OTT प्लेटफॉर्म एवं TRAI
संदर्भ:
हाल ही में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India- TRAI) ने दूर संचार क्षेत्र के ‘ओवर द टॉप' (Over The Top- OTT) प्लेटफार्मों के विनियमन हेतु नए दिशानिर्देश जारी करने के इनकार कर दिया है। गौरतलब है कि देश में दूरसंचार कंपनियों द्वारा लंबे समय से निशुल्क वाॅइस और मैसेजिंग सेवा देने वाले OTT प्लेटफार्मों विनियमन की मांग की जा रही थी।
प्रमुख बिंदु:
- ध्यातव्य है कि TRAI ने OTT प्लेटफार्मों के विनियमन हेतु किसी नए हस्तक्षेप की आवश्यकता से इनकार किया है। हालाँकि OTT प्लेटफार्मों के विनियमन के संदर्भ में लागू पूर्ववर्ती नियम अभी भी लागू रहेंगे।
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TRAI का यह निर्णय ‘टेलीकॉम रिलेटेड OTT’ से संबंधित है, इस निर्णय का प्रभाव मल्टीमीडिया रिलेटेड OTT’ पर नहीं पड़ेगा।
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OTT प्लेटफार्मों का प्रचलन बढ़ने के साथ ही देश में इंटरनेट डेटा की खपत में भी भारी वृद्धि देखने को मिली है।
- गौरतलब है कि वर्तमान में भारत में टेलीकॉम उपभोक्ताओं द्वारा औसत इंटरनेट डेटा खपत लगभग 12 जीबी (GB) है, जो पूरे विश्व में सबसे अधिक (खपत के आधार पर) है।
- हालाँकि दूर संचार कंपनियों और टेलीविजन प्रसारकों ने TRAI के इस निर्णय पर निराशा व्यक्त की है।
- इससे पहले नवंबर 2018 में TRAI ने OTT प्लेटफार्मों के विनियमन के संदर्भ में दूरसंचार कंपनियों और अन्य हितधारकों से कई मुद्दों पर अपने विचार रखने की मांग की थी।
OTT प्लेटफार्म:
OTT सेवाओं से आशय ऐसे एप या सेवाओं से जिनका उपयोग उपभोक्ताओं द्वारा इंटरनेट के माध्यम से किया जाता है। OTT शब्द का प्रयोग आमतौर पर वीडियो-ऑन-डिमांड प्लेटफॉर्म के संबंध में किया जाता है, लेकिन ऑडियो स्ट्रीमिंग, मैसेज सर्विस या इंटरनेट-आधारित वॉयस कॉलिंग सोल्यूशन के संदर्भ में भी इसका प्रयोग होता है।
OTT प्लेटफार्म के प्रकार:
- OTT प्लेटफार्म मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं।
- ‘मल्टीमीडिया रिलेटेड OTT’ ('Multimedia Related OTT): ऐसे OTT प्लेटफार्मों जो मल्टीमीडिया से संबंधी सेवाएँ उपलब्ध कराते हैं। जैसे-यट्यूब, नेटफ्लिक्स आदि।
- ‘एप रिलेटेड OTT’ ('App Related OTT): इस श्रेणी में उन OTT प्लेटफार्मों को रखा जाता है, जो उपभोक्ताओं को कोई जानकारी उपलब्ध कराते हैं या किसी अन्य प्रकार से उनकी सहायता करते हैं।
- ‘टेलीकॉम रिलेटेड OTT’ ('Telecom Related OTT): इस श्रेणी में उन OTT प्लेटफार्मों को रखा जाता है जो दूरसंचार, एसएमएस या मल्टीमीडिया मैसेज भेजने से संबंधी सेवाएँ उपलब्ध करते हैं। जैसे- व्हाट्सएप, वी चैट, गूगल डुओ आदि।
OTT प्लेटफार्मों का महत्त्व और निर्णय के लाभ:
- OTT प्लेटफार्मों पर किसी नए नियामकीय हस्तक्षेप को लागू न करने के निर्णय से इस क्षेत्र के विकास में सहायता प्राप्त होगी।
- OTT प्लेटफार्म नागरिकों तक विभिन्न सेवाओं की आपूर्ति के साथ ही देश की अर्थव्यवस्था को आगे ले जाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2015-16 में देश की जीडीपी में OTT प्लेटफार्मों ने लगभग 1.4 लाख करोड़ रुपए का योगदान दिया था जो वर्ष 2020 के अंत तक बढ़कर अनुमानतः 18 लाख करोड़ रुपए तक पहुँच जाएगा।
- COVID-19 महामारी के दौरान फिल्मों के प्रदर्शन से लेकर जागरूकता को बढ़ावा देने और अन्य आवश्यक सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित करने में OTT प्लेटफार्मों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा इससे रोज़गार के नए अवसर भी उत्पन्न हुए।
OTT प्लेटफार्मों के विनियमन की आवश्यकता:
- वर्तमान में देश में सक्रिय टेलीकॉम रिलेटेड OTT प्लेटफार्म दूर संचार कंपनियों के सामान ही कॉलिंग या मैसेजिंग की सेवाएँ उपलब्ध कराते हैं।
- सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार, यदि OTT प्लेटफार्मों (संचार से संबंधित) को विनियमित नहीं किया जाता है तो इससे दूरसंचार कंपनियों के हितों को क्षति होगी, क्योंकि OTT प्लेटफार्मों को दूर-संचार कंपनियों की तरह कठोर विनियामक या लाइसेंसिंग दिशा-निर्देशों का पालन नहीं करना पड़ता है।
विज्ञापन:
- वर्तमान में डिज़िटल विज्ञापन का बाज़ार 30% की वृद्धि दर के साथ देश में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला बाज़ार है परंतु इस बाज़ार में 70% हिस्सेदारी सोशल मीडिया कंपनियों (जैसे- गूगल, फेसबुक आदि) और अन्य विदेशी कंपनियों की है।
- भारतीय प्रसारकों द्वारा OTT क्षेत्र में शुरू किये गए प्रयासों (जैसे-वूट या हॉटस्टार आदि) का हस्तक्षेप डिजिटल विज्ञापन के क्षेत्र में बहुत ही सीमित है।
साइबर सुरक्षा संबंधी चुनौतियाँ:
- OTT प्लेटफार्म की पहुँच में वृद्धि के साथ ही इससे जुड़ी नई-नई चुनौतियाँ भी देखने को मिली हैं, गौरतलब है कि OTT प्लेटफार्मों का विनियमन सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79 के तहत किया जाता है।
- इन प्लेटफार्मों/सोशल मीडिया पर किसी भी कंटेंट या अन्य किसी आपत्तिजनक सामग्री की सूचना मिलने पर उसे तब तक नहीं हटाया जाता जबतक कि उन्हें किसी न्यायालय अथवा सरकारी एजेंसी से इस संदर्भ में निर्देश नहीं प्राप्त होता है।
- इस कानूनी प्रावधान का अपराधियों द्वारा भारी दुरुपयोग भी किया जाता है और ऐसे मामलों में छद्म नामों से बने फेक अकाउंट को बंद करना अपराधी की वास्तविक अवस्थिति का पता लगाना एक चुनौती बन जाता है।
टेलीविज़न बनाम OTT:
- OTT प्लेटफार्मों की लोकप्रियता में वृद्धि के साथ ही टेलिविज़न दर्शकों की संख्या में गिरावट देखने को मिली है।
- गौरतलब है कि वर्तमान में टेलीविज़न प्रसारकों पर कई प्रकार के नियामकीय प्रावधान किये गए हैं, ऐसे में OTT प्लेटफार्मों के लिये विनियमन हेतु आवश्यक दिशा-निर्देशों के अभाव से टेलीविजन प्रसारकों के हितों को क्षति हो सकती है।
- TRAI द्वारा पहले ही टेलीविज़न प्रसारकों को टीवी चैनलों के मूल्यों पर एक सीमा निर्धारित करने का निर्देश दिया था, इसके साथ ही टेलीविजन प्रसारकों को लाइसेंस शुल्क के रूप में भी अधिक धन खर्च करना पड़ता है।
- टेलीविज़न प्रसारकों को प्रसारण से पहले सेंसर सर्टिफिकेट प्राप्त करना होता है जबकि OTT प्लेटफार्मों के लिये इसमें भी छूट प्राप्त है।
- टेलीविज़न प्रसारकों के लिये विज्ञापन दिखाने की अवधि के संदर्भ में भी एक सीमा का निर्धारण किया गया है, जिसके तहत कोई भी प्रसारक एक घंटे के दौरान 12 मिनट से अधिक विज्ञापन नहीं दिखा सकता है।
- वर्तमान में अधिकांश युवा टीवी की अपेक्षा OTT को अधिक प्राथमिकता देते हैं, इसी प्रकार कम उम्र के छोटे बच्चे भी सीधे OTT प्लेटफार्मों से ही जुड़ते हैं।
कानूनी प्रावधान:
- देश में बनाई जाने वाली फिल्मों का विनियमन चलचित्र अधिनियम, 1952 (Cinematograph Act, 1952) के तहत किया जाता है, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (Central Board of Film Certification-CBFC) की स्थापना इसी अधिनियम के तहत की गई थी।
- इसी प्रकार टीवी चैनलों पर प्रसारित होने वाले सभी कार्यक्रमों एवं विज्ञापनों के लिये केबल टीवी नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 और इसके तहत दिये गए प्रावधानों का अनुपालन करना अनिवार्य होता है।
- हालाँकि वर्तमान में OTT प्लेटफार्मों के लिये इस प्रकार का कोई विशेष प्रावधान नहीं किया गया है।
- OTT प्रदाता ‘सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000’ की धारा 79 द्वारा नियंत्रित हैं, जहाँ मध्यवर्ती उत्तरदायित्व निहित हैं। इसलिये OTT सेवा प्रदाताओं को उस सामग्री के प्रवेश, संचरण और ग्रहण (Inception, Transmission and Reception) में संलग्न होने की आवश्यकता नहीं है जो उन्हें सामग्री के लिये उत्तरदायी नहीं बनाते हैं।
OTT प्लेटफार्म को छूट देने का कारण:
- विशेषज्ञों के अनुसार, OTT प्लेटफार्म अभी अपने विकास के प्रारंभिक चरण में हैं और वर्तमान में इनका पूरा विकास नहीं हुआ है।
- ऐसे में यदि वर्तमान में OTT प्लेटफार्मों पर अधिक सख्ती की जाती है तो इनका विकास प्रभावित हो सकता है और भविष्य में उपभोक्ताओं को इसका अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाएगा।
- साथ OTT प्लेटफार्मों पर उपलब्ध सेवाओं का लाभ लेने के लिये उपभोक्ताओं द्वारा उपयोग किये गए इंटरनेट डेटा का शुल्क दूर-संचार कंपनियों को प्राप्त होता है।
- TRAI के अनुसार, OTT दूरसंचार सेवाओं के संदर्भ में अंतराष्ट्रीय स्तर पर और विशेषकर ‘अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ’ (International Telecommunication Union- ITU) द्वारा किये जा रहे अध्ययनों के माध्यम से इस मामले में अधिक स्पष्टता आने के बाद इसपर नए सिरे से विचार किया जा सकता है।
- अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों के लिये संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी है। ITU की स्थापना वर्ष 1865 में की गई थी, वर्तमान में विश्व के 193 देश इस संघ के सदस्य हैं।
- गौरतलब है कि हाल ही में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ की बैठक में OTT प्लेटफार्मों के विनियमन के संदर्भ में और अधिक चर्चा करने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया।
दूर संचार कंपनियों और OTT प्लेटफार्म की सेवाओं में अंतर :
- दूरसंचार कंपनियों द्वारा लंबे समय से मांग की जा रही थी कि OTT प्लेटफार्म भी दूरसंचार कंपनियों के सामान ही सेवाएँ उपलब्ध कराती हैं ऐसे में उनपर भी सामान नियम लागू होने चाहिये।
- हालाँकि इस संदर्भ में कुछ लोगों का विचार अलग है, उनके अनुसार-
- दूरसंचार कंपनियाँ उपभोक्ताओं को फोन/मोबाइल नंबर जारी कर सकती हैं, बल्कि OTT प्लेटफार्म ऐसा नहीं कर सकते।
- दूरसंचार कंपनियाँ उपभोक्ताओं को इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराते हैं जबकि OTT प्लेटफार्म इंटरनेट के लिये दूरसंचार कंपनियों पर निर्भर रहते हैं।
- इंटरनेट कंपनियाँ एक नेटवर्क से दूसरे नेटवर्क के बीच संपर्क स्थापित कर सकती हैं जबकि OTT प्लेटफार्म के मामले में दो व्यक्तियों के बीच सामान प्लेटफार्म का होना आवश्यक है।
नेट न्यूट्रैलिटी और OTT प्लेटफार्म:
- वर्तमान में इंटरनेट मानव जीवन का एक महत्त्वपूर्ण अंग बन गया है ऐसे में नेट न्यूट्रैलिटी (Net Neutrality) के सिद्धांत के तहत इंटरनेट पहुँच को सभी के लिये संभव बनाने तथा इसे अधिक लोकतांत्रिक बनाने की मांग भी बढ़ी है।
- इंटरनेट पर उपलब्ध सुविधाओं को विनियमित करते समय नेट न्यूट्रैलिटी के मूल्यों को ध्यान में रखना बहुत ही आवश्यक है।
- इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्री का विनियमन करने का कार्य केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र का हिस्सा है।
आगे की राह:
- भारत में OTT प्लेटफार्म का विकास अभी प्राथमिक स्तर पर है ऐसे में इनके विकास के लिये सरकार को आवश्यक सहायता प्रदान की जानी चाहिये, हालाँकि इसके लिये आवश्यक सुरक्षा चिंताओं की अनदेखी नहीं की जानी चाहिये।
- सरकार द्वारा OTT प्लेटफार्म को दी गई नियमकीय छूट वर्तमान में उस क्षेत्र के विकास के लिये आवश्यक है परंतु OTT प्लेटफार्म को भी अपने ज़िम्मेदारी को समझते हुए अपनी सेवाओं के लिये स्वयं ही एक मानक या आचार सहिंता (Code of Conduct) का निर्धारण करना चाहिये।
अभ्यास प्रश्न: देश में ‘ओवर द टॉप' (Over The Top- OTT) प्लेटफाॅर्म के प्रचलन के लाभ और इससे उत्पन्न चुनौतियों को रेखांकित करते हुए OTT प्लेटफार्मों के विनियम हेतु नए प्रावधानों की आवश्यकता की समीक्षा कीजिये।