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13 Dec 2023
सामान्य अध्ययन पेपर 1
संस्कृति
दिवस 21
Q1. भारत में मंदिर वास्तुकला की नागर शैली की मुख्य विशेषताओं तथा इसकी क्षेत्रीय विविधताओं पर चर्चा कीजिये। इस शैली में निर्मित कुछ प्रमुख मंदिरों के उदाहरण दीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- नागर शैली को प्रमुख स्थापत्य शैली के रूप में प्रस्तुत करते हुए इसकी विशेषताओं को बताइये।
- नागर शैली की क्षेत्रीय विविधताओं को बताते हुए इसके कुछ उदाहरणों पर चर्चा कीजिये।
- भारत की स्थापत्य विरासत में नागर शैली की वास्तुकला के योगदान पर बल देते हुए निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
मंदिर वास्तुकला की नागर शैली भारत के उत्तरी और पश्चिमी भागों में प्रचलित है। इसकी विशेषता में इसके ऊँचे, पिरामिडनुमा टॉवर शामिल हैं जिन्हें शिखर कहा जाता है। इनके शीर्ष पर कलश होता है। नागर मंदिर आमतौर पर एक ऊँचे मंच पर बनाए गए हैं और इसमें गर्भगृह हमेशा सबसे ऊँचे टॉवर के ठीक नीचे होता है। शिखर के आकार के आधार पर नागर मंदिरों को कई रूपों में वर्गीकृत किया गया है जैसे: रेखा-प्रसाद, शेखरी, भूमिजा, वल्लभी और फमसाना।
मुख्य भाग:
नागर शैली की कुछ क्षेत्रीय विविधताएँ:
- ओडिशा शैली: शीर्ष पर शिखर (देउल) अंदर की ओर मुड़ने से पहले लंबवत उभरा हुआ दिखता है। इसका आधार वर्गाकार होने के साथ ऊपरी भाग गोलाकार होता है। मंदिरों के बाहरी हिस्से में जटिल नक्काशी की गई है और आमतौर पर अंदरूनी हिस्से साधारण रखे गए हैं। उदाहरण: लिंगराज मंदिर, कोणार्क सूर्य मंदिर, जगन्नाथ मंदिर।
- खजुराहो शैली: यह मंदिर अपनी कामुक मूर्तियों तथा विस्तृत अलंकरण के लिये प्रसिद्ध हैं। इसमें शेखरी प्रकार का शिखर होता है जिसमें एक मुख्य शिखर तथा किनारों एवं कोनों पर छोटे शिखर शामिल हैं। यह मंदिर एक ऊँचे मंच पर बना है और गर्भगृह के सामने एक मंडप (हॉल) होता है। उदाहरण: कंदरिया महादेव मंदिर, लक्ष्मण मंदिर, चौसठ योगिनी मंदिर।
- सोलंकी शैली: यह मंदिर नागर और द्रविड़ दोनों शैलियों से प्रभावित हैं। इनका शिखर भूमिजा प्रकार का है, इनमें एक केंद्रीय शिखर तथा किनारों पर लघु शिखर होते हैं। मंदिरों में विस्तृत नक्काशी और मूर्तियाँ शामिल हैं तथा सामान्यतः इनके प्रवेश द्वार पर एक तोरण (धनुषाकार प्रवेश द्वार) होता है। उदाहरण: मोढेरा का सूर्य मंदिर, रुद्र महालय मंदिर, दिलवाड़ा मंदिर।
नागर शैली के मंदिरों के कुछ अन्य उदाहरण:
- राम मंदिर, अयोध्या: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में स्थित यह भव्य मंदिर भगवान राम को समर्पित है। इसे मंदिर वास्तुकला की नागर शैली में डिज़ाइन किया गया है, इसके ऊँचे शिखर इसकी प्रमुख विशेषता है।
- तेली का मंदिर, ग्वालियर: 9वीं शताब्दी में वल्लभी शैली में निर्मित इस मंदिर का आधार आयताकार होने के साथ इसमें बैरल-वॉल्ट छत देखने को मिलती है।
- उदयेश्वर मंदिर, उदयपुर: भूमिजा शैली में निर्मित 11वीं शताब्दी के इस मंदिर का आधार वर्गाकार होने के साथ इसमें कई शिखरों वाली पिरामिडनुमा छत देखने को मिलती है।
- जगमोहन, कोणार्क मंदिर: फमसाना शैली में बना 13वीं शताब्दी के इस मंदिर का आधार आयताकार होने के साथ इसमें कई स्लैबों वाली एक छत हल्के ढलान में ऊपर की ओर उभरी हुई प्रतीत होती है।
निष्कर्ष:
भारत में मंदिर वास्तुकला की नागर शैली की विशेषताओं में ऊँचे शिखर, जटिल नक्काशी के साथ क्षेत्रीय विविधताएँ शामिल हैं। इस शैली ने उत्तरी और पश्चिमी भारत में कई शानदार मंदिरों के निर्माण में योगदान दिया है, जिनमें से प्रत्येक की अपनी अनूठी विशेषताएँ और सांस्कृतिक महत्त्व है।