धन शोधन निवारण अधिनियम
प्रिलिम्स के लिये:भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 FEOA, विदेशी मुद्रा का संरक्षण और तस्करी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम, 1974 COFEPOSA। मेन्स के लिये:धन शोधन का मुद्दा, प्रवर्तन निदेशालय की शक्तियाँ, न्यायिक समीक्षा। |
चर्चा में क्यों:
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने धन शोधन के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा उसकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाले एक राजनेता की याचिका को खारिज कर दिया है।
धन शोधन:
- विषय:
- मनी लॉन्ड्रिंग का अभिप्राय अवैध रूप से अर्जित आय को छिपाना या बदलना है ताकि वह वैध स्रोतों से उत्पन्न प्रतीत हो। यह अक्सर मादक पदार्थों की तस्करी, डकैती या ज़बरन वसूली जैसे अन्य गंभीर अपराधों का एक घटक है।
- अवैध हथियारों की बिक्री, तस्करी, मादक पदार्थों की तस्करी और वेश्यावृत्ति, गुप्त व्यापार, रिश्वतखोरी और कंप्यूटर धोखाधड़ी जैसी आपराधिक गतिविधियों में बड़ा मुनाफा होता है।
- ऐसा करने से यह मनी लॉन्ड्रिंग में संलिप्त व्यक्ति को मनी लॉन्ड्रिंग के माध्यम से अपने अवैध लाभ को "वैध" करने के लिये एक प्रोत्साहन देता है।
- इससे उत्पन्न धन को 'डर्टी मनी' कहा जाता है। मनी लॉन्ड्रिंग ''डर्टी मनी'' को 'वैध' धन के रूप में प्रकट करने के लिये रूपांतरण की प्रक्रिया है।
- मनी लॉन्ड्रिंग का अभिप्राय अवैध रूप से अर्जित आय को छिपाना या बदलना है ताकि वह वैध स्रोतों से उत्पन्न प्रतीत हो। यह अक्सर मादक पदार्थों की तस्करी, डकैती या ज़बरन वसूली जैसे अन्य गंभीर अपराधों का एक घटक है।
- चरण:
- प्लेसमेंट: यह मनी लॉन्ड्रिंग का पहला चरण है, इसके तहत अपराध से संबंधित धन का औपचारिक वित्तीय प्रणाली में प्रवेश कराया जाता है।
- लेयरिंग: दूसरे चरण में मनी लॉन्ड्रिंग में प्रवेश कराए गए पैसे की ‘लेयरिंग’ की जाती है और उस पैसे के अवैध उद्गम स्रोत को छिपाने के लिये विभिन्न लेन-देन प्रक्रियाओं में शामिल किया जाता है।
- एकीकरण: तीसरे और अंतिम चरण में धन को वित्तीय प्रणाली में इस प्रकार से शामिल किया जाता है कि इसके अपराध के साथ मूल जुड़ाव को समाप्त कर धन को अपराधी द्वारा पुनः वैध तरीके से उपयोग किया जा सके।
धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002:
- पृष्ठभूमि:
- धन शोधन के खतरे से निपटने के लिये भारत की वैश्विक प्रतिबद्धता (वियना कन्वेंशन) के जवाब में PMLA अधिनियमित किया गया था। इसमे शामिल है:
- नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थों में अवैध तस्करी के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन 1988
- सिद्धांतों का बेसल वक्तव्य, 1989
- मनी लॉन्ड्रिंग पर वित्तीय कार्रवाई टास्क फोर्स की चालीस सिफारिशें, 1990
- वर्ष 1990 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाई गई राजनीतिक घोषणा और वैश्विक कार्रवाई कार्यक्रम।
- धन शोधन के खतरे से निपटने के लिये भारत की वैश्विक प्रतिबद्धता (वियना कन्वेंशन) के जवाब में PMLA अधिनियमित किया गया था। इसमे शामिल है:
- परिचय:
- यह आपराधिक कानून है जो धन शोधन/मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने और मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित मामलों से प्राप्त या इसमें शामिल संपत्ति की जब्ती का प्रावधान करने के लिये बनाया गया है।
- यह मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिये भारत द्वारा स्थापित कानूनी ढाँचे का मूल है।
- इस अधिनियम के प्रावधान सभी वित्तीय संस्थानों, बैंकों (RBI सहित), म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियों और उनके वित्तीय मध्यस्थों पर लागू होते हैं।
