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पीआरएस कैप्सूल्स

विविध

मई 2021

  • 04 Jun 2021
  • 32 min read

PRS के प्रमुख हाइलाइट्स

  • कोविड-19
    • RBI ने विभिन्न उपायों की घोषणा की
    • EPF खाते से दो बार धनराशि निकालने की अनुमति 
    • वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिये आयकर रिटर्न दायर करने की समय सीमा बढ़ाई
  • समष्टि आर्थिक (मैक्रोइकोनॉमिक) विकास
    • वर्ष 2020-21 में GDP में 7.3% संकुचन का अनुमान और चौथी तिमाही में 1.6% की वृद्धि
    • औद्योगिक उत्पादन में 5.2% की वृद्धि
  • वित्त
    • लेखा पर अनंतिम डेटा
    • IDBI बैंक में रणनीतिक विनिवेश और नियंत्रण के हस्तांतरण को मंज़ूरी 
    • गैर-निवासियों की आर्थिक उपस्थिति निर्धारित करने की सीमा अधिसूचित
  • स्वास्थ्य
    • होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) अध्यादेश, 2021 
  • रक्षा
    • नकारात्मक आयात सूची में 108 हथियार/प्रणाली 
  • गृह मामले
    • भारतीय नागरिकता के लिये आवेदन की अनुमति 
  • संचार
    • 5जी परीक्षण
  • सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण
    • विकलांग व्यक्तियों के लिये परीक्षा कराने के संबंध में मसौदा 
  • कृषि
    • पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी दरों में संशोधन 
  • जल शक्ति
    • जल गुणवत्ता की निगरानी और सर्विलांस करने के लिये राज्यों को एडवाइज़री 
  • सड़क परिवहन
    • केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 

कोविड-19

RBI ने विभिन्न उपायों की घोषणा की

भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने कोविड-19 की दूसरी लहर के असर को कम करने के लिये निम्नलिखित मुख्य सुझावों की घोषणा की: 

  • कोविड-19 संबंधी स्वास्थ्य संरचना और सेवाओं के लिये लिक्विडिटी सपोर्ट: बैंकों को 50,000 करोड़ रुपए की ऑन-टैप लिक्विडिटी विंडो उपलब्ध कराई गई है। योजना के अंतर्गत बैंक रेपो रेट पर तीन वर्ष तक के लिये धनराशि उधार ले सकते हैं। बैंक कोविड-19 संबंधी स्वास्थ्य संरचना और सेवाओं को उन्नत बनाने वाली कंपनियों को यह धनराशि ऋण के तौर पर दे सकते हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: 
    (i) वैक्सीन निर्माता। 
    (ii) वैक्सीन और कोविड-19 संबंधी दवाओं के आयातक। 
    (iii) ऑक्सीजन और वेंटिलेटर्स के सप्लायर्स। 
    (iv) लॉजिस्टिक कंपनियाँ। 

बैंक इस धनराशि से मरीज़ों को इलाज के लिये ऋण भी दे सकते हैं। यह योजना मार्च 2022 तक उपलब्ध है। 

  • लघु वित्त बैंकों को सहयोग: RBI लघु वित्त बैंकों को 10,000 करोड़ रुपए तक का लिक्विडिटी सपोर्ट देगा, जो कि महामारी की मौजूदा लहर से प्रभावित होने वाली छोटी कारोबारी इकाइयों, सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों और असंगठित क्षेत्र की दूसरी कंपनियों को सहयोग देंगे। योजना के अंतर्गत बैंक रेपो रेट पर तीन वर्ष के लिये धनराशि उधार ले सकते हैं। फिर बैंक प्रति उधारकर्त्ता 10 लाख रुपए तक का नया ऋण दे सकते हैं। यह योजना अक्तूबर 2021 तक उपलब्ध रहेगी। 
  • दबावग्रस्त आस्तियों के लिये समाधान ढाँचा: RBI ने व्यक्तियों और छोटे व्यवसायों, जिनमें सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) शामिल हैं, के ऋणों के पुनर्गठन के लिये एक फ्रेमवर्क की घोषणा की। इस फ्रेमवर्क के पात्रता मानदंडों में निम्नलिखित शामिल हैं: 
    (i) उधारकर्त्ता का कुल एक्सपोजर 31 मार्च, 2021 तक 25 करोड़ रुपए से ज़्यादा नहीं होना चाहिये। 
    (ii) उधारकर्त्ता ने अगस्त 2020 में घोषित फ्रेमवर्क का लाभ नहीं उठाया हो।  
    (iii) उधारकर्त्ता का खाता 31 मार्च, 2021 तक मानक परिसंपत्ति था (वह गैर-निष्पादित परिसंपत्ति नहीं होना चाहिये)। 

नए फ्रेमवर्क के अंतर्गत पुनर्गठन का विकल्प सितंबर 2021 तक उपलब्ध है। 

  • RBI ने अगस्त 2020 फ्रेमवर्क के अंतर्गत पुनर्गठन की सुविधा उठाने वाले उधारकर्त्ताओं को कुछ छूट देने की भी घोषणा की है:
    (i) व्यक्ति और छोटे व्यवसायों के मामले में जहाँ रेज़ोल्यूशन प्लान के अंतर्गत मोराटोरियम की अवधि दो वर्ष से कम है, वहीं बची हुई अवधि दो वर्ष की सीमा तक बढ़ाई जा सकती है।
    (ii) छोटे व्यवसायों और एमएसएमई के मामले में वर्किंग कैपिटल की स्वीकृति सीमा की वन टाइम मेज़र के रूप में समीक्षा की जा सकती है।

EPF खाते से दो बार धनराशि निकालने की अनुमति 

मार्च 2020 में श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय ने कर्मचारी भविष्य निधि और विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 के अंतर्गत अधिसूचित कर्मचारी भविष्य निधि योजना, 1952 में संशोधन किये। अधिनियम में 20 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले इस्टैबलिशमेंट्स में कर्मचारियों के लिये अंशदान आधारित प्रॉविडेंट फंड (PF) योजना का प्रावधान है। योजना में अधिनियम के अंतर्गत इन प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिये PF खाते खोलने का प्रावधान किया गया है।

संशोधित योजना के अनुसार, जिन क्षेत्रों को महामारी से प्रभावित घोषित किया गया है, वहाँ PF कमिश्नर, सदस्य को अपने PF खाते से नॉन-रिफंडेबल एडवांस की अनुमति दे सकता है। यह एडवांस अधिकतम तीन महीने का वेतन या सदस्य के PF खाते में जमा राशि का 75%, इनमें से जो भी कम हो, हो सकता है। 

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने अपने सदस्यों को अब दूसरी बार नॉन-रिफंडेबल एडवांस लेने की अनुमति दी है ताकि वे कोविड-19 के दौरान अपनी वित्तीय ज़रूरतों को पूरा कर सकें। दूसरी बार एडवांस निकालने का प्रावधान और प्रक्रिया, पहले के समान ही होगी।

वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिये आयकर रिटर्न दायर करने की समय-सीमा बढ़ाई

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने वर्ष 2021-22 आकलन वर्ष यानी वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिये आयकर रिटर्न दायर करने की समय-सीमा बढ़ा दी है। उन व्यक्तियों के लिये आयकर रिटर्न दायर करने की समय-सीमा 31 जुलाई, 2021 से 30 सितंबर, 2021 तक है जिन व्यक्तियों को आयकर अधिनियम, 1961 या किसी अन्य कानून के अंतर्गत अपने खातों का ऑडिट कराना ज़रूरी है और कंपनियों के लिये यह समय-सीमा 31 अक्तूबर, 2021 से बढ़ाकर 30 नवंबर, 2021 कर दी गई है। वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिये ऑडिट रिपोर्ट जमा कराने की समय-सीमा (अगर एक्ट के अंतर्गत अपेक्षित है) 30 सितंबर, 2021 से बढ़ाकर 31 अक्तूबर, 2021 कर दी गई है।


