प्रिलिम्स फैक्ट्स: 16 नवंबर, 2020
झारखंड का स्थापना दिवस
Jharkhand Foundation Day
15 नवंबर, 2020 को झारखंड राज्य का 20वाँ स्थापना दिवस तथा बिरसा मुंडा जयंती मनाई गई।
प्रमुख बिंदु:
- भारतीय संसद द्वारा बिहार पुनर्गठन अधिनियम, 2000 (Bihar Reorganization Act, 2000) पारित होने के बाद वर्ष 2000 में बिहार से अलग झारखंड राज्य की स्थापना की गई थी।
- इस दिन को आदिवासी नेता बिरसा मुंडा (Birsa Munda) की जयंती के रूप में मनाया जाता है, जिसे भगवान बिरसा (Bhagwan Birsa) के नाम से भी जाना जाता है।
झारखंड के बारे में:
- 15 नवंबर, 2000 को बिहार के दक्षिणी हिस्से को काटकर झारखंड की स्थापना भारत संघ के 28वें राज्य के रूप में हुई थी।
- इसमें छोटानागपुर का पठार तथा संथाल परगना के वन क्षेत्र आते हैं।
- इसके पूर्व में पश्चिम बंगाल, पश्चिम में उत्तर प्रदेश एवं छत्तीसगढ़, उत्तर में बिहार तथा दक्षिण में ओडिशा राज्य स्थित हैं।
बिरसा मुंडा (Birsa Munda):
- बिरसा मुंडा का जन्म वर्ष 1875 में हुआ था। वे मुंडा जनजाति के थे। बिरसा का मानना था कि उन्हें भगवान ने लोगों की भलाई और उनके दुःख दूर करने के लिये भेजा है, इसलिये वे स्वयं को भगवान मानते थे। उन्हें अक्सर 'धरती अब्बा' (Dharti Abba) या ‘जगत पिता’ के रूप में जाना जाता है।
- वर्ष 1899-1900 में बिरसा मुंडा के नेतृत्व में हुआ मुंडा विद्रोह छोटा नागपुर (झारखंड) के क्षेत्र में सर्वाधिक चर्चित विद्रोह था। इसे ‘मुंडा उलगुलान’ (विद्रोह) भी कहा जाता है।
- इस विद्रोह की शुरुआत मुंडा जनजाति की पारंपरिक व्यवस्था खूंटकटी की ज़मींदारी व्यवस्था में परिवर्तन के कारण हुई।
- इस विद्रोह में महिलाओं की भूमिका भी उल्लेखनीय रही।
- उन्होंने जनता को जागृत किया और ज़मींदारों एवं अंग्रेज़ों के खिलाफ विद्रोह किया।
- उन्होंने अंग्रेज़ों को करों और साहूकारों को ऋण/ब्याज का भुगतान न करने के लिये जनता को संगठित किया। इस प्रकार उन्होंने ब्रिटिश शासन के अंत और झारखंड में मुंडा शासन (तत्कालीन बंगाल प्रेसीडेंसी क्षेत्र) की स्थापना के लिये विद्रोह का नेतृत्त्व किया।
- उन्होंने दो सैन्य इकाइयों का गठन किया-
- एक सैन्य प्रशिक्षण एवं सशस्त्र संघर्ष के लिये।
- दूसरी प्रचार के लिये।
- उन्होंने धर्म को राजनीति से जोड़ दिया और एक राजनीतिक-सैन्य संगठन बनाने के उद्देश्य से प्रचार करते हुए गाँवों की यात्रा की।
- फरवरी 1900 में बिरसा मुंडा को सिंहभूम में गिरफ्तार कर राँची ज़ेल में डाल दिया गया जहाँ जून 1900 में उनकी मृत्यु हो गई।
- आदिवासियों के खिलाफ शोषण एवं भेदभाव के विरुद्ध उनके संघर्ष के कारण ही वर्ष 1908 में छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (Chotanagpur Tenancy Act) पारित किया गया, जिसने आदिवासी लोगों से गैर-आदिवासियों में भूमि के हस्तांतरण को प्रतिबंधित कर दिया।
क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल
Quick Reaction Surface-to-Air Missile
हाल ही में ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ (Defence Research and Development Organisation- DRDO) ने ओडिशा के तट पर चांदीपुर स्थित ‘इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज’ से ‘क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम’ (Quick Reaction Surface-to-Air Missile- QRSAM) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया।
