आसियान बैठक में भारत की भागीदारी
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संगठन (Association of Southeast Asian Nations- ASEAN) की बैठकों के लिये भारत के विदेश मंत्री (EAM) की वियनतियाने, लाओस की यात्रा ने काफी ध्यान आकर्षित किया। इस यात्रा ने द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने के उद्देश्य से कई वैश्विक नेताओं के साथ उच्च-स्तरीय संवाद के लिये एक मंच प्रदान किया है।
ASEAN बैठक की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- भारत की विदेश नीति में ASEAN: विदेश मंत्री ने ASEAN को भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी और इंडो-पैसिफिक विज़न की आधारशिला के रूप में महत्त्व दिया।
- वर्ष 2024 में भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी की घोषणा वर्ष 2014 में 9वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में की गई थी।
- इस नीति का उद्देश्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र के साथ वाणिज्य, संपर्क और क्षमता निर्माण, रणनीतिक एवं सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ाना है।
- भारत ASEAN साझेदारी को अपने राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग के लिये महत्त्वपूर्ण मानता है।
- नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के आधार पर एक स्वतंत्र, खुले, समावेशी और शांतिपूर्ण क्षेत्र को बढ़ावा देने में भारत के इंडो-पैसिफिक के लिये दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला।
- फोकस क्षेत्र: लोगों से लोगों के बीच संपर्क और द्विपक्षीय सहयोग का विस्तार करने पर चर्चा हुई।
- इस यात्रा का उद्देश्य साझेदारी को मज़बूत करना और क्षेत्र में आपसी हितों को आगे बढ़ाना है।
दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का संगठन (ASEAN) क्या है?
- परिचय: ASEAN एक क्षेत्रीय अंतर-सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना 8 अगस्त 1967 को बैंकॉक, थाईलैंड में हुई थी।
- संगठन को ASEAN घोषणा के माध्यम से औपचारिक रूप दिया गया था।
- जिस पर शुरू में इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड ने हस्ताक्षर किये थे।
- ASEAN का विस्तार करके इसमें ब्रुनेई दारुस्सलाम (वर्ष 1984), वियतनाम (वर्ष 1995), लाओस PDR और म्याँमार (वर्ष 1997) तथा कंबोडिया (वर्ष 1999) को शामिल किया गया।
- यह क्षेत्र विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है; माना जाता है कि वर्ष 2050 तक यह विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी।
- हाल के वर्षों में सदस्यों राष्ट्रों के बीच आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देना इस ब्लॉक की सबसे बड़ी सफलता रही है। इसने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी, विश्व के सबसे बड़े मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता करने में भी मदद की।
- ASEAN चार्टर (वर्ष 2008): ASEAN को एक कानूनी दर्जा और संस्थागत ढाँचा प्रदान किया गया। इसने मानदंडों, नियमों और मूल्यों को संहिताबद्ध किया, जिससे जवाबदेही एवं अनुपालन में वृद्धि हुई।
- ASEAN शिखर सम्मेलन: सर्वोच्च नीति-निर्माण निकाय (जिसमें ASEAN के सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष या सरकार प्रमुख शामिल होते हैं) का वर्ष में दो बार सम्मलेन होता है।
- पहला शिखर सम्मेलन वर्ष 1976 में इंडोनेशिया के बाली में आयोजित किया गया था।
- भारत-ASEAN संबंध:
- भारत ने वर्ष 1992 में ‘क्षेत्रीय वार्ता साझेदार’ के रूप में और उसके बाद वर्ष 1995 में "वार्ता साझेदार" के रूप में ASEAN के साथ औपचारिक साझेदारी शुरू की।
- साझेदारी को वर्ष 2012 में रणनीतिक साझेदारी और वर्ष 2022 में व्यापक रणनीतिक साझेदारी में उन्नत किया गया।
- भारत ने वर्ष 1992 में ‘क्षेत्रीय वार्ता साझेदार’ के रूप में और उसके बाद वर्ष 1995 में "वार्ता साझेदार" के रूप में ASEAN के साथ औपचारिक साझेदारी शुरू की।
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र
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UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त में से कौन-से देश आसियान के 'मुक्त-व्यापार भागीदारों' में शामिल हैं? (a) 1, 2, 4 और 5 उत्तर: (c) प्रश्न. भारत निम्नलिखित में से किसका/किनका सदस्य है? (2015)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) प्रश्न. 'रीज़नल काम्प्रिहेन्सिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (Regional Comprehensive Economic Partnership)' पद प्रायः समाचारों में देशों के एक समूह के मामलों के संदर्भ में आता है। देशों के उस समूह को क्या कहा जाता है? (2016) (a) G- 20 उत्तर: (b) |