समष्टि आर्थिक (मैक्रोइकोनॉमिक) विकास

वर्ष 2020-21 में GDP में 7.3% संकुचन का अनुमान और चौथी तिमाही में 1.6% की वृद्धि

वर्ष 2020-21 के अनंतिम अनुमानों के अनुसार, वर्ष 2020-21 में GDP में (वर्ष 2011-12 के मूल्यों पर) 7.3% के संकुचन का अनुमान है (वर्ष दर वर्ष), जबकि वर्ष 2019-20 में 4% की वृद्धि दर्ज की गई थी। वर्ष 2020-21 की पहली और दूसरी तिमाही में GDP में क्रमशः 24.4% एवं 7.4% के संकुचन का अनुमान है। तीसरी तथा चौथी तिमाही में GDP में क्रमशः 0.5% और 1.6% की वृद्धि अनुमानित है। सभी आर्थिक क्षेत्रों में GDP की वृद्धि सकल मूल्य संवर्द्धन (GVA) में मापी जाती है। वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही में खनन क्षेत्र को छोड़कर बाकी सभी क्षेत्रों में वृद्धि अनुमानित है (वर्ष दर वर्ष)। खनन क्षेत्र में वर्ष 2020-21 की तीसरी और चौथी तिमाही में नकारात्मक वृद्धि दर्ज होने का अनुमान है।

वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही में GVA में सेवा क्षेत्र का योगदान 53% अनुमानित है। सेवा क्षेत्र में व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और ब्रॉडकास्टिंग उद्योगों में वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही के दौरान 2.3% संकुचन का अनुमान है। वित्तीय, रियल ऐस्टेट और प्रोफेशनल सेवा उद्योग तथा पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन, रक्षा तथा अन्य सेवा उद्योगों में क्रमशः 5.4% व 2.3% की वृद्धि अनुमानित है।  

औद्योगिक उत्पादन में 5.2% वृद्धि 

वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) की तुलना में वर्ष 2020-21 में इसी अवधि के दौरान औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में 5.2% की वृद्धि दर्ज की गई। उल्लेखनीय है कि मार्च 2021 के महीने में दर्ज उच्च वृद्धि दर (22.4% वर्ष दर वर्ष) के कारण यह बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2021 की जनवरी और फरवरी में IIP में नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई थी। 

मार्च 2021 में उच्च वृद्धि दर का कारण पिछले वर्ष का निम्न आधार हो सकता है, क्योंकि मार्च 2020 (-18.7%) में IIP में काफी संकुचन हुआ था। जनवरी और फरवरी 2021 में बिजली उत्पादन में वृद्धि दर्ज की गई थी तथा खनन एवं मैन्युफैक्चरिंग (वर्ष दर वर्ष) में संकुचन हुआ था।


वित्त

लेखा पर अनंतिम डेटा 

नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (CAG) ने वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिये केंद्र सरकार के लेखा पर अनंतिम आँकड़े जारी किये हैं। वर्ष 2019-20 के अंतिम आँकड़ों की तुलना वर्ष 2020-21 के अनंतिम आँकड़ों से की गई है। मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

  • सरकार ने वर्ष 2020-21 में 35,11,181 करोड़ रुपए खर्च किये जो कि वर्ष 2019-20 की तुलना में 31% अधिक हैं। 
  • वर्ष 2020-21 में प्राप्तियों (उधारियों के अतिरिक्त) में 4% की गिरावट देखी गई है जो कि 16,89,720 करोड़ रुपए हैं।  
  • वर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटा 18,21,461 करोड़ रुपए था जो कि 95% अधिक था। यह GDP के 9.2% के बराबर है। इसमें से 80% राजस्व घाटे के रूप में था (GDP का 7.4%)। 