प्रमुख बिंदु:
- यह प्रणाली पूरी तरह से स्वदेशी है। इस हथियार प्रणाली के तहत उपकरणों का निर्माण सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों- भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, भारत डायनामिक्स लिमिटेड और निजी कंपनी एलएंडटी के माध्यम से किया गया है।
- कई आधुनिक मिसाइलों की तरह QRSAM एक कनस्तर-आधारित प्रणाली है, जिसका अर्थ है कि यह विशेष रूप से डिज़ाइन किये गए डिब्बों के रूप में संग्रहीत एवं संचालित होती है।
- कनस्तर में अंदर के वातावरण को नियंत्रित किया जाता है, इस प्रकार इसके परिवहन एवं भंडारण को आसान बनाने के साथ-साथ हथियारों की शेल्फ लाइफ (Shelf Life) में भी काफी सुधार होता है।
- QRSAM एक छोटी दूरी की सतह-से-हवा में मार करने वाली मिसाइल (SAM) प्रणाली है। इसे मुख्य रूप से DRDO द्वारा डिज़ाइन एवं विकसित किया गया है ताकि दुश्मन के हवाई हमलों से सेना के बख्तरबंद कतार को सुरक्षा कवच प्रदान किया जा सके।
- संपूर्ण शस्त्र प्रणाली एक मोबाइल एवं गतिशील प्लेटफॉर्म से संबंधित है जो वायु सुरक्षा प्रदान करने में सक्षम है।
- इसे सेना में शामिल करने के लिये डिज़ाइन किया गया है और इसकी रेंज 25 से 30 किमी. है।
- इस प्रणाली में एक पूरी तरह से स्वचालित कमांड एवं नियंत्रण प्रणाली, दो रडार [एक्टिव एरे बैटरी सर्विलांस रडार (Active Array Battery Surveillance Radar), एक्टिव एरे बैटरी मल्टीफंक्शन रडार (Active Array Battery Multifunction Radar)] और एक लॉन्चर शामिल हैं।
- दोनों रडारों में ‘सर्च ऑन मूव’ और ‘ट्रैक ऑन मूव’ क्षमताओं के साथ 360 डिग्री कवरेज क्षमता है।
लोनार झील: रामसर साइट घोषित
Lonar’s meteor lake declared Ramsar site
हाल ही में महाराष्ट्र के बुलढाणा ज़िले की लोनार झील (Lonar lake) को रामसर स्थल (Ramsar Site) घोषित किया गया है, अर्थात् ‘इंटरनेशनल रामसर कन्वेंशन ऑन वेटलैंड्स’ (International Ramsar Convention on Wetlands) द्वारा ‘कंज़र्वेशन स्टेटस’ (Conservation Status) प्रदान किया गया है।
प्रमुख बिंदु:
- यह झील लोनार वन्यजीव अभयारण्य (Lonar Wildlife Sanctuary) का हिस्सा है।
- यह नासिक ज़िले में नंदुर मद्महेश्वर पक्षी अभयारण्य (Nandur Madhmeshwar Bird Sanctuary) जिसे जनवरी 2020 में रामसर स्थल घोषित किया गया था, के बाद राज्य का दूसरा रामसर स्थल है।
- ‘नंदुर मद्महेश्वर पक्षी अभयारण्य’ गोदावरी नदी के तट पर अवस्थित है।
- लोनार झील महाराष्ट्र के बुलढाणा ज़िले के लोनार में स्थित एक क्रेटर झील (Crater-Lake) है और इसका निर्माण प्लीस्टोसीन काल (Pleistocene Epoch) में उल्कापिंड के गिरने से हुआ था जो 1.85 किमी. के व्यास एवं 500 फीट की गहराई के साथ बेसाल्टिक चट्टानों से निर्मित है।
- यह एक अधिसूचित राष्ट्रीय भू-विरासत स्मारक (National Geo-heritage Monument) भी है। इस झील का पानी खारा एवं क्षारीय है।
- इस झील में गैर-सहजीवी नाइट्रोजन-फिक्सिंग रोगाणुओं (Non-Symbiotic Nitrogen-Fixing Microbes) जैसे- स्लैकिया एसपी (Slackia SP), एक्टिनोपॉलीस्पोरा एसपी (Actinopolyspora SP) और प्रवासी पक्षी जैसे- शेल्डक, ग्रेब, रूडी शेल्डक के रूप में समृद्ध जैविक विविधता पाई जाती है।
- इस स्थल पर 160 पक्षी, 46 सरीसृप और 12 स्तनपायी प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं।