प्रिलिम्स फैक्ट्स: 21 नवंबर, 2020
भारत-थाईलैंड समन्वित गश्ती
India-Thailand Coordinated Patrol
18-20 नवंबर, 2020 तक भारतीय नौसेना और रॉयल थाई नौसेना के बीच ‘भारत-थाईलैंड समन्वित गश्ती’ (India-Thailand Coordinated Patrol) अर्थात् ‘इंडो-थाई कॉर्पेट’ (Indo-Thai CORPAT) के 30वें संस्करण का संचालन किया गया।
प्रमुख बिंदु:
- इस ‘इंडो-थाई कॉर्पेट’ में भारत की तरफ से आईएनएस करमुक (Karmuk) जो स्वदेशी रूप से निर्मित मिसाइल कार्वेट (Corvette) है और थाईलैंड की तरफ से रॉयल थाई नौसेना के एचटीएमएस कराबुरी (Kraburi) ने भाग लिया।
- भारत-थाईलैंड के मध्य यह ‘इंडो-थाई कॉर्पेट’ संचालन भारत सरकार के रणनीतिक विज़न ‘सागर’ (Security and Growth for All in the Region -SAGAR) पर आधारित है। जिसके तहत हिंद महासागरीय क्षेत्र में EEZ निगरानी, मानवीय सहायता एवं आपदा राहत (Humanitarian Assistance and Disaster Relief- HADR) एवं अन्य क्षमता निर्माण गतिविधियों का संचालन किया जाता है।
- दोनों देशों की नौसेनाएँ वर्ष 2005 के बाद से समुद्री लिंक को मज़बूत बनाने के लिये वर्ष में दो बार अपनी अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा के साथ-साथ हिंद महासागर के रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण हिस्से को सुरक्षित रखने और वाणिज्यिक शिपिंग और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से ‘इंडो-थाई कॉर्पेट’ का आयोजन कर रही हैं।
- ‘इंडो-थाई कॉर्पेट’ दोनों नौसेनाओं के बीच समझ एवं पारस्परिकता को बढ़ाता है और अवैध तरीके से मछली पकड़ने, मादक पदार्थों की तस्करी, समुद्री आतंकवाद, समुद्री लूटपाट को रोकने के लिये सुविधा प्रदान करता है।
ई-चालान परियोजना
e-Challan Project
हाल ही में असम के मुख्यमंत्री द्वारा ‘ई-चालान परियोजना’ (e-Challan Project) के लिये आभासी न्यायालय (Virtual Court) की शुरुआत की गई।
प्रमुख बिंदु:
- इस परियोजना की शुरुआत भारत के उच्चतम न्यायालय की ई-समिति के तत्त्वावधान में गुवाहाटी उच्च न्यायालय की सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (Information and Communication Technology) समिति के सहयोग से असम सरकार द्वारा की गई है।
आभासी न्यायालय:
- आभासी न्यायालय भारत सरकार के कानून एवं न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग के साथ-साथ उच्चतम न्यायालय की ई-समिति की एक पहल है।
- आभासी न्यायालय एक ऑनलाइन न्यायालय है, जिसे आभासी न्यायाधीश (जो एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक एल्गोरिथम है) द्वारा प्रबंधित किया जाता है।
- इसके अधिकार क्षेत्र को पूरे राज्य में बढ़ाया जा सकता है और यह 24X7 घंटे कार्य करता है।
- आभासी न्यायालय द्वारा किसी मुकदमे की सुनवाई में न तो वादी न्यायालय में आएगा और न ही न्यायाधीश को किसी मामले में निर्णय देने के लिये न्यायालय में शारीरिक रूप से बैठना होगा।
- इस आभासी न्यायालय में संवाद केवल इलेक्ट्रॉनिक तरीके संभव होगा और सजा एवं आगे जुर्माने या मुआवजे का भुगतान भी ऑनलाइन होगा।
- इसमें केवल एकल प्रक्रिया की अनुमति है और कोई तर्क नहीं हो सकता है।