IDBI बैंक में रणनीतिक विनिवेश और नियंत्रण के हस्तांतरण को मंज़ूरी 

केंद्रीय कैबिनेट ने IDBI बैंक में रणनीतिक विनिवेश और प्रबंधन नियंत्रण के हस्तांतरण को सैद्धांतिक मंज़ूरी दे दी है। वर्तमान में IDBI बैंक में केंद्र सरकार और भारतीय जीवन बीमा निगम (Life Insurance Corporation- LIC) की क्रमशः 45.48% तथा 49.24% इक्विटी है। LIC के बोर्ड ने प्रस्ताव पारित करके बैंक में अपने शेयर को कम कर दिया है एवं बाज़ार मूल्य, मार्केट आउटलुक, वैधानिक शर्तों और पॉलिसी धारकों के हितों को ध्यान में रखते हुए प्रबंधन पर अपना नियंत्रण छोड़ दिया है। सरकार व LIC की शेयरधारिता कितनी होगी यह लेन-देन की संरचना तय करते समय भारतीय रिज़र्व बैंक की सलाह से तय होगा। 

गैर निवासियों की आर्थिक उपस्थिति निर्धारित करने की सीमा अधिसूचित

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (Central Board of Direct Taxes- CBDT) ने भारत में गैर-निवासियों की आर्थिक उपस्थिति को निर्धारित करने की सीमा अधिसूचित की है। गैर-निवासियों में निम्नलिखित शामिल हैं: 

(i) ऐसे लोग जो कि वर्ष में 182 दिन से कम समय तक भारत में रहे हैं। 
(ii) विदेशी कंपनियाँ जिनका प्रभावी प्रबंधन भारत के बाहर से होता है। 

आय कर अधिनियम, 1961 के अंतर्गत गैर-निवासियों को भारत के बाहर किसी बिज़नेस कनेक्शन, संपत्ति, एसेट या आय के स्रोत के ज़रिए अर्जित या उससे उत्पन्न होने वाली आय पर कर चुकाना होता है।  

अधिनियम में प्रावधान है कि अगर गैर-निवासियों की देश में महत्त्वपूर्ण आर्थिक मौजूदगी है तो यह माना जाएगा कि उनका भारत में बिज़नेस कनेक्शन है। CBDT द्वारा अधिसूचित सीमा के अनुसार, गैर-निवासियों की भारत में महत्त्वपूर्ण आर्थिक उपस्थिति होगी:

(i) अगर वह भारत के लोगों से होने वाले लेन-देन से वर्ष में दो करोड़ रुपए से अधिक का कुल भुगतान प्राप्त करते हैं, (डेटा या सॉफ्टवेयर के डाउनलोड के प्रावधान सहित)। 
(ii) वह भारत में कम-से-कम तीन लाख यूज़र्स से इंटरैक्ट करता है, या व्यवस्थित एवं निरंतर व्यावसायिक गतिविधियों का अनुरोध करता है। 

अधिसूचना 1 अप्रैल, 2022 से प्रभावी होगी।


स्वास्थ्य

होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) अध्यादेश, 2021 

होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) अध्यादेश, 2021 को 16 मई, 2021 को जारी किया गया। यह अध्यादेश होम्योपैथी केंद्रीय परिषद अधिनियम, 1973 में संशोधन करता है। 1973 का अधिनियम होम्योपैथिक शिक्षा और प्रैक्टिस को विनियमित करने वाली होम्योपैथी केंद्रीय परिषद की स्थापना करता है।   

