उत्तराखंड द्वारा भूमि हस्तांतरण को मंज़ूरी
प्रीलिम्स के लिये:गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस मेन्स के लिये:सीमा क्षेत्र में आधारिक संरचना का विकास और भारत के हित |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान (Gangotri National Park) में सड़कों के विकास के लिये उत्तराखंड राज्य वन्यजीव सलाहकार बोर्ड (Uttarakhand State Wildlife Advisory Board) ने वन भूमि के हस्तांतरण वाले प्रस्तावों को मंज़ूरी दी है।
- गौरतलब है कि यह निर्णय भारत एवं चीन के मध्य लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव के मद्देनज़र लिया गया है।
प्रमुख बिंदु:
- इन प्रस्तावों के तहत गंगोत्री नेशनल पार्क (Gangotri National Park) के तीन अलग-अलग स्थलों पर कुल 73.36 हेक्टेयर वन भूमि अलग-अलग सड़कों (कुल लंबाई 35.66 किमी.) के निर्माण के लिये हस्तांतरित की जाएगी।
- उल्लेखनीय है कि गंगोत्री नेशनल पार्क एक संरक्षित क्षेत्र है और सड़कों के निर्माण के लिये हस्तांतरित की जाने वाली वन भूमि चीन के साथ सटी अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये ये मार्ग बहुत महत्त्वपूर्ण साबित होंगे क्योंकि ये चीन सीमा के पास भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के कर्मियों की आवाज़ाही को आसान बना देंगे।
- अब इन सड़कों के लिये भूमि हस्तांतरण से संबंधित प्रस्ताव राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (National Board for Wildlife) को भेजे जाएंगे।
गंगोत्री नेशनल पार्क (Gangotri National Park):
- इसे वर्ष 1989 में स्थापित किया गया था और यह उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में भागीरथी नदी (Bhagirathi River) के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र स्थित है।
- गंगोत्री ग्लेशियर पर गंगा नदी का उद्गम स्थल गौ-मुख इस पार्क के अंदर स्थित है।
- इस पार्क के तहत आने वाला क्षेत्र गोविंद राष्ट्रीय उद्यान (Govind National Park) और केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य (Kedarnath Wildlife Sanctuary) के बीच एक जीवंत निरंतरता (Viable Continuity) बनाता है।
- वनस्पति: यह पार्क घने शंकुधारी वनों से घिरा हुआ है जिनमें ज्यादातर समशीतोष्ण वन हैं। इस पार्क की सामान्य वनस्पतियों में चिरपाइन, देवदार, फर, स्प्रूस, ओक एवं रोडोडेंड्रॉन शामिल हैं।
- जीव-जंतु: इस पार्क में विभिन्न दुर्लभ एवं लुप्तप्राय प्रजातियाँ जैसे- नीली भेड़, काले भालू, भूरे भालू, हिमालयन मोनल, हिमालयन स्नोकॉक, हिमालयन तहर, कस्तूरी मृग और हिम तेंदुए पाई जाती हैं।
भारत-तिब्बत सीमा पुलिस
(Indo-Tibetan Border Police- ITBP):
- केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (Central Armed Police Force-CAPF) में से एक भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (Indo-Tibetan Border Police) को 24 अक्तूबर, 1962 को गठित किया गया था।
- ITBP को लद्दाख के काराकोरम दर्रे से लेकर अरुणाचल प्रदेश में जाचेप ला (Jachep La) तक 3488 किलोमीटर की भारत-चीन सीमा पर ‘बॉर्डर गार्डिंग ड्यूटी’ के लिये तैनात किया गया है।
- ITBP एक विशेष पर्वतीय बल (Mountain Force) है और इसके अधिकांश अधिकारी एवं कर्मचारी पेशेवर रूप से प्रशिक्षित पर्वतारोही एवं स्कीयर (Skiers) हैं।
- प्राकृतिक आपदाओं के लिये प्राथमिक उत्तरदाता होने के नाते ITBP देश भर में कई बचाव एवं राहत अभियान चला रहा है।
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- नवंबर 2019 में भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने असम राइफल्स (Assam Rifles) को ITBP के साथ विलय करने का प्रस्ताव दिया था।