- इससे आरोपी द्वारा अपराध को शीघ्र कबूलना या इलेक्ट्रॉनिक रूप में सम्मन प्राप्त होने पर प्रतिवादी द्वारा हितों का शीघ्र अनुपालन संभव होता है।
- जुर्माने का भुगतान हो जाने पर ऐसे मामलों को समाप्त माना जा सकता है।
न्यायकौशल (NyayKaushal):
- यह महाराष्ट्र का दूसरा आभासी न्यायालय है जिसका उद्घाटन 31 अक्तूबर, 2020 को भारत के मुख्य न्यायाधीश अरविंद बोबडे और उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति डी. वाई.चंद्रचूड़ द्वारा नागपुर में न्यायिक अधिकारी प्रशिक्षण संस्थान (Judicial Officers Training Institute) में किया गया।
- वर्तमान में भारत में 9 आभासी न्यायालय कार्यरत हैं- दिल्ली (2 न्यायालय), हरियाणा (फरीदाबाद), महाराष्ट्र (पुणे और नागपुर), मद्रास, कर्नाटक (बंगलुरु), केरल (कोच्चि) और असम (गुवाहाटी)। ये सभी न्यायालय केवल ट्रैफिक चालान मामलों को निपटा रहे हैं।
‘ई-चालान परियोजना’ (e-Challan Project):
- ई-चालान समाधान केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की एक पहल है, जबकि इसके सॉफ्टवेयर को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (National Informatics Centre- NIC) द्वारा विकसित किया गया है।
- यह मैनुअल चालान की वर्तमान अवधारणा को इलेक्ट्रॉनिक रूप से निर्मित डिजिटल चालान से बदल देगा।
लाभ:
- आभासी न्यायालय के कारण नागरिकों को अदालतों में लंबी लाइनों में इंतजार करना नहीं पड़ेगा।
- यह नागरिकों के साथ-साथ न्यायिक अधिकारियों की कार्यक्षमता को बढ़ाएगा।
- आभासी न्यायालय के कारण असम में 10 न्यायाधीशों का कार्य केवल एकल न्यायाधीश द्वारा किया जाएगा और इस प्रकार 9 न्यायाधीशों को न्यायिक कार्य करने में लगाया जाएगा।
- ‘ई-चालान परियोजना’ के शुरू होने से राज्य में ट्रैफिक पुलिस और नागरिकों के मध्य होने वाले विवादों में कमी आएगी।
- यह यातायात पुलिस विभाग को अधिक जवाबदेह बनाएगा और भ्रष्टाचार में कमी लाएगा।
विश्वव्यापी रेडियो नेविगेशन प्रणाली
World Wide Radio Navigation System
भारत, ‘विश्वव्यापी रेडियो नेविगेशन प्रणाली’ (World Wide Radio Navigation System- WWRNS) के एक भाग के रूप में अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) द्वारा मान्यता प्राप्त अपने स्वतंत्र भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली (IRNSS) के साथ दुनिया का चौथा देश बन गया है।
प्रमुख बिंदु:
- 4 से 11 नवंबर, 2020 तक आयोजित अपनी हालिया बैठक के दौरान IMO की समुद्री सुरक्षा समिति ने IRNSS को विश्वव्यापी रेडियो नेविगेशन प्रणाली के एक घटक के रूप में मान्यता प्रदान की है।
- अन्य तीन देश जिनके पास IMO द्वारा मान्यता प्राप्त नेविगेशन प्रणाली हैं, वे संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस एवं चीन हैं।
- IMO ने विभिन्न देशों को अपने स्वयं के उपग्रह नेविगेशन सिस्टम को डिज़ाइन करने के लिये प्रोत्साहित किया है। IMO ने अब IRNSS को एक वैकल्पिक नेविगेशन मॉड्यूल के रूप में स्वीकार कर लिया है।
- पहले यह केवल पायलट आधार पर उपयोग में था किंतु अब सभी व्यापारिक जहाज़ इसका उपयोग करने के लिये अधिकृत हैं, यहाँ तक कि मछली पकड़ने के छोटे जहाज़ भी।
