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पीआरएस कैप्सूल्स

विविध

जनवरी 2023

  • 31 Jan 2023
  • 17 min read

PRS की प्रमुख हाइलाइट्स

  संसद  

सरकार की प्रमुख उपलब्धियाँ:

  • हाल ही में भारत के राष्ट्रपति ने संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में सरकार की प्रमुख उपलब्धियों को रेखांकित किया।

प्रमुख उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं:

  • अर्थव्यवस्था:
  • स्वास्थ्य:
    • प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना के तहत 50 करोड़ से अधिक व्यक्तियों को निःशुल्क इलाज मिला है, जिनमें से 50% महिलाएँ हैं।
  • पर्यावरण:
    • देश ने गैर-जीवाश्म ईंधन से 40% विद्युत उत्पादन क्षमता हासिल करने के लक्ष्य को निर्धारित समय से नौ वर्ष पहले हासिल कर लिया है।
  • विदेशी मामले:
    • भारत ने जी-20 की अध्यक्षता स्वीकार की है और वैश्विक चुनौतियों के सामूहिक समाधान खोजने की दिशा में काम करेगा।
    • जी-20 की बैठकें देश भर में पूरे वर्ष होंगी।

  मैक्रोइकोनॉमिक विकास  

आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23: 

  • हाल ही में आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 जारी किया गया।

 सर्वेक्षण की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

  • सकल घरेलू उत्पाद (GDP):
    • सर्वेक्षण में वर्ष 2023-24 में 6.5% की वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। यह कहा गया है कि वास्तविक वृद्धि दर 6-6.8% की सीमा में रहेगी जो कि विश्व स्तर पर आर्थिक और राजनैतिक विकास के घटनाक्रमों पर आधारित होगी।
  • मुद्रास्फीति:
    • वर्ष 2022-23 में खुदरा मुद्रास्फीति 6.8% अनुमानित है जो वर्ष 2021-22 (5.5%) से अधिक है। दिसंबर 2022 में 5.7% तक गिरावट से पहले अप्रैल 2022 में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 7.8% हो गई थी। 
  • ऋण: 
    • केंद्र सरकार की कुल देनदारियाँ वर्ष 2020-21 में GDP के 59.2% से घटकर वर्ष 2021-22 में GDP के 56.7% होने का अनुमान है। 
    • वर्ष 2022-23 में सरकार की बकाया देनदारियाँ 86.5% रहने का अनुमान है। 
    • सर्वेक्षण के अनुसार, भारत का सार्वजनिक ऋण प्रोफाइल अपेक्षाकृत स्थिर है। 
    • इसका 95.1% भाग निवासियों के पास है और रुपए में अंकित है।
  • क्षेत्रगत वृद्धि: 
    • भारत का कृषि क्षेत्र पिछले छह वर्षों के दौरान 4.6% की औसत वार्षिक दर से बढ़ा है। 
    • वर्ष 2022-23 में औद्योगिक क्षेत्र में 6.7% की वृद्धि का अनुमान है। 
    • वर्ष 2022-23 में सेवा क्षेत्र के 9.1% की दर से बढ़ने का अनुमान है। 
  • आधारभूत संरचना: 
    • वर्ष 2022-23 में 7.5 लाख करोड़ रुपए के पूंजीगत व्यय का लक्ष्य रखा गया है जो वर्ष 2021-22 की तुलना में 35.4% अधिक है। 
    • निवेश के स्तर को बरकरार रखने के लिये राष्ट्रीय अवसंरचना कार्यक्रम (NIP) ने वर्ष 2019-20 और 2024-2025 के बीच लगभग 111 लाख करोड़ रुपए की निवेश योग्य परियोजनाओं का एक रोडमैप प्रदान किया है।

  ऊर्जा  

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन: 

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (National Green Hydrogen Mission- NGHM) को मंज़ूरी दी है। 
    • बड़े पैमाने पर हाइड्रोजन उत्पादन के मौजूदा तरीकों से उच्च कार्बन उत्सर्जन होता है। हरित हाइड्रोजन के माध्यम से हाइड्रोजन उत्पादन के लिये सौर या पवन ऊर्जा का उपयोग करके इस समस्या का समाधान किया जाता है। 

मिशन की मुख्य विशेषताएँ:

  • मिशन के तहत हरित हाइड्रोजन और उसके उत्पादों जैसे- हरित अमोनिया एवं हरित मेथनॉल का उत्पादन, मांग सृजन, उपयोग तथा निर्यात को सुविधाजनक बनाने का प्रयास किया जाता है। 
  • यह उम्मीद की जाती है कि इन पहलों के परिणामस्वरूप वर्ष 2030 तक प्रतिवर्ष कम-से-कम पाँच मिलियन मीट्रिक टन उत्पादन क्षमता होगी। 
  • संबद्ध अक्षय ऊर्जा क्षमता वृद्धि लगभग 125 गीगावाट होगी। 

नोडल मंत्रालय:

  • नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) नियमों को तैयार करने तथा मिशन को लागू करने के लिये ज़िम्मेदार होगा।
  • चरण 1 (वर्ष 2023-24 से 2025-26): 
    • चरण 1 में घरेलू इलेक्ट्रोलाइज़र्स की मांग पैदा करने (रिफाइनरियों, उर्वरकों और शहरी गैस क्षेत्रों में उपयोग के माध्यम से) तथा विनिर्माण क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
    •  इस्पात उत्पादन, लंबी दूरी के परिवहन और नौवहन में हरित हाइड्रोजन के उपयोग को शुरू करने के लिये पायलट परियोजनाएँ शुरू की जाएंगी। 
    • अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप काम किया जा सके, इसके लिये नियामक ढाँचे और मानक स्थापित किये जाएंगे। 
  • चरण 2 (वर्ष 2026-27 से 2029-30): 
    • लागत संरचना और बाज़ार की मांग के आधार पर वाणिज्यिक पैमाने पर इस्पात उत्पादन, परिवहन और शिपिंग क्षेत्रों में हरित हाइड्रोजन आधारित परियोजनाओं की व्यावहारिकता का पता लगाया जाएगा। 
    • रेलवे और उड्डयन जैसे अन्य संभावित क्षेत्रों में नई पायलट परियोजनाएँ शुरू की जाएंगी। 
    • अन्य परियोजनाओं के तहत उत्पादों को विकसित करने के लिये अनुसंधान और विकास गतिविधियों को बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा।

  वित्त  

IBC 2016 में मसौदा संशोधन:

कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने दिवालिया एवं शोधन अक्षमता संहिता (IBC), 2016 के मसौदा संशोधनों पर टिप्पणियाँ आमंत्रित की हैं। IBC कंपनियों के साथ-साथ व्यक्तियों के बीच दिवालियापन के मामलों के समयबद्ध समाधान के लिये एक रूपरेखा प्रदान करती है। प्रस्तावित संशोधनों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • प्री-पैक इन्सॉल्वेंसी रिज़ॉल्यूशन प्रोसेस (PIRP): 
    • PIRP के तहत MSME इनसॉल्वेंसी रिज़ॉल्यूशन के आवेदन के लिये पात्र हैं जिसके तहत 120 दिनों में तेज़ी से रिज़ॉल्यूशन किया जाता है। PIRP को शुरू करने के प्रस्ताव को वित्तीय लेनदारों के 66% वोटिंग शेयर से मंज़ूर होना चाहिये। 
    • मसौदा संशोधनों में फ्रेमवर्क के दायरे को बढ़ाया गया है ताकि उसमें कॉरपोरेट देनदारों की अन्य श्रेणियों को शामिल किया जा सके।
    • मसौदा संशोधन में तेज़ी से निर्णय लेने के लिये मंज़ूरी की सीमा को घटाकर 51% करने का प्रस्ताव है।
  • रियल एस्टेट के इनसॉल्वेंसी के मामले: 
    • रियल एस्टेट के इनसॉल्वेंसी के मामलों के रिज़ॉल्यूशन के लिये रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में आवंटियों को वित्तीय लेनदारों के रूप में माना जाता है। 
    • अन्य लेनदारों के विपरीत आवंटी अपने अग्रिमों के पुनर्भुगतान पर संपत्ति का कब्ज़ा प्राप्त करना पसंद करते हैं। कई मामलों में यह देखा गया है कि एक परियोजना में चूक के कारण पूरी कंपनी के खिलाफ इनसॉल्वेंसी की प्रक्रिया शुरू की गई है। 
    • मसौदा संशोधनों में प्रस्ताव है कि रियल एस्टेट के इनसॉल्वेंसी के मामलों में न्याय-निर्णयन प्राधिकरण के पास यह विवेकाधिकार हो कि वह सिर्फ उन परियोजनाओं के लिये रिज़ॉल्यूशन प्रक्रिया को लागू करे जिनमें डिफॉल्ट किया गया है।
  • कॉरपोरेट देनदारों के लिये कई रिज़ॉल्यूशन योजनाएँ:
    • कॉरपोरेट इनसॉल्वेंसी रिज़ॉल्यूशन प्रक्रिया के दौरान लेनदारों की समिति सिर्फ एक रिज़ॉल्यूशन प्लान को मंज़ूर कर सकती है। 
    • मंत्रालय ने कहा कि कई बार कॉरपोरेट देनदार को टेकओवर करने के लिये एक रिज़ॉल्यूशन आवेदनकर्त्ता को ढूँढ़ना मुश्किल होता है। 
    • मसौदा संशोधनों में लेनदारों की समिति को यह अधिकार देने का प्रस्ताव है कि वह कॉरपोरेट देनदार के व्यक्तिगत या सामूहिक संपत्ति के लिये एक से अधिक रिज़ॉल्यूशन योजना को मंज़ूर कर सकती है। 
    • मंजूर योजनाओं में से कम-से-कम एक योजना में कॉरपोरेट देनदार के लिये रिज़ॉल्यूशन का प्रावधान होना चाहिये।
  • प्राप्तियों का वितरण: 
    • मंत्रालय ने कहा कि लेनदारों के बीच आय के वितरण से संबंधित कई विवाद देखे जाते हैं। 
    • मसौदा संशोधन प्रस्ताव रखता है कि लेनदारों को उनके दावों के लिये  परिसमापन मूल्य तक आय प्राप्त होगी। परिसमापन मूल्य  से अधिक कोई भी अधिशेष तब सभी लेनदारों के बीच उनके असंतुष्ट दावों के अनुपात में वितरित किया जाएगा।

  इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी  

RuPay डेबिट कार्ड और BHIM UPI लेन-देन को बढ़ावा देने की योजना:

  • हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने RuPay डेबिट कार्ड और कम कीमत वाले BHIM UPI लेन-देन को प्रोत्साहित करने के लिये योजना को मंज़ूरी दी है। 
  • योजना भारत में काम करने वाले बैंकों (अधिग्रहण करने वाले) और भारत में किये जाने वाले लेन-देन पर तथा वर्ष 2022-23 के वित्तीय वर्ष के लिये लागू होगी। 

योजना की प्रमुख विशेषताएँ: 

  • अधिग्रहण करने वाले बैंकों को बढ़ावा देने के लिये वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा:
    • RuPay डेबिट कार्ड का उपयोग करके पॉइंट ऑफ सेल और ई-कॉमर्स लेन-देन।
    • BHIM UPI प्लेटफॉर्म पर 2,000 रुपए तक की वैल्यू वाले पर्सन टू मर्चेंट लेन-देन।
  • MeitY और भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) उद्योग कार्यक्रमों में शामिल व्यापारी श्रेणियों को जोड़ या हटा सकते हैं।
  • योजना के तहत कुल परिव्यय 2,600 करोड़ रुपए होने की उम्मीद है।

फेक न्यूज़ और ऑनलाइन गेमिंग हेतु नियमों का मसौदा:

  • इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत अधिसूचित सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशा-निर्देश तथा डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 (IT नियम) में मसौदा संशोधन जारी किये हैं।
  • अधिनियम के तहत मध्यस्थों को थर्ड पार्टी कंटेट के उत्तरदायित्व से सुरक्षा दी गई है, यदि वे कुछ निश्चित शर्तों को पूरा करते हैं। 2021 के नियमों में मध्यस्थों के लिये सम्यक तत्‍परता की कुछ शर्तें निर्दिष्ट की गई हैं।

संशोधनों की मुख्य विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • झूठी सूचना और ऑनलाइन खेलों का विनियमन: 
    • IT नियम, 2021 में बताया गया है कि उपयोगकर्त्ता किस प्रकार के कंटेंट को क्रिएट, अपलोड या शेयर कर सकते हैं।
    • मसौदा संशोधनों में कहा गया है कि सभी मध्यस्थों (ऑनलाइन गेमिंग मध्यस्थों सहित) को यह सुनिश्चित करने के उपयुक्त प्रयास करने होंगे कि यूज़र्स:
      • ऐसी जानकारी को प्रकाशित न करें जिसे प्रेस सूचना ब्यूरो की तथ्य-जाँच इकाई या केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत किसी एजेंसी ने झूठा या फेक बताया है। 
      • ऐसे किसी ऑनलाइन गेम को होस्ट न करें जो कि किसी कानून के अनुरूप न हो।
  • ऑनलाइन गेम: 
    • मसौदा संशोधनों में कहा गया है कि ऑनलाइन गेम एक ऐसा गेम है जिसे इंटरनेट पर पेश किया जाता है और उसे एक्सेस किया जा सकता है तथा उपयोगकर्त्ता वित्तीय जीत हासिल करने की उम्मीद से धनराशि जमा करता है। 
    • केंद्र सरकार किसी गेम को ऑनलाइन गेम के तौर पर अधिसूचित कर सकती है। 
  • ऑनलाइन गेमिंग मध्यवर्ती की बाध्यताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
    • अपने गेम को स्व-नियामक निकाय के साथ पंजीकृत करना।
    • यादृच्छिक संख्या जनरेशन प्रमाणपत्र और नो-बॉट प्रमाणपत्र प्राप्त करना और प्रदर्शित करना।
    • उपयोगकर्त्ता पंजीकरण के लिये नो-योर-कस्टमर (KYC) प्रक्रिया, वित्तीय नुकसान के जोखिम और गेम के साथ जुड़े एडिक्शन (व्यसन) तथा उपयोगकर्त्ता की धनराशि को सुरक्षित रखने के बारे में यूज़र्स को बताना। 
    • खाता संबंधित भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की प्रक्रियाओं के अनुसार उपयोगकर्त्ता की पहचान की पुष्टि करना।
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