जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के खिलाफ अधिकार जीवन और समानता के अधिकार का हिस्सा: SC
चर्चा में क्यों?
एक महत्त्वपूर्ण फैसले में, सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने "जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के खिलाफ अधिकार" को शामिल करने के लिये अनुच्छेद 14 और 21 के दायरे का विस्तार किया है।
मुख्य बिंदु:
- पीठ ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) को विद्युत पारेषण लाइनों के कारण अपना आवास स्थान खोने से बचाने की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
- सर्वोच्च न्यायालय के अप्रैल 2021 के आदेश ने GIB के संरक्षण हेतु राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में ओवरहेड ट्रांसमिशन लाइनें स्थापित करने पर प्रतिबंध लगा दिया।
- अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को मान्यता देता है जबकि अनुच्छेद 14 इंगित करता है कि सभी व्यक्तियों को कानून के समक्ष समानता एवं कानूनों का समान संरक्षण प्राप्त होगा।
- ये अनुच्छेद स्वच्छ पर्यावरण के अधिकार और जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों के खिलाफ अधिकार के महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं।
- जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों को पहचानने और इससे निपटने की कोशिश करने वाली सरकारी नीति एवं नियमों व विनियमों के बावजूद, भारत में जलवायु परिवर्तन तथा संबंधित चिंताओं से संबंधित कोई एकल या व्यापक कानून नहीं है।
- पर्यावरणीय समस्याओं को संवैधानिक बनाने के सर्वोच्च न्यायालय के महत्त्वपूर्ण निर्णय:
- एम.सी. मेहता बनाम कमल नाथ, 1996: सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया कि जीवन के लिये आवश्यक बुनियादी पर्यावरणीय तत्त्वों जैसे वायु, जल और मिट्टी में कोई भी गड़बड़ी जीवन के लिये खतरनाक होगी अतः इसे प्रदूषित नहीं किया जा सकता है।
- वीरेंद्र गौड़ बनाम हरियाणा राज्य (1995): सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अनुच्छेद 21 जीवन के अधिकार की रक्षा करता है और इसे गरिमा के साथ जीवन के आनंद के लिये स्वच्छता तक विस्तारित करता है।
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB)
- ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Ardeotis nigriceps) राजस्थान का राजकीय पक्षी है और भारत का सबसे गंभीर रूप से संकटग्रस्त
- पक्षी माना जाता है।
- यह घास के मैदान की प्रमुख प्रजाति मानी जाती है, जो चरागाह पारिस्थितिकी का प्रतिनिधित्व करती है।
- ये अधिकांशतः राजस्थान और गुजरात में पाए जाते हैं। महाराष्ट्र, कर्नाटक एवं आंध्र प्रदेश में यह प्रजाति कम संख्या में पाई जाती है।
- ये प्रजाति खतरे की स्थिति में है जिसके प्रमुख कारणों में ऊर्जा ट्रांसमिशन लाइनों के साथ टकराव/विद्युत-आघात से मृत्यु (Electrocution), शिकार (वर्तमान समय में पाकिस्तान में प्रचलित), व्यापक कृषि विस्तार के परिणामस्वरूप निवास स्थान में परिवर्तन और उसका ह्रास शामिल है।
- सुरक्षा की स्थिति:
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की रेड लिस्ट: गंभीर रूप से संकटग्रस्त
- वन्यजीवों एवं वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर कन्वेंशन (CITES): परिशिष्ट-1
- प्रवासी प्रजातियों के संरक्षण पर अभिसमय (CMS): परिशिष्ट-I
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची-
पर्यावरण से संबंधित संवैधानिक प्रावधान
- संविधान के अनुच्छेद 48A में प्रावधान है कि राज्य पर्यावरण की रक्षा और सुधार करने तथा देश के वनों एवं वन्यजीवों की सुरक्षा करने का प्रयास करेगा
- अनुच्छेद 51A के खंड (g) में कहा गया है कि वनों, झीलों, नदियों और वन्यजीवों सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा एवं सुधार करना व जीवित प्राणियों के प्रति दया रखना भारत के प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य होगा।