सितंबर 2022 | 06 Oct 2022
PRS के प्रमुख हाइलाइट्स
- गृह मामले
- आपराधिक दंड प्रक्रिया (पहचान) नियम, 2022
- संचार
- भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022
- वित्त
- डिजिटल ऋण पर दिशा-निर्देश
- वाणिज्य
- राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति, 2022
- शिक्षा
- पीएम श्री स्कूल
- पर्यावरण
- ताप विद्युत संयंत्रों के उत्सर्जन
- ऊर्जा
- उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन योजना
- राष्ट्रीय विद्युत उत्पादन योजना
- खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण
- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना
गृह मामले
आपराधिक दंड प्रक्रिया (पहचान) नियम, 2022
गृह मंत्रालय ने आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) अधिनियम, 2022 के तहत आपराधिक प्रक्रिया (पहचान) नियम, 2022 को अधिसूचित किया। अधिनियम पुलिस या जेल अधिकारियों को दोषियों या अपराध के लिये गिरफ्तार किये गए लोगों से कुछ पहचान योग्य जानकारी (जैसे उंगलियों के निशान, बायोलॉजिकल सैंपल) एकत्र करने की अनुमति देता है।
नियम क्या हैं?
- नियम ऐसी जानकारी लेने के तरीके, जानकारी एकत्र करने के लिये अधिकृत व्यक्तियों, ऐसे रिकॉर्ड्स को जमा, स्टोर और शेयर करने के तरीके और इन रिकॉर्ड्स के निस्तारण को निर्दिष्ट करते हैं। नियमों की विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
- माप लेना:
- अधिनियम के तहत, सभी दोषियों, गिरफ्तार व्यक्तियों और किसी भी निवारक निरोध कानून के तहत हिरासत में लिये गए व्यक्तियों को अपना माप देना आवश्यक हो सकता है।
- नियम निर्दिष्ट करते हैं कि कुछ व्यक्तियों के माप तब तक नहीं लिये जाएंगे, जब तक कि उन्हें किसी अन्य अपराध के संबंध में आरोपित या गिरफ्तार नहीं किया गया हो।
- इनमें ऐसे लोग शामिल हैं जिन्होंने दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC) की धारा 144 या 145 के तहत जारी किये गए निषेधात्मक आदेशों का उल्लंघन किया है या जिन्हें CrPC की धारा 151 के तहत निवारक निरोध के लिये गिरफ्तार किया गया है।
- माप का रिकॉर्ड रखना:
- नियमों में निर्दिष्ट है कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) माप लेने के लिये मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) को जारी करेगा, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- माप संबंधी विनिर्देश और प्रारूप।
- माप लेने के लिये उपयोग किये जाने वाले उपकरणों के विनिर्देश।
- राज्य स्तर पर माप को संभालने और रखने का तरीका।
- इन SOP में निम्नलिखित प्रावधान हो सकते हैं:
- डिजिटल प्रारूप जिसमें प्रत्येक माप को डेटाबेस पर अपलोड करने से पहले परिवर्तित किया जाना चाहिये।
- इस्तेमाल किया जाने वाला एन्क्रिप्शन का तरीका।
- नियमों में निर्दिष्ट है कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) माप लेने के लिये मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) को जारी करेगा, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- माप लेना:
- रिकॉर्ड्स को नष्ट करना:
- अधिनियम में प्रावधान है कि रिकॉर्ड्स को नष्ट कर दिया जाएगा, अगर व्यक्ति को पहले दोषी नहीं ठहराया गया है (कैद वाले अपराध के साथ) और उसे अदालत द्वारा बिना किसी मुकदमे के रिहा (जब तक कि न्यायाधीश या अदालत द्वारा अन्य निर्देश न दिया जाए) कर दिया जाता है, रिहाई या अपराध से बरी कर दिया जाता है।
