कृषि से संबंधित राहत उपायों की घोषणा

प्रीलिम्स के लिये:

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना, ‘टॉप’ टू ‘टोटल’ योजना, आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन

मेन्स के लिये:

कृषि सुधार 

चर्चा में क्यों?

वित्त मंत्री ने COVID-19 महामारी आर्थिक पैकेज के रूप में कृषि, मत्स्य पालन और खाद्य प्रसंस्करण के लिये कृषि अवसंरचना को मज़बूत करने तथा कृषि शासन संबंधी सुधारों के लिये अहम उपायों की घोषणा की है।

प्रमुख बिंदु:

  • प्रधानमंत्री द्वारा 12 मई, 2020 को भारत की जीडीपी के 10% के बराबर, 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की गई थी। इसी दिशा में वित्त मंत्री द्वारा कृषि क्षेत्र में सुधारों संबंधी आर्थिक पैकेज की घोषणा की गई। 
  • कृषि संबंधी आर्थिक पैकेज में मुख्यत: 11 उपायों की घोषणा की गई है, जिसमें से 8 उपाय कृषि बुनियादी ढाँचागत सुविधाओं को बेहतर बनाने से संबंधित है जबकि 3 उपाय प्रशासनिक एवं शासन संबंधी सुधारों से संबंधित हैं।  

फार्म-गेट अवसंरचना (Farm-Gate Infrastructure):

  • किसानों के लिये कृषि द्वार (फार्म-गेट) अवसंरचना के विकास के लिये 1 लाख करोड़ रुपये का ‘कृषि आधारभूत अवसंरचना कोष’ के निर्माण की घोषणा की गई। 
  • फार्म-गेट और एकत्रीकरण बिंदुओं (प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों, कृषि उद्यमियों, स्टार्ट-अप आदि) पर मौजूद ‘कृषि आधारभूत अवसंचना परियोजनाओं’ के  वित्तपोषण के लिये 1,00,000 करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध कराई जाएगी।

सूक्ष्म खाद्य उपक्रमों (Micro Food Enterprises- MFE) का औपचारिक क्षेत्र में प्रवेश:

  • MFE को औपचारिक क्षेत्र में प्रवेश की दिशा में 10,000 करोड़ रुपए की सहायता राशि के साथ  'वैश्विक पहुँच वाली वोकल फॉर लोकल’ (Vocal for Local with Global Outreach) योजना शुरू की जाएगी। इससे ऐसे उद्यमियों को फायदा होगा जिनको खाद्य मानकों को हासिल करने, ब्रांड खड़ा करने और विपणन के लिये तकनीकी उन्नयन की ज़रूरत है।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana- PMMSY):

  • ‘समुद्री और अंतर्देशीय मत्स्यन और जलकृषि’ (Marine, Inland fisheries and Aquaculture) के एकीकृत, सतत और समावेशी विकास के लिये ‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना’ शुरू की जाएगी। योजना के लिये 20,000 हजार करोड़ रुपए योगदान की घोषणा की गई।

राष्‍ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम (National Animal Disease Control Program):

  • ‘खुरपका मुंहपका रोग’ (Foot and Mouth Disease- FMD) और ब्रुसेलोसिस के लिये ‘राष्‍ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम’ 13,343 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ शुरू किया गया। इस कार्यक्रम को आगे और अधिक आर्थिक सहायता राशि प्रदान की जाएगी। 

पशुपालन बुनियादी ढाँचा विकास कोष

(Animal Husbandry Infrastructure Development Fund):

  • डेयरी प्रसंस्करण, मूल्यवर्द्धन एवं पशुचारा आधारित आधारभूत अवसंरचना क्षेत्र में निजी निवेश बढ़ाने के उद्देश्य से 15,000 करोड़ रुपए का ‘पशुपालन बुनियादी ढाँचा विकास कोष’ स्थापित किया जाएगा। विशिष्ट‍ उत्पादों के निर्यात हेतु संयंत्र स्थापित करने वाली इकाइयों को इस कोष के माध्यम से प्रोत्साहित किया जाएगा।

औषधीय या हर्बल खेती को प्रोत्‍साहन (Promotion of Herbal Cultivation):