वर्ष 2018 में होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) अधिनियम, 2018 को पारित किया गया था ताकि सेंट्रल काउंसिल ऑफ होम्योपैथी को सुपरसीड किया जा सके। इसके अतिरिक्त 2018 के अधिनियम में केंद्र सरकार से यह अपेक्षा की गई थी कि वह अधिनियम के लागू होने के एक वर्ष के भीतर केंद्रीय परिषद का पुनर्गठन करे। अंतरिम अवधि में केंद्र सरकार को केंद्रीय परिषद की शक्तियों के इस्तेमाल के लिये बोर्ड ऑफ गवर्नर्स का गठन करना था। इसके बाद केंद्रीय परिषद के पुनर्गठन की अवधि को दो बार (2019 और 2020 में) बदला गया, इसे पहले एक वर्ष और फिर तीन वर्ष किया गया। अध्यादेश अधिनियम में संशोधन करके तीन वर्ष की अवधि को चार वर्ष करता है। 


रक्षा

नकारात्मक आयात सूची में 108 हथियार/प्रणाली 

रक्षा मंत्रालय ने 108 वस्तुओं, जैसे एम्युनिशन, हथियार और कई प्रणालियों को नकारात्मक आयात सूची में शामिल कर दिया है। नकारात्मक आयात सूची में शामिल सभी वस्तुओं को स्वदेशी/घरेलू स्रोतों से खरीदा जाएगा। इन 108 वस्तुओं में कॉम्पलैक्स सिस्टम्स, सेंसर, सिमुलेटर, हथियार और एम्युनिशंस शामिल हैं। ये उन वस्तुओं के लिये निर्दिष्ट समय-सीमा के अनुसार, नकारात्मक आयात सूची में आएंगे। 49 वस्तुओं के लिये यह समय-सीमा दिसंबर 2021 है और 21 वस्तुओं के लिये दिसंबर 2022 है। बाकी की 38 वस्तुओं के लिये समय-सीमा दिसंबर 2023 या उसके बाद (वर्ष 2025) तक है।

उल्लेखनीय है कि मई 2020 में आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत वित्त मंत्री ने घोषणा की थी कि आयात के लिये प्रतिबंधित हथियारों और प्लेटफॉर्म्स की सूची वर्षवार समय-सीमा के आधार पर जारी की जाएगी।  अगस्त 2020 में मंत्रालय ने 101 वस्तुओं के आयात पर एंबार्गो (प्रतिबंध) लगाया और इसके लिये उन वस्तुओं को नकारात्मक आयात सूची में रखा। मंत्रालय को उम्मीद है कि आयात पर प्रतिबंध लगाने से घरेलू उद्योग को बढ़ावा देकर रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता आएगी। 


गृह मामले

भारतीय नागरिकता के लिये आवेदन की अनुमति 

गृह मामलों के मंत्रालय ने नागरिकता अधिनियम, 1955 के अंतर्गत नियमों को अधिसूचित किया है ताकि कुछ लोगों को नेचुरलाइज़ेशन सर्टिफिकेट (Certificate of Naturalisation) के ज़रिये भारतीय नागरिकता के आवेदन को मंज़ूरी दी जा सके। अधिनियम नागरिकता हासिल करने और उसके निर्धारण को विनियमित करता है। यह जन्म, वंश, पंजीकरण, नेचुरलाइज़ेशन के ज़रिये और भारत में क्षेत्र के मिल जाने के परिणामस्वरूप नागरिकता देता है। अधिनियम में कहा गया है कि अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय नागरिकता हेतु आवेदन करने के लिये पात्र होंगे। इन समुदायों में हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शामिल हैं। नियमों की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं: 