- NCRB रिकॉर्ड्स को नष्ट कर देगी, जैसा कि निर्दिष्ट है।
- नियमों में प्रावधान है कि SOP में रिकॉर्ड्स को नष्ट और निस्तारित करने की प्रक्रिया का प्रावधान होगा।
- राज्य, केंद्र सरकार या केंद्रशासित प्रदेश का प्रशासन नोडल अधिकारी को नियुक्त करेगा जिसके समक्ष माप के रिकॉर्ड को नष्ट करने का अनुरोध किया जाएगा।
- नोडल अधिकारी यह सत्यापित करने के बाद NCRB को रिकॉर्ड्स नष्ट करने की सिफारिश करेगा कि ये रिकॉर्ड्स किसी दूसरे आपराधिक मामले के साथ लिंक नहीं हैं।
संचार
भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022
हाल ही में दूरसंचार विभाग (DoT) ने इंटरनेट आधारित ओवर-द-टॉप (OTT) दूरसंचार सेवाओं को विनियमित करने के लिये भारतीय दूरसंचार विधेयक प्रस्ताव 2022 जारी किया।
मसौदा विधेयक तीन अलग-अलग अधिनियमों को समेकित करता है जो वर्तमान में दूरसंचार क्षेत्र को नियंत्रित करते हैं जिसमें भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885, भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम, 1933 और द टेलीग्राफ वायर्स (गैरकानूनी संरक्षण) अधिनियम, 1950 शामिल हैं।
मसौदा विधेयक की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
केंद्र सरकार के पास दूरसंचार नेटवर्क स्थापित करने, संचालित करने और बनाए रखने और दूरसंचार सेवाएँ प्रदान करने का विशेष विशेषाधिकार होगा।
- दूरसंचार नेटवर्क और सेवाओं के लिए लाइसेंस:
- केंद्र सरकार के पास निम्नलिखित विशेषाधिकार होंगे:
- दूरसंचार नेटवर्क की स्थापना, संचालन और रखरखाव।
- दूरसंचार सेवाएँ प्रदान करना।
- केंद्र सरकार इन गतिविधियों के लिये अन्य संस्थाओं को लाइसेंस प्रदान कर सकती है।
- केंद्र सरकार के पास निम्नलिखित विशेषाधिकार होंगे:
- विधेयक के अनुसार, दूरसंचार द्वारा उपयोगकर्त्ताओं को उपलब्ध कराई गई सेवाओं को दूरसंचार सेवा कहा जाता है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- फिक्स्ड-लाइन और मोबाइल, इंटरनेट, प्रसारण, उपग्रह संचार, मशीन-टू-मशीन संचार, ई-मेल, और ओवर-द-टॉप संचार सेवाएँ (वॉयस, वीडियो या इंटरनेट पर मैसेजिंग सेवाएँ)।
सरकारी कार्यों या सार्वजनिक हित या आवश्यकता से संबंधित उद्देश्यों के मामले में स्पेक्ट्रम नीलामी, या प्रशासनिक आवंटन के माध्यम से सौंपा जा सकता है। इसमे शामिल है:
- स्पेक्ट्रम देना:
- सरकारी कार्यों या सार्वजनिक हित के उद्देश्य से या ज़रूरत होने पर नीलामी या प्रशासनिक आबंटन के माध्यम से स्पेक्ट्रम दिया जा सकता है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- BSNL, MTNL और प्रसार भारती के लिये स्पेक्ट्रम,
- आपदा प्रबंधन।
- परिवहन प्रणालियों में सुरक्षा।
- मौसम की भविष्यवाणी।
- अंतरिक्ष अनुसंधान।
- सामुदायिक रेडियो स्टेशन।
- सार्वजनिक और राष्ट्रीय सुरक्षा: केंद्र सरकार या राज्य सरकार
- दूरसंचार सेवाओं या नेटवर्क पर अस्थायी कब्ज़ा ले सकती हैं
- यह निर्देश दे सकती हैं कि लोगों के कुछ संदेशों और संवाद को इंटरसेप्ट करके उनके साथ साझा किया जाए या उनका संचार निलंबित कर दिया जाए।
- ये प्रावधान सार्वजनिक आपातकाल या सुरक्षा के मामले में लागू होंगे और राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेशी संबंधों, सार्वजनिक व्यवस्था के हित में या अपराधों की रोकथाम के लिये आवश्यक होने चाहिये।
वित्त
डिजिटल ऋण पर दिशा-निर्देश
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने डिजिटल ऋण पर दिशा-निर्देश जारी किये हैं।
