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विविध

जुलाई 2024

  • 13 Sep 2024
  • 17 min read

PRS के प्रमुख हाइलाइट्स:

  • केंद्रीय बजट 2024-25
    • केंद्रीय बजट 2024-25 
  • मैक्रोइकोनॉमिक विकास
    • आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24
  • वित्त
    • ऐच्छिक और बड़े डिफॉल्टरों से निपटने के लिये दिशा-निर्देश
    • धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन पर मास्टर दिशा-निर्देश जारी
  • शिक्षा
    • स्वतंत्र निकाय का गठन
  • मीडिया एवं प्रसारण
    • प्रसारण और केबल सेवाओं के लिये नियामक फ्रेमवर्क में संशोधन
  • खान
    • खानों और खनिजों पर कर लगाने की राज्य की शक्ति को बरकरार 
  • नवीन एवं अक्षय ऊर्जा
    • प्रोत्साहन योजना को लागू करने हेतु दिशा-निर्देश
    • राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के वित्तपोषण हेतु दिशा-निर्देश
  • पर्यावरण
    • पर्यावरण (संरक्षण) नियम, 1986 में संशोधन
  • रक्षा
    • पाँचवीं सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची

  केंद्रीय बजट 2024-25  

केंद्रीय बजट 2024-25 

वित्त मंत्री ने 23 जुलाई, 2024 को 2024-25 का केंद्रीय बजट प्रस्तुत किया।

  • कर प्रस्ताव: सूचीबद्ध इक्विटी शेयरों, इक्विटी म्यूचुअल फंडों और REIT/INVIT पर अल्पकालिक पूंजीगत लाभ कर को 15% से बढ़ाकर 20% करने का प्रस्ताव है।
  • सभी परिसंपत्ति श्रेणियों पर 12.5% ​​की दर से दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर लगाया जाएगा।
  • संपत्ति, सोना और अन्य गैर-सूचीबद्ध परिसंपत्तियों के लिये दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ की गणना हेतु सूचकांक को हटा दिया जाएगा।
  • आयकर स्लैब: नई कर व्यवस्था के तहत आयकर स्लैब को संशोधित किया गया है।
  • वेतनभोगी व्यक्तियों और पेंशनभोगियों के लिये मानक कटौती को 50,000 रुपए से बढ़ाकर 75,000 रुपए करने का प्रस्ताव है।
  • एंजल टैक्स: गैर-सूचीबद्ध फंडों पर उनके शेयरों के अंकित मूल्य से अधिक राशि पर लगने वाला एंजल टैक्स हटा दिया गया है।
  • नीति प्रस्ताव:
    • अगले पाँच वर्षों में 20 लाख युवाओं को कौशल प्रदान करने की योजना शुरू की जाएगी।
    • रोज़गार को बढ़ावा देने और श्रमबल की भागीदारी बढ़ाने के लिये तीन योजनाओं की घोषणा की गई।
    • इस वर्ष नई राजधानी के लिये आंध्र प्रदेश को 15,000 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता दी जाएगी।

  मैक्रोइकोनॉमिक विकास  

आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 

वित्त मंत्री ने 22 जुलाई, 2024 को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 प्रस्तुत किया।