  • नागरिकों को पंजीकृत करने की शक्ति: यह अधिनियम केंद्र सरकार को अधिकार देता है कि वह किसी व्यक्ति को नागरिक के तौर पर पंजीकृत कर सकती है और उसे नेचुरलाइज़ेशन सर्टिफिकेट दे सकती है। नियमों के अंतर्गत केंद्र सरकार ने संबंधित ज़िलों के कलेक्टर्स को यह अधिकार दिया है कि वे नागरिकों को पंजीकृत कर सकते हैं और नेचुरलाइज़ेशन सर्टिफिकेट दे सकते हैं। ये ज़िले निम्नलिखित राज्यों में हैं: (i) गुजरात (ii) छत्तीसगढ़ (iii) राजस्थान (iv) हरियाणा (v) पंजाब। पंजाब और हरियाणा (कुछ ज़िलों को छोड़कर) में गृह सचिव को भी नागरिकों को पंजीकृत करने और उन्हें नेचुरलाइज़ेशन सर्टिफिकेट देने का अधिकार है।
  • प्रक्रिया: आवेदकों को भारत के नागरिक के तौर पर पंजीकरण या नेचुरलाइज़ेशन सर्टिफिकेट हासिल करने के लिये ऑनलाइन आवेदन करना होगा। कलेक्टर या सचिव (जैसा भी मामला हो) आवेदन का सत्यापन करेंगे और आवेदक की उपयुक्तता की जाँच करेंगे। यह सत्यापन ज़िला और राज्य स्तर पर किया जाएगा तथा आवेदन व सत्यापन की रिपोर्ट केंद्र सरकार को ऑनलाइन पोर्टल पर उपलब्ध कराई जाएगी। जाँच और सत्यापन के आधार पर कलेक्टर या सचिव सर्टिफिकेट देंगे। पंजीकृत या ज़्या नेचुरलाइज़्ड व्यक्ति का विवरण ऑनलाइन और भौतिक दोनों तरह से रखा जाएगा।  

संचार

5जी परीक्षण

दूरसंचार विभाग ने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (Telecom Service Providers- TSP) को 5जी प्रौद्योगिकी के उपयोग और उससे संबंधित परीक्षण की अनुमति दे दी है। 

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सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण

विकलांग व्यक्तियों के लिये परीक्षा कराने के संबंध में मसौदा 

विकलांग व्यक्ति सशक्तीकरण विभाग ने 2018 में 40% या उससे अधिक विकलांगता वाले लोगों के लिये लिखित परीक्षा हेतु दिशा-निर्देश जारी किये थे।  फरवरी 2021 में सर्वोच्च न्यायालय ने विभाग को निर्देश दिया कि वह सार्वजनिक स्तर पर सलाह लेकर 40% से कम विकलांगता या कुछ मेडिकल स्थितियों वाले लोगों के लिये दिशा-निर्देश तैयार करे। इसके बाद सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण मंत्रालय ने कुछ विकलांगता वाले लोगों के लिये लिखित परीक्षा कराने से संबंधित मसौदा दिशा-निर्देश जारी किये। इन लोगों में 40% से कम विकलांगता वाले या ऐसी मेडिकल स्थिति वाले लोग शामिल हैं जिनकी लेखन क्षमता सीमित हो सकती है। इन मेडिकल स्थितियों में अर्थराइटिस, पोस्ट ट्रॉमैटिक डिफॉरमिटी और एम्प्यूटेशन तथा स्लीप डिसऑर्डर शामिल हो सकते हैं।  

मसौदा दिशा-निर्देशों की मुख्य विशेषतों में निम्नलिखित शामिल हैं: 