- दिशा-निर्देश वाणिज्यिक बैंकों, शहरी सहकारी बैंकों, राज्यों के सहकारी बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों सहित विनियमित संस्थाओं द्वारा दिये गए डिजिटल ऋणों के लिये लागू होंगे। इनकी प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
- उधारकर्त्ताओं के लिये प्रकटीकरण (डिस्क्लोजर):
- ऋण अनुबंध लागू होने से पहले विनियमित संस्थाएँ उधारकर्त्ताओं को एक महत्त्वपूर्ण तथ्य विवरण प्रदान करेंगी।
- विवरण सभी डिजिटल ऋण उत्पादों के लिये एक मानकीकृत प्रारूप में होना चाहिये और इसमें निम्नलिखित जानकारी शामिल होनी चाहिये:
- वार्षिक प्रतिशत दर (उधारकर्त्ता के लिये डिजिटल ऋण की लागत)।
- रिकवरी तकनीक (Recovery Mechanism)।
- शिकायत निवारण अधिकारी।
- कोई भी शुल्क/प्रभार जो विवरण का हिस्सा नहीं है, विनियमित संस्थाओं द्वारा नहीं लिया जा सकता है।
- डिजिटल लेंडिंग एप्लीकेशन को उत्पाद सुविधाओं, ऋण सीमा और लागत जैसी जानकारी प्रमुखता से प्रदर्शित करनी चाहिये।
- ऋण पात्रता:
- विनियमित संस्थाएँ ऋण देने से पहले उधारकर्त्ताओं के आर्थिक प्रोफाइल को कैप्चर कर लेंगी।
- ऐसी किसी संस्थाएँ वृद्धि से पहले उधारकर्त्ता की स्पष्ट सहमति आवश्यक है।
- डेटा सुरक्षा:
- डिजिटल लेंडिंग एप्लीकेशन द्वारा एकत्र किया गया डेटा आवश्यकता-आधारित होना चाहिये, स्पष्ट ऑडिट ट्रेल होना चाहिये और उधारकर्त्ता की स्पष्ट सहमति से किया जाना चाहिये।
- डिजिटल लेंडिंग एप्लीकेशन को मोबाइल फोन डेटा जैसे मीडिया, संपर्क सूची और कॉल लॉग तक नहीं पहुँचना चाहिये।
- तीसरे पक्ष के साथ व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से पहले उधारकर्त्ता की स्पष्ट सहमति ली जाएगी, सिवाय उन मामलों को छोड़कर जहाँ यह वैधानिक या नियामक आवश्यकताओं के अनुसार किया जाता है।
- शिकायत निवारण:
- विनियमित संस्थाएँ यह सुनिश्चित करेंगी कि डिजिटल ऋण संबंधी शिकायतों से निपटने के लिये उनके पास एक नोडल शिकायत निवारण अधिकारी है।
- यदि किसी उधारकर्त्ता द्वारा दर्ज की गई शिकायत का 30 दिनों के भीतर समाधान नहीं होता है तो वे रिज़र्व बैंक-एकीकृत लोकपाल योजना में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
वाणिज्य
राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति, 2022
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग ने राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति, 2022 को अधिसूचित किया। यह लॉजिस्टिक्स इको-सिस्टम के विकास के लिये एक फ्रेमवर्क प्रदान करने का प्रयास करता है। लॉजिस्टिक्स में माल का परिवहन और हैंडलिंग, स्टोरेज, मूल्य संवर्द्धन और संबद्ध सेवाएँ शामिल हैं। प्रमुख विशेषताओं में शामिल हैं:
- उद्देश्य: नीति का उद्देश्य निम्नलिखित लक्ष्यों को प्राप्त करना है:
- वर्ष 2030 तक भारतीय लॉजिस्टिक्स की लागत को वैश्विक बेंचमार्क तक कम करना।
- लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स (Logistics Performance Index- LPI) में वर्ष 2030 तक शीर्ष 25 देशों में भारत की रैंकिंग में सुधार करना।
- डेटा-संचालित निर्णय समर्थन तंत्र बनाना।
- लॉजिस्टिक्स की लागत में कमी:
- परिवहन, वेयरहाउसिंग, इनवेंटरी मैनेजमेंट और नियामक मामलों में कार्यकुशलता में सुधार करके लॉजिस्टिक्स की लागत को कम करने की योजना है।
- परिवहन में निम्नलिखित के जरिए सुधार सुधार की परिकल्पना की गई है:
- मल्टीमॉडल इंफ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से कार्यकुशलता में वृद्धि।
- कुशल लॉजिस्टिक्स के लिये क्षेत्रीय योजनाएँ ।
- नीति इष्टतम स्थानिक योजना के साथ वेयरहाउसिंग को विकसित करने और निजी निवेश को सुविधाजनक बनाने का प्रयास करती है।
- डिजिटलीकरण को बढ़ावा देकर विश्वसनीय आपूर्ति शृंखलाओं के माध्यम से इनवेंटरी मैनेजमेंट में सुधार का प्रयास किया गया है।
- निगरानी और समन्वय:
- प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत गठित सचिवों का अधिकार प्राप्त समूह राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के कार्यान्वयन की निगरानी करेगा।
- अधिकार प्राप्त समूह लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में प्रक्रियाओं, विनियमन और डिजिटलीकरण में सुधार की निगरानी के लिये एक सेवा सुधार समूह की स्थापना करेगा।
शिक्षा
पीएम श्री स्कूल
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्र प्रायोजित योजना पीएम श्री स्कूल (पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया- PM ScHools for Rising India) नामक नयी पहल की घोषणा की है।
योजना की मुख्य विशेषताएँ:
- इस योजना के तहत केंद्र, राज्य और स्थानीय निकायों द्वारा संचालित 14,500 से अधिक स्कूलों का उन्नयन और विकास किया जाएगा।
- स्कूलों को ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन करना होगा।
- योजना के पहले दो वर्षों के लिये पोर्टल वर्ष में चार बार, प्रत्येक तिमाही में एक बार खोला जाएगा।
- पीएम श्री स्कूलों को कई सुविधाएँ प्रदान की जाएगी जैसे:
- क्षेत्र कौशल परिषदों और स्थानीय उद्योग के साथ जोड़ना।
- समग्र शिक्षा पर ध्यान देने के साथ बेहतर शिक्षाशास्त्र।
- परिणामों को मापने के लिये स्कूल गुणवत्ता मूल्यांकन ढाँचा।
- सौर पैनल, LED लाइट और स्मार्ट क्लासरूम जैसी संरचनात्मक सुविधाएँ।
- स्कूल को वार्षिक अनुदान।
- वर्ष 2022-23 से 2026-27 की अवधि के लिये योजना की कुल लागत 27,360 करोड़ रुपए (18,128 करोड़ रुपए के केंद्रीय हिस्से सहित) होगी।
पर्यावरण
ताप विद्युत संयंत्रों के उत्सर्जन
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पर्यावरण संरक्षण नियम, 1989 में संशोधनों को अधिसूचित किया है। नियम पर्यावरण प्रदूषकों के उत्सर्जन के मानकों को निर्दिष्ट करते हैं।
- पहले, तापीय ऊर्जा संयंत्रों के उत्सर्जन मानक संयंत्र की उत्पादन क्षमता पर आधारित होते थे।
प्रमुख संशोधन:
- संशोधन तापीय ऊर्जा संयंत्रों (श्रेणी- A, B और C संयंत्र) की भौगोलिक स्थिति के आधार पर उत्सर्जन अनुपालन की समय सीमा निर्दिष्ट करते हैं।
- श्रेणी-A संयंत्रों को वर्ष 2024 तक सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) उत्सर्जन का अनुपालन करना आवश्यक है।
- श्रेणी-B संयंत्रों को वर्ष 2025 तक SO2 उत्सर्जन का अनुपालन करना आवश्यक है।
- श्रेणी- C संयंत्रों को वर्ष 2026 तक SO2 उत्सर्जन का अनुपालन करना आवश्यक है।
- उन संयंत्रों पर पर्यावरण क्षतिपूर्ति प्रभार लगाया जाएगा जो निर्धारित समय सीमा से परे गैर-अनुपालन संचालन जारी रखते हैं।
- संशोधन उन ताप विद्युत संयंत्रों को भी छूट प्रदान करते हैं जो सेवानिवृत्त हो रहे हैं, अर्थात, सेवामुक्त किये जा रहे हैं।
- श्रेणी-A इकाइयाँ जो वर्ष 2022 में सेवानिवृत्त हो रही हैं, और श्रेणी-B और -C इकाइयाँ जो वर्ष 2025 में सेवानिवृत्त हो रही हैं, उन्हें गैर-SO2 उत्सर्जन मानकों से छूट दी गई है।