सर्वेक्षण के मुख्य बिंदुओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • सकल घरेलू उत्पाद (GDP): आर्थिक सर्वेक्षण में 2024-25 में 6.5%-7% की वास्तविक GDP वृद्धि का अनुमान लगाया गया है।
  • वर्ष 2024-25 में मज़बूत घरेलू निवेश मांग, बेहतर कृषि प्रदर्शन और माल एवं सेवाओं के निर्यात में वृद्धि के कारण अधिक विकास की उम्मीद है।
  • मुद्रास्फीति: वर्ष 2023-24 में खुदरा मुद्रास्फीति 5.4% थी। कोविड-19 महामारी के बाद यह सबसे निचला स्तर है। 
  • क्षेत्रीय विकास: भारत के कृषि क्षेत्र ने पिछले पाँच वर्षों में 4.2% की वार्षिक औसत वृद्धि दर दर्ज की है।
  • वर्ष 2023-24 में औद्योगिक क्षेत्र में 9.5% की वृद्धि हुई। 
  • वर्ष 2023-24 में भारत की अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र का हिस्सा 55% है।
  • इंफ्रास्ट्रक्चर: सड़क और रेलवे जैसे क्षेत्रों पर ध्यान देने के साथ केंद्र सरकार के पूंजीगत व्यय में वर्ष 2019-20 की तुलना में वर्ष 2023-24 में तीन गुना वृद्धि देखी गई।
  • ऋण: बढ़ती ब्याज दरों और बजट से कम नॉमिनल GDP वृद्धि के कारण वर्ष 2023-24 में सामान्य सरकारी ऋण-जीडीपी अनुपात थोड़ा बढ़ गया।

  वित्त  

ऐच्छिक और बड़े डिफॉल्टरों से निपटने के लिये दिशा-निर्देश

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने RBI (ऐच्छिक डिफॉल्टर्स और बड़े डिफॉल्टर्स से निपटना) दिशा-निर्देश, 2024 जारी किये।
    • दिशा-निर्देश उधारदाताओं द्वारा उधारकर्त्ता को ऐच्छिक डिफॉल्टर के रूप में वर्गीकृत करने के लिये एक प्रक्रिया प्रदान करते हैं। प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
  • ऐच्छिक डिफॉल्टर: एक ऐच्छिक डिफॉल्टर का अर्थ है: 
    • एक उधारकर्त्ता या एक गारंटर जिसने जानबूझकर कम-से-कम 25 लाख रुपए या उससे अधिक की राशि, जिसे RBI अधिसूचित करे, का डिफॉल्ट किया है
    • अगर डिफॉल्टर कोई कंपनी है तो उस समय उससे संबंधित प्रमोटर और निदेशक
    • कंपनियों के अलावा किसी इकाई के प्रबंधन के लिये ज़िम्मेदार व्यक्ति और उसके प्रभारी। 
  • बड़े डिफॉल्टर का अर्थ ऐसे डिफॉल्टर हैं जिन पर कम-से-कम एक करोड़ रुपए की बकाया राशि है और जिसके खाते को संदिग्ध या लॉस एकाउंट के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन पर मास्टर दिशा-निर्देश जारी

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन पर तीन संशोधित मास्टर दिशा-निर्देश जारी किये।  
  • ये निर्देश निम्नलिखित पर लागू होते हैं: 
    • वाणिज्यिक बैंक और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान
    • सहकारी बैंक
    • गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियाँ। 
  • मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
    • धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन संरचना: विनियमित संस्थाओं के पास धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन पर उनके संबंधित बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति होनी चाहिये। 
  • नीति में निम्नलिखित प्रावधान होने चाहिये:
    • उस व्यक्ति को विस्तृत कारण बताओ नोटिस जारी करना जिसके खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप की जाँच की जा रही है।
    • व्यक्ति को नोटिस का जवाब देने के लिये कम-से-कम 21 दिन का समय।
    • खाते को धोखाधड़ी के रूप में वर्गीकृत करने के निर्णय के संबंध में व्यक्ति को एक तर्कसंगत आदेश देना। 
      • तीन वर्ष में कम-से-कम एक बार इस नीति की समीक्षा की जानी चाहिये।  
  • धोखाधड़ी का जल्द पता लगाना: वाणिज्यिक बैंकों, कुछ सहकारी बैंकों और मध्य और ऊपरी स्तर की NBFC के पास फ्रॉड रिस्क मैनेजमेंट नीति के तहत प्रारंभिक चेतावनी संकेतों की एक रूपरेखा होनी चाहिये। 
  • धोखाधड़ी वाले खातों का उपचार: रेड फ्लैग वाले खातों या धोखाधड़ी के संदेह के मामले में, विनियमित संस्थाओं को अपनी नीति के अनुसार बाह्य या आंतरिक ऑडिट करना होगा।

