रातापानी टाइगर रिजर्व
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तावित रातापानी टाइगर रिज़र्व (Ratapani Tiger Reserve) के कोर और बफर क्षेत्रों की स्थिति को अंतिम रूप देने के लिये गठित एक समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है।
पृष्ठभूमि
- मध्य प्रदेश सरकार ने रातापानी वन्यजीव अभयारण्य को बाघ आरक्षित घोषित करने का निर्णय लिया था, इसके लिये राज्य को 11 साल पहले ही राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority-NTCA) से अनुमोदन प्राप्त हो गया था।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय (Statutory Body) है।
- वर्ष 2006 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों में संशोधन कर बाघ संरक्षण प्राधिकरण की स्थापना की गई। प्राधिकरण की पहली बैठक नवंबर 2006 में हुई थी।
रातापानी टाइगर रिज़र्व
- यह अभयारण्य मध्य प्रदेश के भोपाल-रायसेन वन प्रभाग में 890 वर्ग किमी. में फैला हुआ है।
- अभयारण्य में लगभग 40 बाघों की आबादी है। इसके अलावा भोपाल के वन क्षेत्र में करीब 12 बाघों की आवाजाही बताई गई है। इस पूरे क्षेत्र को बाघ अभयारण्य के रूप में घोषित करने के लिये एक साथ जोड़ा जाएगा।
- रायसेन, सीहोर और भोपाल ज़िलों का लगभग 3,500 वर्ग किमी. का क्षेत्र इसी अभयारण्य के लिये आरक्षित किया गया है। इसके साथ ही 1,500 वर्ग किमी. को कोर क्षेत्र के रूप में, जबकि 2,000 वर्ग किमी. को बफर जोन (Buffer Zone) के रूप में नामित किया जाएगा।
- बाघ अभयारण्य के रूप में इस अभयारण्य की घोषणा से क्षेत्र में अवैध खनन और अवैध शिकार की समस्या का सामना कर रहे बाघों के बेहतर संरक्षण में मदद मिलेगी।