- अब अमेरिका के जीपीएस (GPS) और रूस के ग्लोनास (GLONASS) की तरह व्यापारिक जहाज़ों की जानकारी प्राप्त करने के लिये IRNSS का उपयोग किया जा सकेगा।
- IRNSS को हिंद महासागर में जहाज़ों के नेविगेशन में सहायता हेतु सटीक स्थिति सूचना सेवाएँ प्रदान करने के लिये डिज़ाइन किया गया था।
राष्ट्रीय नवजात सप्ताह 2020
National Newborn Week 2020
हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने ‘राष्ट्रीय नवजात सप्ताह 2020’ (National Newborn Week 2020) के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम की अध्यक्षता की, जिसे 15-21 नवंबर, 2020 तक मनाया जा रहा है, ताकि स्वास्थ्य क्षेत्र के प्रमुख प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में नवजात शिशु स्वास्थ्य के महत्त्व को सुदृढ़ किया जा सके।
थीम: ‘राष्ट्रीय नवजात सप्ताह 2020’ की थीम ‘’प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्र और प्रत्येक जगह, प्रत्येक नवजात शिशु के लिये गुणवत्ता, समानता, गरिमा’’ (Quality, Equity, Dignity for every newborn at every health facility and everywhere) है।
प्रमुख बिंदु:
- वर्ष 2014 में भारत पहला देश था जिसने भारत नवजात कार्य योजना (India Newborn Action Plan- INAP) की शुरुआत की थी जो नवजातों की मृत्यु और जन्म के समय मृत पाए जाने की समस्या को खत्म करने को लेकर ‘ग्लोबल एवरी न्यूबोर्न एक्शन प्लान’ (Global Every Newborn Action Plan) के अनुरूप है।
- भारत सरकार ने नवजात शिशुओं के जीवित रहने और उनके विकास को सुनिश्चित करने के लिये कई कार्यक्रम शुरू किये हैं जिनमें पोषण अभियान (Poshan Abhiyaan) की ‘अंब्रेला स्कीम’ के तहत आने वाले पोषण संबंधी पहलू भी शामिल हैं।
- नवजात शिशुओं से संबंधित शिकायत के निवारण के लिये ‘एनएनएम पोर्टल’ (NNM Portal), सुमन (SUMAN) योजना आदि की शुरुआत की गई है।
- INAP लक्ष्यों एवं रोडमैप योजना पर एक विस्तृत प्रगति कार्ड जारी करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने कहा कि भारत ने वर्ष 2017 के महत्त्वपूर्ण लक्ष्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया है।
- वर्ष 2017 के लिये नवजात मृत्यु दर (Newborn Mortality Rate- NMR) का निर्धारित लक्ष्य 24 (प्रति 1000 पर) था।
- वर्ष 2020 के लिये ‘स्टिल बर्थ रेट’ (Still Birth Rate- SBR) का निर्धारित लक्ष्य 19 (प्रति 1000 पर) है।
- नमूना पंजीकरण प्रणाली (Sample Registration System- SRS)-2018 के अनुसार, प्रति 1000 जीवित जन्म लिये शिशुओं में नवजात मृत्यु दर 23 है।
- इस अवसर पर नवजात शिशु स्वास्थ्य को लेकर व्यवहार परिवर्तन लाने एवं सूचना का प्रसार करने के लिये राष्ट्रीय नवजात सप्ताह आईईसी (National Newborn Week IEC) पोस्टर का भी अनावरण किया गया।
- साथ ही नवजात शिशु देखभाल से जुड़े स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की क्षमता निर्माण के लिये नवजात स्थिरीकरण इकाई (Newborn Stabilization Unit) और न्यूबोर्न केयर कॉर्नर (Newborn Care Corner) पर दो विशिष्ट रूप से डिज़ाइन किये गए प्रशिक्षण मॉड्यूल भी जारी किये गए।