  शिक्षा  

स्वतंत्र निकाय का गठन

  • शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 (National Education Policy- NEP) के कुशल कार्यान्वयन पर सरकार को सलाह देने के लिये शिक्षा सलाहकार परिषद का गठन किया है।
  • परिषद निम्नलिखित कार्य करेगी:
    • स्कूल और उच्च शिक्षा में एनईपी को लागू करने के लिए एक व्यापक रोडमैप विकसित करेगी।
    • वर्तमान कार्यक्रमों का विश्लेषण करेगी और पाठ्यक्रम सुधार के उपायों का सुझाव देगी।
    • केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड को पुनर्जीवित करने के उपायों पर सुझाव देगी। 
    • परिषद मंत्रालय या शिक्षा से जुड़े अन्य संस्थानों को उन क्षेत्रों के संबंध में भी सलाह देगी, जिन पर उन्हें इनपुट की आवश्यकता है।

  मीडिया एवं प्रसारण  

प्रसारण और केबल सेवाओं के लिये नियामक फ्रेमवर्क में संशोधन

भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India- TRAI) ने प्रसारकों के लिये टैरिफ आदेश, इंटरकनेक्शन विनियम और सेवा गुणवत्ता विनियम में संशोधन किया है।

  • संशोधित नियमों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
  • शुल्क में परिवर्तन: ब्रॉडकास्टर्स द्वारा सब्सक्राइबर से नेटवर्क कैपेसिटी फीस (Network Capacity Fees- NCF) वसूलने की अधिकतम सीमा हटा दी गई है।
  • दंड: संशोधित विनियामक ढाँचे में प्रावधानों के उल्लंघन के लिये वित्तीय दंड का भी प्रावधान है।
  • कैरिज फीस में बदलाव: कैरिज फीस की गणना करने की विधि को सरल बनाया गया है।
  • सेवा की गुणवत्ता (QoS) में संशोधन: विनियामक ढाँचे में विभिन्न QoS मानकों में संशोधन किया गया है। इंस्टॉलेशन, एक्टिवेशन और रिलोकेशन जैसी सेवाओं के लिए शुल्क को नियंत्रणमुक्त कर दिया गया है।

  खान  

खानों और खनिजों पर कर लगाने की राज्य की शक्ति को बरकरार 

  • 8:1 के बहुमत के साथ सर्वोच्च न्यायालय ने खनिज वहन करने वाली भूमि पर कर लगाने की राज्यों की शक्ति को बरकरार रखा है।  
  • भारत में खानों और खनिजों को मुख्य रूप से खान तथा खनिज (विकास और विनियमन) (MMDR) अधिनियम, 1957 के द्वारा विनियमित किया जाता है।
  • न्यायालय ने कहा कि रॉयल्टी कोई कर नहीं है। यह एक भुगतान है जो खनिज अधिकारों का इस्तेमाल करने के लिये संविदात्मक दायित्व से उत्पन्न होता है।
  • न्यायालय ने यह भी माना कि बेशक, संसद के पास खान और खनन गतिविधियों को विनियमित करने की शक्ति है, लेकिन यह शक्ति, खनिज अधिकारों पर कर लगाने की राज्य की शक्ति का स्थान नहीं ले सकती।
  • न्यायालय ने यह भी कहा कि भूमि पर कर लगाने की राज्यों की शक्ति खानों और खदानों तक विस्तारित है। ऐसी भूमि पर खनिज मूल्य या उत्पाद के आधार पर कर लगाया जा सकता है। 