  • अगले दो वर्षों में 4,000 करोड़ रुपए के परिव्‍यय से हर्बल खेती के तहत 10,00,000 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया जाएगा। औषधीय पौधों के लिये क्षेत्रीय मंडियों का नेटवर्क स्थापित किया जाएगा।
  • ‘राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड’ (National Medicinal Plants Board) गंगा के किनारे 800 हेक्‍टेयर क्षेत्र में ‘औषधि गलियारा’ विकसित कर औषधीय पौधे लगाएगा।

मधुमक्खी पालन संबंधी पहल (Beekeeping Initiatives): 

  • 500 करोड़ रुपए की सहायता राशि के माध्यम से मधुमक्खी पालन क्षेत्र में अनेक योजनाओं को प्रारंभ किया जाएगा।

‘टॉप’ टू ‘टोटल’ (TOP to TOTAL):

  • ‘खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय’ (Ministry of Food Processing Industries-MOFPI) द्वारा संचालित 'ऑपरेशन ग्रीन्स'; जो वर्तमान में टमाटर, प्याज और आलू  (Tomatoes, Onions and Potatoes-TOP) को कवर करता है, को सभी फलों एवं सब्जियों तक विस्तृत किया जाएगा।
  • योजना के माध्यम से फसलों के परिवहन तथा भंडारण पर 50% सब्सिडी प्रदान की जाएगी। योजना को अगले 6 महीनों के लिये प्रायोगिक रूप में शुरू किया जाएगा तथा बाद में इसे आगे बढ़ाया एवं विस्तारित किया जाएगा।

कृषि क्षेत्र में शासन एवं प्रशासन संबंधी सुधार:

  • ‘आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन’ (Amendment in Essential Commodities Act):
    • सरकार द्वारा 'आवश्यक वस्तु अधिनियम'-1955 में संशोधन किया जाएगा। अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दलहन, प्याज, आलू सहित कृषि खाद्य पदार्थों को नियंत्रण से मुक्त किया जाएगा। केवल असाधारण परिस्थितियों जैसे- राष्ट्रीय आपदा, कीमतों में अत्यधिक वृद्धि, अकाल आदि की स्थिति में भंडारण की सीमा पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। इसके अलावा भंडारण सीमा संबंधी नियम ‘मूल्य श्रृंखला इकाइयों’ के भागीदारों पर लागू नहीं होगा।
  • कृषि विपणन सुधार (Agricultural Marketing Reform):
    • किसान को लाभकारी मूल्य पर अपनी उपज को बेचने के लिये पर्याप्त विकल्प उपलब्ध कराने; निर्बाध अंतरराज्यीय व्यापार; कृषि उत्पादों की ई-ट्रेडिंग के लिये एक रूपरेखा बनाने की दिशा में केंद्रीय विपणन कानून का निर्माण किया जाएगा।
  • कृषि उपज मूल्य निर्धारण और गुणवत्ता का आश्वासन (Agricultural Yield Pricing and Quality Assurance):
    • सरकार किसानों को उचित और पारदर्शी तरीके से कृषि समूहों, बड़े खुदरा विक्रेताओं, निर्यातकों आदि के साथ जुड़ने में सक्षम बनाने के लिये एक सुविधाजनक कानूनी संरचना का निर्माण करेगी।

निष्कर्ष:

  • COVID-19 महामारी के तहत घोषित आर्थिक पैकेज में कृषि संबंधी उन सुधारों को शामिल किया गया है जिनकी मांग लगातार की जा रही थी। सुधारों के बाद किसान अपना उत्पाद न केवल किसानों को अपितु किसी को और किसी भी स्थान पर बेच सकता है। 
  • आर्थिक पैकेज न केवल कृषि अवसंरचना में सुधार करने में मदद करेगा अपितु व्यापारी तथा कृषि प्रसंस्करण इकाइयों को देश के भीतर कृषि-उपज की किसी भी मात्रा को स्वतंत्र रूप से खरीद, स्टॉक और स्थानांतरित करने में सक्षम बनाएगा।

स्रोत: पीआईबी