गिद्ध प्रजातियों के संरक्षण प्रजनन पर राष्ट्रीय समीक्षा बैठक आयोजित
चर्चा में क्यों?
हाल ही में गिद्ध संरक्षण प्रजनन केंद्र (VCBC), पिंजौर, हरियाणा में सेंट्रल जू अथॉरिटी (CZA) ने बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS) के साथ भारत में गिद्ध प्रजातियों के संरक्षण प्रजनन पर एक राष्ट्रीय समीक्षा बैठक आयोजित की।
प्रमुख बिंदु
- एक सरकारी प्रवक्ता के अनुसार, इस कार्यक्रम में गिद्ध संरक्षण प्रजनन केंद्र, पिंजौर समन्वयक चिड़ियाघर और पाँच अन्य चिड़ियाघर- नंदनकानन जैविक उद्यान, भुवनेश्वर (ओडिशा), वन विहार राष्ट्रीय उद्यान और चिड़ियाघर, भोपाल (मध्य प्रदेश), सक्करबाग चिड़ियाघर, जूनागढ़ (गुजरात), नेहरू प्राणी उद्यान, हैदराबाद (तेलंगाना) और असम राज्य चिड़ियाघर, गुवाहाटी (असम) कार्यक्रम में भाग लेने वाले चिड़ियाघर हैं।
- सरकारी प्रवक्ता ने कहा कि राजाभटखावा (पश्चिम बंगाल) और VCBC, रानी (असम) केंद्र जो संबंधित राज्य सरकारों के सहयोग से स्थापित किये गए हैं, ने भी बैठक में भाग लिया।
- इस समीक्षा बैठक में सभी केंद्रों के निदेशकों, पशु चिकित्सकों या जीवविज्ञानियों ने भाग लिया। इस दौरान VCBC, पिंजौर द्वारा विकसित एक ‘मैनुअल फॉर वल्चर कीपर्स’ जारी किया गया।
- बैठक में सिफारिश की गई कि भारत में गिद्ध संरक्षण के लिये कार्य योजना (APVC), 2020-2025 में संरक्षण के लिये पहचान की गई दो अतिरिक्त प्रजातियों- लाल सिर वाले गिद्ध (सरकोजिप्स कैल्वस) और मिस्र के गिद्ध (नियोफ्रॉन पर्कोनोप्टेरस) को समन्वित संरक्षण प्रजनन के तहत लिया जा सकता है।
- उल्लेखनीय है कि नब्बे के दशक के मध्य में गिद्धों की तीन जिप्स प्रजातियों- सफेद पीठ वाले, लंबी चोंच वाले और पतले बिल वाले की आबादी में डिक्लोफेनाक के उपयोग के कारण भारी गिरावट आई। उनकी संभावित विलुप्ति को रोकने के लिये CZDA ने वर्ष 2006 में गिद्ध संरक्षण हेतु कार्य योजना जारी करने के बाद इस कार्यक्रम की शुरुआत की थी।