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28 Jan 2023
सामान्य अध्ययन पेपर 1
भूगोल
दिवस- 70
प्रश्न.1 आधुनिक समय में हिमालय केवल छद्म रक्षात्मक अवरोध बनकर रह गया है। क्या आप इससे सहमत हैं? अपने विचार स्पष्ट कीजिये। (250 शब्द)
प्रश्न.2 वृहद-विविधता (macro-variation) के आधार पर भारत की भौगोलिक विशेषताओं पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
उत्तर: 1
हल करने का दृष्टिकोण:
- हिमालय को छद्म रक्षात्मक अवरोध बताते हुए अपना उत्तर शुरू कीजिये।
- प्राकृतिक अवरोध के रूप में हिमालय के महत्त्व को प्रभावित करने वाले कारकों की व्याख्या कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
- हिमालय ने ऐतिहासिक रूप से विभिन्न क्षेत्रों और संस्कृतियों के बीच एक अवरोध के रूप में कार्य किया है लेकिन आधुनिक समय में परिवहन और संचार की सुलभता ने रक्षात्मक अवरोध के रूप में इसकी प्रभावशीलता को कम किया है।
- सड़कों, रेलवे और हवाई अड्डों जैसी आधुनिक परिवहन की सुविधाओं के विकास से लोगों और वस्तुओं की हिमालय क्षेत्र में आवाजाही आसान हुई है।
मुख्य भाग:
- प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रगति होने से पहाड़ों में संचार सुलभ हुआ है जिससे अवरोध के रूप में इनकी प्रभावशीलता कम हुई है।
- हालांकि स्थलाकृति और जलवायु के मामले में हिमालय अभी भी दुर्गम है जिससे सैन्य बलों के लिये इसे पार करना मुश्किल हो जाता है।
- अधिक ऊँचाई और जटिल मौसम परिस्थिति, सैनिकों के लिये इन क्षेत्रों में काम करना चुनौतीपूर्ण बना देती हैं जिससे सैन्य अभियान में अवरोध हो सकता है।
- इसके अतिरिक्त हिमालय का महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिकी और सांस्कृतिक मूल्य है जिससे यह क्षेत्र अतिविकास और विनाश से संरक्षित है।
- यह पर्वत श्रृंखला कई लुप्तप्राय प्रजातियों का आवास स्थल है और यह मीठे पानी का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत भी है।
- हिमालय कई स्थानीय समुदायों का भी आवास स्थल है जिनका जीवन और संस्कृति पहाड़ों के चुनौतीपूर्ण क्षेत्र द्वारा विकसित और संरक्षित है।
निष्कर्ष:
हिमालय पारंपरिक रक्षात्मक अवरोध के रूप में बना नहीं रह सकता है लेकिन यह पारिस्थितिक और सांस्कृतिक संसाधनों को संरक्षित करने वाला महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक अवरोध बना हुआ है। यह भी ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि सीमा विवाद और विभिन्न क्षेत्रों पर दावे किये जाने के क्रम में हिमालय, भारत और चीन के बीच भू-राजनीतिक तनाव का प्रमुख क्षेत्र बना हुआ है।
उत्तर: 2
हल करने का दृष्टिकोण:
- भौगोलिक विशेषताओं का परिचय देते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- भारत की विभिन्न भौगोलिक विशेषताओं की व्याख्या कीजिये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
- भौगोलिक विशेषताओं का तात्पर्य किसी क्षेत्र की प्राकृतिक भू-आकृति और स्थलाकृति है।
- इसमें पहाड़, घाटियाँ, पठार, नदियाँ, झीलें, और तट रेखाएँ शामिल हैं। ये भूगर्भीय प्रक्रियाओं और जलवायु द्वारा विकसित होती हैं जिनमें एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में बहुत भिन्नता हो सकती है।
मुख्य भाग:
- उत्तरी पर्वत:
- भारत के उत्तरी भाग में हिमालय पर्वत श्रृंखला अवस्थित है जो विश्व की सबसे ऊँची और सबसे नई पर्वत श्रृंखला है।
- हिमालय में विश्व की कुछ सबसे ऊँची चोटियाँ हैं जिसमें माउंट एवरेस्ट भी शामिल है, जो दुनिया की सबसे ऊँची चोटी है।
- हिमालय एक अवरोध के रूप में भी कार्य करता है। यह उत्तर से आने वाली ठंडी हवाओं को रोकता है और भारत के उत्तरी क्षेत्रों के लिये स्थिर जलवायु प्रदान करता है।
- उत्तरी मैदान:
- भारत के उत्तरी मैदानों का निर्माण गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु जैसी प्रमुख नदियों द्वारा लाई गई जलोढ़ मृदा से हुआ है।
- इन नदियों से समतल और उपजाऊ क्षेत्र का विकास हुआ है जो कृषि के लिये आदर्श है। यह क्षेत्र विश्व के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है।
- प्रायद्वीपीय पठार:
- भारत के दक्षिणी भाग में दक्कन का पठार है जो आग्नेय और रूपांतरित चट्टानों से बना हुआ है।
- इस पठार की ऊँचाई में भिन्नता के साथ यहाँ खड़ी ढलानों और गहरी घाटियों की विद्यमानता है।
- इस पठार में कई पहाड़ी श्रृंखलाएँ हैं जिनमें पश्चिमी घाट और पूर्वी घाट शामिल हैं।
- तटीय मैदान:
- अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के साथ भारत की एक लंबी तटरेखा है।
- यह तटीय मैदान संकीर्ण हैं और इसमें रेतीले समुद्री तटों, ज्वारनदमुख, लैगून और मैंग्रोव की विद्यमानता है।
- यह क्षेत्र जैव विविधता से समृद्ध है और यहाँ पौधों और जानवरों की विविध प्राजातियाँ मिलती हैं।
- द्वीपीय क्षेत्र:
- भारत में कई द्वीप भी शामिल हैं जैसे अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप।
- इन द्वीपों में प्रवाल भित्तियों, मैंग्रोव और उष्णकटिबंधीय वर्षावनों की विद्यमानता है।
निष्कर्ष:
एक देश के रूप में भारतीय उपमहाद्वीप में हिमालय की ध्रुवीय बर्फ की चोटियों से लेकर थार के रेतीले रेगिस्तान तक लगभग सभी जलवायु विशेषताएँ मिलती हैं। भारत की विभिन्न भौगोलिक विशेषताओं से विविध प्रकार की सामाजिक-आर्थिक और भौगोलिक विशिष्टताएँ विकसित हुई हैं।