- PMLA में हाल के संशोधन:
- अपराध से अर्जित आय की स्थिति के बारे में स्पष्टीकरण: अपराध से अर्जित आय (Proceeds of crime) में न केवल अनुसूचित अपराध से प्राप्त संपत्ति शामिल है, बल्कि किसी भी आपराधिक गतिविधि से संबंधित या अनुसूचित अपराध के समान किसी भी आपराधिक गतिविधि में शामिल होकर प्राप्त की गई कोई अन्य संपत्ति भी शामिल होगी।
- मनी लॉन्ड्रिंग की परिभाषा में परिवर्तन: इससे पूर्व मनी लॉन्ड्रिंग एक स्वतंत्र अपराध नहीं था, बल्कि अन्य अपराध पर निर्भर था, जिसे विधेय अपराध या अनुसूचित अपराध (Predicate offence or Scheduled offence) के रूप में जाना जाता है।
- संशोधन ने मनी लॉन्ड्रिंग को स्वयं में विशिष्ट अपराध मानने का प्रयास किया है।
- PMLA की धारा 3 के तहत उस व्यक्ति पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया जाएगा यदि वह व्यक्ति किसी भी तरह से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपराध से अर्जित आय से संलग्न है।
- आय छिपाना
- स्वामित्व
- अधिग्रहण
- बेदाग संपत्ति के रूप में उपयोग करना या पेश करना
- बेदाग संपत्ति के रूप में दावा करना
- अपराध की निरंतर प्रकृति: इस संशोधन में आगे उल्लेख किया गया है कि उस व्यक्ति को मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में उस स्तर तक शामिल माना जाएगा जहाँ तक उस व्यक्ति को मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित गतिविधियों का फल मिल रहा है क्योंकि यह अपराध निरंतर प्रकृति का है।
प्रवर्तन निदेशालय:
- इतिहास:
- प्रवर्तन निदेशालय या ED एक बहु-अनुशासनात्मक संगठन है जो आर्थिक अपराधों की जाँच और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन के लिये अनिवार्य है।
- इस निदेशालय की स्थापना 1 मई, 1956 को हुई, जब विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम, 1947 (फेरा '47) के तहत विनिमय नियंत्रण कानून के उल्लंघन से निपटने के लिये आर्थिक मामलों के विभाग में एक 'प्रवर्तन इकाई' का गठन किया गया।
- आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया की शुरुआत के साथ, FERA’1973 (जो एक नियामक कानून था) निरस्त कर दिया गया और इसके स्थान पर एक नया कानून-विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (FEMA) लागू किया गया।
- हाल ही में विदेशों में शरण लेने वाले आर्थिक अपराधियों से संबंधित मामलों की संख्या में वृद्धि के साथ सरकार ने भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 (FEOA) पारित किया है और ED को इसे लागू करने का कार्य सौंपा गया है।
- कार्य:
- मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम, 2002 (PMLA):
- इसके तहत धन शोधन के अपराधों की जाँच करना, संपत्ति की कुर्की और जब्ती की कार्रवाई करना और मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा चलाना शामिल हैं।
- विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 (FEMA):
- इसके तहत फेमा के उल्लंघन के दोषियों की जाँच की जाती है और दोषियों पर जुर्माना लगाया जा सकता है।
- भगोड़े आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 (FEOA):
- इस अधिनियम का उद्देश्य ऐसे भगोड़े आर्थिक अपराधियों की संपत्ति पर कब्ज़ा करना है जो भारतीय न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र से बाहर रहकर कानून की प्रक्रिया से बचने के उपाय खोजते हैं। ऐसी संपत्ति को केंद्र सरकार को सौंपा जाता है।
- COFEPOSA के तहत प्रायोजक एजेंसी:
- FEMA के उल्लंघन के संबंध में विदेशी मुद्रा और संरक्षण गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम, 1974 (COFEPOSA) के तहत निवारक निरोध के प्रायोजक मामले देखना।
- मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम, 2002 (PMLA):