  • स्क्राइब: स्क्राइब (जो व्यक्ति डिक्टेट किये गए जवाबों को लिखता है) और कम्पेनसेटरी समय इस आकलन पर आधारित होना चाहिये कि क्या व्यक्ति की पढ़ने एवं लिखने की गति क्षमता सामान्य है। उम्मीदवार का विशेषाधिकार होना चाहिये कि वह अपना स्क्राइब, रीडर या लैब असिस्टेंट चुने और परीक्षा निकाय से इस संबंध में अनुरोध करे।  
  • मेडिकल सर्टिफिकेट: स्क्राइब, रीडर या लैब असिस्टेंट को चाहिये कि वह अपना स्क्राइब, रीडर या लैब असिस्टेंट चुने और परीक्षा निकाय से इस संबंध में अनुरोध की सुविधा सरकारी स्वास्थ्य संस्थान की सक्षम मेडिकल अथॉरिटी के सर्टिफिकेट के अधीन होनी चाहिये। इस सर्टिफिकेट में लिखा होना चाहिये कि संबंधित व्यक्ति की पढ़ने और लिखने की गति सीमित है और उसकी ओर से परीक्षा में लिखने के लिये स्क्राइब का होना ज़रूरी है।  
  • मेडिकल अथॉरिटी: सर्टिफिकेट देने वाली मेडिकल अथॉरिटी में निम्नलिखित शामिल होने चाहिये: 
    (i) चीफ मेडिकल ऑफिसर, सिविल सर्जन या चीफ डिस्ट्रिक्ट मेडिकल ऑफिसर (चेयरपर्सन के रूप में)। 
    (ii) ऑर्थोपैडिक स्पेशलिस्ट।
    (iii) क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, पुनर्वास साइकोलॉजिस्ट, साइकैट्रिस्ट, या स्पेशल एजुकेटर।

कृषि

पोषक तत्त्व आधारित सब्सिडी दरों में संशोधन 

केंद्र सरकार ने फॉस्फैटिक और पोटासिक (Phosphatic and Potassic- P&K) उर्वरकों के लिये वर्ष 2021-22 में पोषण आधारित सब्सिडी दरों में संशोधनों को मंज़ूरी दी है। पोषण आधारित सब्सिडी योजना के अंतर्गत पोषक तत्त्वों के आधार पर पीएंडके उर्वरकों की बिक्री के लिये उर्वरक निर्माताओं और आयातकों को सब्सिडी दी जाती है। 

वर्ष 2021-22 के लिये स्वीकृत सब्सिडी दर फॉस्फेट के लिये 2020-21 की सब्सिडी दर से अधिक है और अन्य सभी पोषक तत्त्वों के लिये समान दर पर है। संशोधित दरें मई 2021 से अक्तूबर 2021 की अवधि के दौरान लागू होंगी।

डी-अमोनियम फॉस्फेट (Di-Ammonium Phosphate- DAP) और दूसरे P&K उर्वरकों के कच्चे माल की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी के मद्देनज़र फॉस्फेट की सब्सिडी दर में काफी वृद्धि (204%) हुई है। संशोधित सब्सिडी दरों के कारण  DAP उर्वरक के एक बैग पर सब्सिडी 500 रुपए से बढ़कर 1,200 रुपए (140% की वृद्धि) हो जाती है। 

P&K उर्वरकों के लिये सब्सिडी की लागत वर्ष 2021-22 में 42,275 करोड़ रुपए अनुमानित है जो कि वर्ष 2020-21 में सब्सिडी की लागत से 54% अधिक है (27,500 करोड़ रुपए)। खरीफ मौसम के दौरान DAP (9,125 करोड़ रुपए) और अन्य P&K उर्वरकों (5,650 करोड़ रुपए) के लिये अतिरिक्त सब्सिडी दिये जाने की उम्मीद है।


जल शक्ति

जल गुणवत्ता की निगरानी और सर्विलांस के लिये राज्यों को एडवाइज़री 

जल शक्ति मंत्रालय ने राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों को जल गुणवत्ता का निरीक्षण करने तथा सर्विलांस के लिये एडवाइज़री जारी की है। मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं: 

