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Sambhav-2024

  • 26 Dec 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    दिवस 32

    Q2. भारत के सामाजिक-राजनीतिक एवं सांस्कृतिक पहलुओं पर हिंद-यवन आक्रमणों के प्रभाव का परीक्षण कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • प्रश्न के संदर्भ को ध्यान में रखते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • भारत के सामाजिक-राजनीतिक पहलुओं पर हिंद-यवन आक्रमणों के प्रभाव पर चर्चा कीजिये।
    • भारत के सांस्कृतिक पहलुओं पर हिंद-यवन आक्रमणों के प्रभाव की चर्चा कीजिये।
    • यथोचित निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    लगभग 200 ईसा पूर्व में शुरू हुए हिंद-यवन आक्रमणों का भारत के सामाजिक-राजनीतिक एवं सांस्कृतिक पहलुओं पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा था। यूनानी और भारतीय सभ्यताओं के बीच परस्पर क्रिया द्वारा चिह्नित इन आक्रमणों से विभिन्न क्षेत्रों में परिवर्तन आए।

    मुख्य भाग:

    कुछ प्रमुख सामाजिक-राजनीतिक प्रभाव:

    प्रशासनिक प्रभाव:

    कुछ हिंद-यवन शासकों ने यवन और स्थानीय प्रशासनिक प्रथाओं को मिलाकर भारतीय राजनीतिक प्रशासन के कुछ पहलुओं को अपनाया। इस एकीकरण ने स्थानीय सरकारों के संगठन एवं प्रांतों के प्रशासन को प्रभावित किया।

    सैन्य तकनीकें:

    यूनानी सैन्य उपस्थिति से नई सैन्य तकनीकों और रणनीतियों की शुरुआत हुई। भारतीय शासकों ने इनमें से कुछ युक्तियों को अपनाया, जिससे इस क्षेत्र में नवीन सैन्य प्रथाओं के विकास में योगदान मिला।

    मध्य भारत में यूनानियों और शुंगों के बीच युद्ध का विवरण कालिदास के नाटक मालविकाग्निमित्रम में मिलता है।

    सिक्का निर्माण और अर्थव्यवस्था:

    इंडो-ग्रीक शासकों ने ग्रीक और भारतीय भाषाओं को मिलाकर द्विभाषी शिलालेखों के साथ नए सिक्के चलाए। इसका व्यापार और आर्थिक आदान-प्रदान पर प्रभाव पड़ा, जिससे ग्रीक और भारतीय व्यापारियों के बीच लेनदेन के लिए एक सामान्य माध्यम उपलब्ध हो गया।

    शहरीकरण और व्यापार:

    इंडो-ग्रीक उपस्थिति ने शहरी केंद्रों और व्यापार मार्गों के विकास में योगदान दिया। यूनानी उपनिवेशों की स्थापना और व्यापार नेटवर्क के प्रचार ने आर्थिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाया।

    कुछ प्रमुख सांस्कृतिक प्रभाव:

    • सांस्कृतिक विनियमन:
      • हिंद-यवन समन्वय से सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा मिला। यूनानी और भारतीय संस्कृतियाँ आपस में घुल-मिल गईं, जिससे कलात्मक, स्थापत्य और दार्शनिक तत्वों का संश्लेषण हुआ।
    • कला और वास्तुकला:
      • गांधार कला शैली हिंद-यूनानी प्रभाव की एक महत्वपूर्ण विरासत है। इसमें भारतीय विषयों के साथ ग्रीक कलात्मक शैलियों का एक अनूठा मिश्रण दिखाया गया है, जिसमें दोनों परंपराओं के दृश्यों को दर्शाया गया है।
    • धार्मिक समन्वयवाद:
      • इस समन्वय ने कुछ हद तक धार्मिक समन्वयवाद को बढ़ावा दिया। यूनानियों ने अपनी हेलेनिस्टिक धार्मिक प्रथाओं को बनाए रखा लेकिन उन्होंने भारतीय धर्मों के विभिन्न पहलुओं को भी अपनाया।
      • यूनानी राजदूत हेलियोडोरस ने मध्य प्रदेश में विदिसा के पास बेसनगर में वासुदेव के सम्मान में एक स्तंभ स्थापित किया।
    • भाषा और साहित्य:
      • इस दौरान ग्रीक और भारतीय भाषाएँ सह-अस्तित्व में थीं तथा इन्होंने एक-दूसरे को प्रभावित किया था। ग्रीक और भारतीय विषयों के मिश्रण को दर्शाने वाले द्विभाषी शिलालेख और साहित्यिक कृतियाँ इन अंतःक्रियाओं के भाषाई प्रभाव को प्रदर्शित करती हैं।
      • मिलिंद-पन्हों (बौद्ध सिद्धांत पर एक जीवंत संवाद) में दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व के अंत में एक बड़े हिंद-यवन साम्राज्य के यूनानी शासक राजा मिलिंद और बौद्ध भिक्षु नागसेन के बीच का संवाद है।

    निष्कर्ष:

    अपने अपेक्षाकृत अल्पकालिक शासन के बावजूद, हिंद-यूनानियों ने भारतीय उपमहाद्वीप की सांस्कृतिक विरासत पर एक स्थायी प्रभाव छोड़ा। सांस्कृतिक समन्वय और आदान-प्रदान के बावजूद हिंद-यवन साम्राज्यों के क्रमिक पतन के परिणामस्वरूप भारतीय सांस्कृतिक पहलुओं में उनका एकीकरण हुआ। इस काल की विरासत आज भी देश में समकालीन कलात्मक, स्थापत्य और भाषाई तत्वों में स्पष्ट देखने को मिलती है।

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