- इसी तरह वर्ष 2027 में सेवानिवृत्त होने वाली सभी इकाइयों को SO2 उत्सर्जन से छूट दी गई है।
कोयला संयंत्रों की विभिन्न श्रेणियाँ:
- श्रेणी-A संयंत्र:
- राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) या दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के 10 किमी. के दायरे में बिजली संयंत्रों को दिसंबर 2022 की समय-सीमा पूरी करनी होगी।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा तैयार की गई सूची के अनुसार, ऐसे 79 कोयला आधारित बिजली संयंत्र हैं।
- श्रेणी-B और -C संयंत्र:
- गंभीर रूप से प्रदूषित क्षेत्रों या गैर-प्राप्ति शहरों के 10 किमी. के दायरे में बिजली संयंत्रों को दिसंबर 2023 की समय-सीमा पूरी करनी होगी। इस समय B-श्रेणी के 68 संयंत्र हैं।
- शेष संयंत्रों में कुल मिलाकर 75% श्रेणी-C के अंतर्गत आते हैं, जिनके दिसंबर 2024 की समय-सीमा में पूरा किये जाने की उम्मीद थी। इस समय C-श्रेणी के तहत 449 संयंत्र हैं।
ऊर्जा
उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन योजना
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 'उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल पर राष्ट्रीय कार्यक्रम' पर उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना की दूसरी किश्त के कार्यान्वयन को मंजूरी दी है।
- इस योजना के तहत वर्ष 2030 तक सौर ऊर्जा से 280 गीगावाट (GW) क्षमता पैदा करने का लक्ष्य है।
- यह नीति अत्यधिक कुशल सौर फोटोवोल्टिक (PV) मॉड्यूल (आमतौर पर सौर पैनल के रूप में जाना जाता है) की घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने का प्रयास करती है।
- भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (IREDA) इस योजना को लागू करती है। इस योजना के तहत चयनित निर्माताओं को संयंत्रों के चालू होने के बाद पाँच वर्ष के लिये PLI प्रदान किया जाता है।
- अप्रैल 2021 में स्वीकृत योजना की पहली किश्त का परिव्यय 4,500 करोड़ रुपए था। दूसरी किश्त का परिव्यय 19,500 करोड़ रुपए है।
- PLI दर में एक टैपरिंग फैक्टर होगा, यानी यह पहले वर्ष में अधिक होगा और पाँचवें वर्ष के अंत में कम होगा।
- यह विनिर्माण उद्योग के पाँच वर्ष बाद प्रतिस्पर्द्धी होने का संकेत देगा।
- इस योजना के मुख्य उद्देश्य हैं:
- पूरी तरह से और आंशिक रूप से एकीकृत सौर PV मॉड्यूल की अनुमानित 65,000 मेगावाट (MW) प्रति वर्ष मैन्यूफैक्चरिंग क्षमता स्थापित करना।
- घटकों के लिये विनिर्माण क्षमता (पीवी मॉड्यूल को छोड़कर) बनाना।
- उच्च दक्षता वाले सौर PV मॉड्यूल हासिल करने के लिये अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना।
राष्ट्रीय विद्युत उत्पादन योजना
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA) ने जनता की प्रतिक्रिया के लिये राष्ट्रीय विद्युत योजना का मसौदा जारी किया। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (CEA), विद्युत अधिनियम 2003 के तहत स्थापित एक संगठन है। इसका उद्देश्य बिजली उत्पादन के लिये उपलब्ध संसाधनों के इष्टतम उपयोग हेतु प्रत्येक पाँच वर्ष में एक ‘राष्ट्रीय बिजली योजना’ तैयार करना है।
- मसौदा योजना में पिछले पाँच वर्षों (2017-22) की समीक्षा वर्ष 2022-27 के लिये क्षमता वृद्धि की आवश्यकता और वर्ष 2027-2032 की अवधि के अनुमानों को प्रस्तुत किया गया है।
- मसौदा योजना में वर्ष 2031-32 तक 2,674 बिलियन यूनिट्स के कुल विद्युत उत्पादन की परियोजना है, जिसमें से अधिकांश थर्मल (51%) से आएगी और उसके बाद अक्षय स्रोतों से (44%) होगी।
