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भारतीय अर्थव्यवस्था

आरबीआई एकीकृत लोकपाल योजना

  • 15 Nov 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

एकीकृत लोकपाल योजना,लोकपाल, भारतीय रिज़र्व बैंक

मेन्स के लिये:

एकीकृत लोकपाल योजना की विशेषताएँ और महत्त्व, शिकायत प्रबंधन प्रणाली (CMS)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री ने एकीकृत लोकपाल योजना लॉन्च की है।

लोकपाल:

  • यह एक सरकारी अधिकारी होता है जो सार्वजनिक संगठनों के खिलाफ आम लोगों द्वारा की गई शिकायतों का समाधान करता है। लोकपाल (ओम्बड्समैन) का यह कॉन्सेप्ट स्वीडन से आया है।
  • लोकपाल किसी सेवा या प्रशासनिक प्राधिकरण के खिलाफ शिकायतों के समाधान के लिये विधायिका द्वारा नियुक्त एक अधिकारी है।
  • भारत में निम्नलिखित क्षेत्रों में शिकायतों के समाधान के लिये लोकपाल की नियुक्ति की जाती है।
    • बीमा लोकपाल
    • आयकर लोकपाल
    • बैंकिंग लोकपाल

प्रमुख बिंदु

  • एकीकृत लोकपाल योजना:
    • यह आरबीआई (RBI) की तीन लोकपाल योजनाओं- वर्ष 2006 की बैंकिंग लोकपाल योजना, वर्ष 2018 की एनबीएफसी ( NBFCs) के लिये लोकपाल योजना और वर्ष 2019 की डिजिटल लेन-देन की लोकपाल योजना को समाहित करता है।
    • एकीकृत लोकपाल योजना भारतीय रिज़र्व बैंक विनियमित संस्थाएँ जैसे बैंक, एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ) और प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट प्लेयर द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं में कमी से संबंधित ग्राहकों की शिकायतों का निवारण प्रदान करेगी, अगर शिकायत का समाधान ग्राहकों की संतुष्टि के अनुसार नहीं किया जाता है या विनियमित इकाई द्वारा 30 दिनों की अवधि के भीतर जवाब नहीं दिया जाता है।
    • इसमें गैर-अनुसूचित प्राथमिक सहकारी बैंक भी शामिल हैं जिनकी जमा राशि 50 करोड़ रुपए या  उससे अधिक है। यह योजना आरबीआई लोकपाल तंत्र के क्षेत्राधिकार को तटस्थ बनाकर 'एक राष्ट्र एक लोकपाल' दृष्टिकोण अपनाती है। 
  • आवश्यकता:
    • पहली लोकपाल योजना वर्ष 1990 के दशक में शुरू की गई थी। इस प्रणाली को हमेशा उपभोक्ताओं द्वारा एक मुद्दे के रूप में देखा जाता था।
    • इसकी प्राथमिक चिंताओं में से एक रखरखाव योग्य आधारों की कमी थी जिस पर उपभोक्ता लोकपाल में एक विनियमित इकाई के कार्यों को चुनौती दे सकता था या तकनीकी आधार पर शिकायत को अस्वीकार कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप निवारण के लिये विस्तारित समय सीमा के अलावा उपभोक्ता न्यायालय को वरीयता दी गई।
    • सिस्टम (बैंकिंग, एनबीएफसी और डिजिटल भुगतान) को एकीकृत करने तथा शिकायतों के आधार का विस्तार करने के कदम से उपभोक्ताओं की सकारात्मक प्रतिक्रिया देखे जाने  की उम्मीद है।
  • विशेषताएँ:
    • यह योजना अपवर्जनों की निर्दिष्ट सूची के साथ शिकायत दर्ज करने के आधार के रूप में 'सेवा में कमी' को परिभाषित करती है।
      • अतः शिकायतों को अब केवल "योजना में सूचीबद्ध आधारों के अंतर्गत शामिल नहीं" होने के कारण खारिज नहीं किया जाएगा।
    • यह योजना क्षेत्राधिकार तटस्थ है और किसी भी भाषा में शिकायतों के प्रारंभिक निपटान के लिये चंडीगढ़ में एक केंद्रीकृत रिसीप्ट और प्रसंस्करण केंद्र स्थापित किया गया है।
    • आरबीआई ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल के इस्तेमाल के लिये एक प्रावधान किया था ताकि बैंक और जाँच एजेंसियाँ तीव्रता के साथ बेहतर तरीके से समन्वय कर सकें।
    • बैंक ग्राहक शिकायत दर्ज करने, दस्तावेज़ जमा करने, वर्तमान स्थिति को ट्रैक करने और एक ईमेल के माध्यम से प्रतिक्रिया देने में सक्षम होंगे।
    • इसके लिये एक बहुभाषी टोल-फ्री नंबर भी होगा जो शिकायत निवारण संबंधी सभी प्रासंगिक जानकारी प्रदान करेगा।
    • विनियमित संस्था को उन मामलों में अपील करने का कोई अधिकार नहीं होगा जहाँ लोकपाल द्वारा उसके विरूद्ध संतोषजनक और समय पर जानकारी प्रस्तुत नहीं करने के लिये नोटिस जारी किया गया हो।
  • अपीलीय प्राधिकरण:
    • एकीकृत योजना के तहत उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण विभाग के प्रभारी आरबीआई के कार्यकारी निदेशक अपीलीय प्राधिकारी होंगे।
  • महत्त्व:
    • इससे आरबीआई द्वारा विनियमित संस्थाओं के खिलाफ ग्राहकों की शिकायतों के समाधान के लिये शिकायत निवारण तंत्र में सुधार करने में मदद मिलेगी।
    • साथ ही यह एकरूपता सुनिश्चित करने और उपयोगकर्ता के अनुकूल तंत्र को सुव्यवस्थित करने में मदद करेगा तथा ग्राहकों की संतुष्टि एवं वित्तीय समावेशन बढ़ावा देगा।
    • 44 करोड़ ऋण खाताधारकों और 220 करोड़ जमा खाताधारकों को लोकपाल योजना से सीधे लाभ होगा, वे अब एक ही मंच पर शिकायत दर्ज करने तथा अपनी शिकायतों की वर्तमान स्थिति जानने में सक्षम होंगे।

स्रोत: द हिंदू 

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