से आर्थिक कमज़ोरी के साथ संसाधनों में कमी आई।
- दक्कन सल्तनत के आक्रमण: दक्कन सल्तनत के खतरों के साथ-साथ मुगल विस्तार ने विजयनगर साम्राज्य पर काफी दबाव डाला।
निष्कर्ष:
अपनी उल्लेखनीय उपलब्धियों के बावजूद विजयनगर साम्राज्य आंतरिक संघर्षों एवं भू-राजनीतिक बदलावों से प्रभावित हुआ। इस महान साम्राज्य के विघटन से दक्षिणी भारत के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण मोड़ आया, जिससे नई क्षेत्रीय शक्तियों के उद्भव का मार्ग प्रशस्त हुआ तथा दक्कन के क्षेत्र को नया आयाम मिला।