  नवीन एवं अक्षय ऊर्जा  

प्रोत्साहन योजना को लागू करने हेतु दिशा-निर्देश

  • यह योजना हरित हाइड्रोजन संक्रमण कार्यक्रम (Strategic Interventions for Green Hydrogen Transition Programme- SIGHT) के लिये रणनीतिक हस्तक्षेप का एक घटक है।
  • यह कार्यक्रम भारत में इलेक्ट्रोलाइज़र और हरित हाइड्रोजन के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये वित्तीय प्रोत्साहन तंत्र प्रदान करता है।
  • दिशा-निर्देश की मुख्य विशेषताओं में शामिल हैं:
    • योजना की संरचना: दूसरी किश्त 4,50,000 मीट्रिक टन (मीट्रिक टन) हरित हाइड्रोजन की उत्पादन क्षमता आवंटित करती है।
    • उत्पादन के लिये प्रोत्साहन: एगोनिस्टिक पाथवे के माध्यम से उत्पादन के लिये न्यूनतम बोली 10,000 मीट्रिक टन है जबकि अधिकतम बोली की अनुमति 90,000 मीट्रिक टन है। 
    • बोलीकर्त्ता की पात्रता: बोली प्रक्रिया में भाग लेने के लिये बोलीकर्त्ता की कुल संपत्ति टेक्नोलॉजी एग्नोस्टिक पाथवे के तहत उद्धृत उत्पादन क्षमता के प्रति वर्ष 15 करोड़ रुपए प्रति हज़ार मीट्रिक टन से अधिक होनी चाहिये। 

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत टेस्टिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के वित्तपोषण हेतु दिशा-निर्देश 

  • ग्रीन हाइड्रोजन मिशन का उद्देश्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और इसके व्युत्पन्नों के उत्पादन, उपयोग और निर्यात का वैश्विक केंद्र बनाना है।
    • इस योजना के लिये वर्ष 2025-26 तक कुल 200 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं।
  • परीक्षण अवसंरचना को समर्थन देने की योजना में निम्नलिखित शामिल होंगे:
    • मौजूदा टेस्टिंग केंद्रों की कमी को चिह्नित करेगी, उनके अपग्रेडेशन के लिये धनराशि देगी और टेस्टिंग हेतु नए केंद्र बनाएगी।
    • हरित हाइड्रोजन के उत्पादन में उपयोग की जाने वाली प्रौद्योगिकियों को मान्य और प्रामाणित करेगी।
    • विश्व स्तरीय टेस्टिंग केंद्रों की स्थापना हेतु निजी और सरकारी भागीदारी को प्रोत्साहित करेगी।

इस योजना का क्रियान्वयन राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान द्वारा किया जाएगा।


  पर्यावरण  

पर्यावरण (संरक्षण) नियम, 1986 में संशोधन

ये नियम पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के अंतर्गत जारी किये गए हैं। इस अधिनियम को जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) अधिनियम, 2023 द्वारा संशोधित किया गया। 2023 अधिनियम ने 1986 अधिनियम के तहत कुछ अपराधों को अपराध की श्रेणी से हटा दिया।

  • इनमें निर्धारित मानकों से अधिक प्रदूषक उत्सर्जित करना, अपेक्षित सूचना न देना तथा अधिनियम के तहत जारी निर्देशों का उल्लंघन करना शामिल है।
  • इसमें अपराधों के न्यायनिर्णयन और दंड निर्धारण के लिये एक न्यायनिर्णयन अधिकारी की नियुक्ति का प्रावधान है।
  • यह पर्यावरण संरक्षण कोष की भी स्थापना करता है।
  • पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के अंतर्गत लगाए गए ज़ुर्माने इस कोष में जमा किये जाएंगे।
  • मसौदा नियमों का उद्देश्य इन प्रावधानों को प्रभावी बनाना है।

  रक्षा  

पाँचवीं सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची

रक्षा मंत्रालय ने 346 वस्तुओं वाली पाँचवीं सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची अधिसूचित की है। इन वस्तुओं में विभिन्न प्रणालियाँ, उप-प्रणालियाँ, पुर्जे और कच्चे माल शामिल हैं, जिनका चरणबद्ध तरीके से स्वदेशीकरण किया जाएगा। इनका कुल आयात प्रतिस्थापन मूल्य 1,048 करोड़ रुपए है। इन वस्तुओं का उत्पादन रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा घरेलू स्तर पर किया जाएगा।

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