भारतीय रेलवे का 'नेट ज़ीरो’ उत्सर्जन लक्ष्य
प्रीलिम्स के लिये:रेलवे की 'नेट ज़ीरो’ योजना मेन्स के लिये:रेलवे का विद्युतीकरण |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय रेलवे ने ‘भारतीय रेल परिवहन नेटवर्क’ को वर्ष 2030 'नेट ज़ीरो' (Net Zero) कार्बन उत्सर्जन वाली इकाई बनाने की दिशा में अनेक कदम उठाए हैं।
प्रमुख बिंदु:
- भारतीय रेलवे द्वारा पूरे रेल नेटवर्क को वर्ष 2024 तक पूरी तरह से विद्युत से संचालित करने तथा वर्ष 2030 तक नेट-शून्य उत्सर्जन नेटवर्क बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
- सरकार इन पहलों को ‘मिशन मोड कार्यक्रम’ के तहत क्रियान्वित कर रही है।
- भारत इसके लिये ब्राज़ील जैसे देशों के सहयोग स्थापित करेगा ताकि स्वच्छ ऊर्जा, स्टार्टअप, मूल्य श्रृंखला आदि में निवेश बढ़ाने में मदद मिल सके।
भारतीय रेलवे से संबंधित महत्त्वपूर्ण जानकारी:
- भारतीय रेलवे लाइनों की कुल लंबाई लगभग 125,000 किमी. तथा रेलमार्गों की कुल लंबाई लगभग 68,000 किमी. है।
- मार्च 2019 तक केवल 35,488 किमी. लंबाई के रेलवे मार्ग का विद्युतीकरण हो पाया है।
पहल के उद्देश्य:
- ‘अत्मानिर्भार भारत अभियान’ इस पहल में मुख्य प्रेरक की भूमिका निभाएगा।
- भारतीय रेलवे को पूरी तरह से हरित परिवहन बनाने के लिये सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया जाएगा।
रेलवे द्वारा उठाए गए कदम:
- हरित ऊर्जा खरीद:
- भारतीय रेलवे हरित ऊर्जा खरीद के मामले में अग्रणी रहा है। इसने विभिन्न सौर परियोजनाओं यथा रायबरेली (उत्तर प्रदेश ) में स्थापित 3 मेगावाट के सौर संयंत्र से ऊर्जा खरीद शुरू कर दी है।
- सौर परियोजनाओं की स्थापना:
- भारतीय रेलवे के विभिन्न स्टेशनों और भवनों पर लगभग 100 मेगावाट वाले सौर पैनल स्थापित करने का कार्य प्रगति पर है।
- खाली पड़ी भूमि का उपयोग:
- भारतीय रेलवे की विद्युत ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये भूमि आधारित सौर संयंत्रों के निर्माण पर भी कार्य कर रहा है। ऐसी दो पायलट परियोजनाएँ भिलाई (छत्तीसगढ़) तथा दीवाना (हरियाणा) में कार्यान्वित की जा रही हैं। जिनके 31 अगस्त, 2020 तक शुरू होने की उम्मीद है।
डायरेक्ट करंट (DC) को अल्टरनेटिंग करंट (AC) में बदलने की विशेष तकनीक:
- बीना (मध्य प्रदेश) में ओवरहेड ट्रैक्शन सिस्टम पर आधारित विशेष संयत्र स्थापित किया गया है। इसके 15 दिनों के भीतर चालू होने की संभावना है।
- यह 'भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड' तथा भारतीय रेलवे की पहल है।
- रेलवे के ओवरहेड ट्रैक्शन सिस्टम को सीधे फीड करने के लिये DC को सिंगल फेज़ AC में बदलने के लिये अभिनव तकनीक को अपनाया गया है।
- यह परियोजना BHEL द्वारा अपनी कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी के तहत शुरू की गई थी।
- इसे BHEL द्वारा ‘कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी’ (CSR) योजना के तहत शुरू किया गया है।
रेलवे के समक्ष चुनौतियाँ:
- रूफटॉप सोलर मॉड्यूल को बारिश, धूल भरी आँधी और बर्फ जैसी चरम मौसम स्थितियों में सुरक्षित रख पाना बहुत मुश्किल है।
- उत्पादित सौर ऊर्जा के भंडारण तथा इसके उपयोग करने के समक्ष अनेक तकनीकी चुनौतियाँ हैं।
- ‘नेट शून्य’ उत्सर्जन एक दूरगामी लक्ष्य है, वर्तमान में रेलवे लाइनों का 100%विद्युतीकरण ही एक प्रमुख चुनौती बना हुआ है।
पहल का महत्त्व:
- भारतीय रेलवे द्वारा प्रारंभ 'नेट शून्य' उत्सर्जन पहल भारत की जलवायु परिवर्तन की चुनौती के खिलाफ प्रारंभ पहलों में से एक है।
- रेलवे की पहल से भारत के ‘राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान’ (INDCs) लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद मिलेगी।
- रेलवे लाइनों के साथ सौर परियोजनाओं की स्थापना रेलवे लाइनों के अतिक्रमण को रोकने, गाड़ियों की गति और सुरक्षा को बढ़ाने में मदद मिलेगी।