कनेक्टिविटी परियोजनाएँ: भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया
प्रिलिम्स के लिये:आसियान, बांग्लादेश-चीन-भारत-म्याँमार (BCIM) कॉरिडोर, भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता, भारत, म्याँमार और थाईलैंड मोटर वाहन समझौता, कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांज़िट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट मेन्स के लिये:भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया में कनेक्टिविटी परियोजनाओं का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ‘भारत-आसियान कनेक्टिविटी साझेदारी के भविष्य पर आसियान शिखर सम्मेलन’ में भारत सरकार ने भारत और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के बीच सीमा पार कनेक्टिविटी के महत्त्व को रेखांकित किया।
- आसियान 10 दक्षिण-पूर्व एशियाई राज्यों- ‘ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम का एक संगठन है।
प्रमुख बिंदु
- भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया के बीच कनेक्टिविटी
- भारत वर्तमान में आसियान के साथ भूमि, जल और वायु के माध्यम से कई कनेक्टिविटी परियोजनाओं पर काम कर रहा है।
- कनेक्टिविटी के माध्यम से आसियान-भारत संबंधों को महत्त्व देने से इस क्षेत्र के भू-राजनीतिक परिदृश्य में धीरे-धीरे बदलाव आएगा।
- इस संदर्भ में भारत अब पूर्वोत्तर भारत में सक्रिय रूप से बुनियादी ढाँचे का विकास कर रहा है।
- बांग्लादेश-चीन-भारत-म्याँमार (BCIM) कॉरिडोर इसी का हिस्सा है।
- ये कनेक्टिविटी परियोजनाएँ न केवल मौजूदा उग्रवाद पर अंकुश लगाएंगी, बल्कि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को अपनी आर्थिक क्षमता विकसित करने और भारत की मुख्य भूमि के साथ एकीकृत करने में भी मदद करेंगी।
- इसके अलावा भारत-आसियान मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) अपने पूर्वी पड़ोसियों के साथ भारत के बढ़ते जुड़ाव का केंद्र है।
- यह सीमावर्ती क्षेत्रों में छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों को व्यापार के नए अवसर तलाशने में सक्षम बनाएगा।
- क्रॉस कनेक्टिविटी परियोजनाओं के उदाहरण:
- भारत-म्याँमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग:
- यह आसियान और भारत के मध्य भूमि संपर्क हेतु प्रमुख परियोजनाओं में से एक है।
- वर्ष 2002 में पहली बार भारत के मोरेह (मणिपुर) को थाईलैंड के माई सॉट (Mae Sot) और माई सॉट को म्याँमार से जोड़ने का प्रस्ताव लाया गया।
- इसके अलावा भारत, म्याँमार और थाईलैंड मोटर वाहन समझौता (IMT MVA) अंतिम चरण में है।
- इसके पूर्ण होने पर यह दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया के मध्य पहला सीमा पार सुविधा समझौता बन जाएगा।
- भारत-म्याँमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग:
- कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांज़िट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट (KMMTTP):
- जल मार्ग के माध्यम से कनेक्टिविटी विकसित करने हेतु आसियान और भारत KMMTTP पर कार्य कर रहे हैं।
- इसे वर्ष 2008 में भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया था और पूरी तरह से भारत द्वारा वित्तपोषित है।
- भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में म्याँमार से माल के परिवहन हेतु एक वैकल्पिक मार्ग की तलाश करना।
- यह भारत के कोलकाता को क्रमशः समुद्र और नदी द्वारा म्याँमार के सितवे (Sittwe) और पलेटवा (Paletwa) से जोड़ता है।
- इस पहल के साथ-साथ, भारत ने बांग्लादेश के माध्यम से एक वैकल्पिक पारगमन मार्ग हेतु म्याँमार के सितवे बंदरगाह के माध्यम से एक समुद्री लिंक को विकसित करने में सहयोग दिया है।
- मेकांग-भारत आर्थिक गलियारा (MIEC):
- इसमें भारत के साथ चार ‘मेकांग देशों’ यथा- वियतनाम, म्याँमार, थाईलैंड और कंबोडिया का एकीकरण शामिल है, जो ‘हो ची मिन्ह सिटी’, ‘दावेई’, ‘बैंकॉक’ और ‘नोम पेन्ह’ को चेन्नई से जोड़ता है।
- यह कॉरिडोर भागीदार देशों को बुनियादी अवसंरचना के विकास, अपने आर्थिक आधार को बढ़ाने और विशेष रूप से भारत एवं आसियान देशों के बीच ट्रांज़िट दूरी को कम करने के अवसर प्रदान करेगा।
आगे की राह
- त्रिपक्षीय राजमार्ग का विस्तार: त्रिपक्षीय राजमार्ग को कंबोडिया, लाओस और वियतनाम तक बढ़ाया जा सकता है। यह अपने पूर्वी पड़ोसियों के साथ भारत के पूर्वोत्तर के अधिक संपर्क एवं आर्थिक एकीकरण को सक्षम करेगा।
- डिजिटल हाईवे: दो क्षेत्रों के बीच वस्तुओं की आवाजाही और भौतिक कनेक्टिविटी के अलावा उनके बीच डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के तरीकों का पता लगाना भी महत्त्वपूर्ण हो गया है।
- यह भारत को वैश्विक डेटा हब में बदलने के भारत सरकार के प्रयासों के अनुरूप है।
- समुद्री संपर्क में सुधार: "सागरमाला" परियोजना की शुरुआत के साथ भारत समुद्र के माध्यम से बेहतर एकीकरण और कनेक्टिविटी के लिये बंदरगाह के बुनियादी ढाँचे में निवेश करने की योजना बना रहा है। यह भारत-आसियान कनेक्टिविटी परियोजनाओं को बढ़ाने की दिशा में एक उत्साहजनक कदम है।