मसौदा योजना की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- वर्तमान स्थापित क्षमता:
- मार्च 2022 तक देश की वर्तमान स्थापित क्षमता लगभग चार लाख मेगावाट (MW) है। स्थापित क्षमता में कोयला, अक्षय स्रोत और परमाणु क्षमताओं का हिस्सा क्रमशः 51%, 39% और 2% है।
- उत्पादन क्षमता में वृद्धि (2017-2022):
- वर्ष 2017-2022 के लिये क्षमता वृद्धि के लक्ष्य को मुख्य रूप से कोविड-19 महामारी के कारण प्राप्त नहीं किया जा सका।
- राष्ट्रीय विद्युत योजना, 2018 के अनुसार, पारंपरिक स्रोतों (कोयला, गैस, परमाणु) से लक्ष्य लगभग 50,000 MW था।
- हालाँकि सिर्फ 30,000 MW की क्षमता वृद्धि हुई यानी सिर्फ 60% लक्ष्य ही प्राप्त किया जा सका।
- आवश्यक क्षमता वृद्धि (2022-2027):
- वर्ष 2026-2027 के लिये पीक डिमांड और ऊर्जा की जरूरत को पूरा करने हेतु वर्ष 2022-2027 के दौरान 2.3 लाख MW अतिरिक्त क्षमता जोड़ने की आवश्यकता है।
- इसमें सौर ऊर्जा का योगदान सबसे ज़्यादा होगा और उसके बाद पवन, कोयला और जलविद्युत होंगे।
- उत्पादन में अक्षय ऊर्जा स्रोतों का योगदान (2026-27, 2031-32):
- राष्ट्रीय सौर मिशन, पीएम-कुसुम जैसी CEA की नीतियों और अक्षय ऊर्जा (RE) तकनीकों की घटती लागत के चलते RE देश के ऊर्जा मिश्रण में मुख्य स्रोत बनेगी।
- मसौदा योजना में कहा गया है कि वर्ष 2026-27 में RE योगदान 25% (2020-21) से बढ़कर देश की कुल ऊर्जा का 36% और वर्ष 2031-32 तक 45% हो जाएगा।
- अतिरिक्त कोयला आधारित क्षमता की आवश्यकता (2031-32):
- वर्ष 2022-27 के लिये 25,000 MW की निर्माणाधीन कोयला आधारित क्षमता के अलावा, देश को वर्ष 2031-32 तक 28,000 MW तक की अतिरिक्त कोयला आधारित क्षमता की आवश्यकता हो सकती है।
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना
केंद्रीय मंत्रिमंडल प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PM-GKAY) को दिसंबर 2022 तक (और तीन महीने के लिये) विस्तारित करने की घोषणा की।
- इस योजना के तहत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 के तहत आने वाले सभी लाभार्थियों को हर महीने प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम खाद्यान्न मुफ्त प्रदान किया जाता है।
- अब तक लगभग 3.45 लाख करोड़ रुपए की लागत से योजना को छह चरणों में लागू किया जा चुका है। इस चरण यानी PMGKAY-VII पर 44,762 करोड़ रुपए का अतिरिक्त व्यय होने का अनुमान है।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PM-GKAY):
- ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ को कोविड-19 के विरुद्ध लड़ाई में गरीब और संवेदनशील वर्ग की सहायता करने के लिये ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज’ (PMGKP) के हिस्से के रूप में शुरू किया गया था।
- वित्त मंत्रालय इसका नोडल मंत्रालय है।
- इस योजना के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से पहले से ही प्रदान किये जा रहे 5 किलोग्राम अनुदानित खाद्यान्न के अलावा प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 के तहत 5 किलोग्राम अतिरिक्त अनाज (गेहूँ या चावल) मुफ्त में उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
- प्रारंभ में इस योजना की शुरुआत तीन माह (अप्रैल, मई और जून 2020) की अवधि के लिये की गई थी, जिसमें कुल 80 करोड़ राशन कार्डधारक शामिल थे। बाद में इसे सितंबर 2020 तक बढ़ा दिया गया था।