  • परीक्षण: सभी पेयजल स्रोतों का वर्ष में एक बार रासायनिक संदूषण के लिये और वर्ष में दो बार बैक्टीरियोलॉजिकल मापदंडों (पूर्व और मानसून के बाद) के लिये परीक्षण किया जाना चाहिये। जल जीवन मिशन के अंतर्गत निधियों का उपयोग प्रयोगशालाओं की स्थापना, उनके उन्नयन, कर्मचारियों को काम पर रखने, उपकरणों की खरीद और प्रशिक्षण प्रदान करने के लिये किया जाना चाहिये। 
  • ट्रैकिंग: सभी जल गुणवत्ता परीक्षण डेटा जैसे नमूना संग्रह और परीक्षण परिणाम जल जीवन मिशन- जल गुणवत्ता प्रबंधन सूचना प्रणाली पोर्टल पर अपलोड किये जाने चाहिये। यह उचित ट्रैकिंग और डेटा प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिये है। 
  • प्रयोगशालाओं की संख्या: प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश में कम-से-कम एक राज्य या केंद्रशासित प्रदेश स्तर की प्रयोगशाला होनी चाहिये। बड़े राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों के लिये क्षेत्रवार प्रयोगशालाओं की स्थापना की जानी चाहिये ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आसपास के सभी स्रोतों का नियमित रूप से परीक्षण किया जाता है। इसी तरह सभी ज़िलों में ज़िला स्तरीय प्रयोगशाला होनी चाहिये। सभी प्रयोगशालाओं को परीक्षण और कैलिब्रेशन प्रयोगशालाओं के लिये राष्ट्रीय एक्रेडिटेशन बोर्ड से भी मान्यता प्राप्त करनी होगी। इसके अतिरिक्त सभी लैब्स आम लोगों के लिये खुली होनी चाहिये ताकि वे मामूली दर पर पानी के नमूने का परीक्षण करा सकें।  
  • प्रशिक्षण: स्थानीय समुदाय पानी की गुणवत्ता पर निगरानी रख सकें, इसके लिये पाँच लोगों को जल गुणवत्ता परीक्षण के लिये चिह्नित और प्रशिक्षित किया जाना चाहिये। इसमें आशा कार्यकर्त्ता, स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता, शिक्षक और स्वयं सहायता समूहों के सदस्य शामिल किये जा सकते हैं।

सड़क परिवहन

केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने मोटर वाहन अधिनियम, 1988 (Central Motor Vehicles Rules, 1989) के अंतर्गत केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 (Central Motor Vehicles Rules, 1989) में संशोधनों को अधिसूचित किया है। अधिनियम मोटर वाहनों के मानदंडों, ड्राइविंग लाइसेंस देने और इन प्रावधानों का उल्लंघन करने पर सज़ा से संबंधित प्रावधान करता है। अधिसूचित संशोधनों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • ईंधन: संशोधित नियमों में प्रस्तावित है कि एनहाइड्रस इथेनॉल या गैसोलिन के साथ इथेनॉल के ब्लेंड पर चलने वाले वाहनों की सुरक्षा शर्तों को ऑटोमोटिव उद्योग मानकों (Automotive Industry Standards- AIS) के अनुरूप स्थापित किया जाना चाहिये। AIS को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने मानक विनिर्देशों को सुनिश्चित करने के लिये स्थापित किया है।  
  • सुरक्षा: संशोधित नियम कहते हैं कि कृषि हेतु ट्रैक्टरों को AIS के अंतर्गत निर्दिष्ट शर्तों का पालन करना चाहिये। हालाँकि इन वाहनों को भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, 2016 के अंतर्गत भारतीय मानदंडों का भी पालन सुनिश्चित करना चाहिये, भले ही उन्हें कभी भी अधिसूचित किया गया हो। 
  • उत्सर्जन: संशोधित नियम संपीडित प्राकृतिक गैस (CNG), बायो-CNG और तरल प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल करने वाले कुछ वाहनों के उत्सर्जन के लिये मानदंड निर्दिष्ट करते हैं। इन वाहनों में कृषि हेतु ट्रैक्टर, पावर टिलर, निर्माण उपकरण वाहन और कंबाइन हार्वेस्टर शामिल हैं। नियमों के अंतर्गत वाहनों को उत्सर्जनों और इंजन के प्रदर्शन की जाँच के बाद मंज़ूरी मिलनी चाहिये और उन्हें फिटनेस प्रमाण पत्र प्राप्त करना चाहिये।  
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