अंतर्राष्ट्रीय संबंध
आसियान-भारत आर्थिक मंत्रियों की परामर्श बैठक
- 31 Aug 2020
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:आसियान-भारत व्यापार परिषद, रूल्स ऑफ ओरिजिन, आसियान मेन्स के लिये:भारत-आसियान द्विपक्षीय व्यापार |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ‘आसियान-भारत आर्थिक मंत्रियों की 17वीं परामर्श बैठक’ (17th ASEAN-India Economic Ministers Consultations) का आयोजन किया गया।
प्रमुख बिंदु:
- इस बैठक का आयोजन 29 अगस्त, 2020 को ‘भारतीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री’ तथा वियतनाम के उद्योग एवं व्यापार मंत्री की सह अध्यक्षता में किया गया था।
- इस बैठक में सभी 10 आसियान (ASEAN) देशों (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्याँमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम) के व्यापार मंत्रियों ने हिस्सा लिया।
- बैठक में शामिल सभी देशों ने COVID-19 महामारी के कारण उत्पन्न हुई आर्थिक चुनौतियों को कम करने हेतु मिलकर कार्य करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है।
- साथ ही सभी देशों ने ‘विश्व व्यापार संगठन’ (World Trade Organisation- WTO) के नियमों के तहत क्षेत्र में अतिआवश्यक वस्तुओं और दवाओं आदि के निर्बाध प्रवाह हेतु वित्तीय स्थिरता तथा आपूर्ति श्रृंखला की कनेक्टिविटी को सुनिश्चित करने का संकल्प लिया।
व्यापार समझौते की समीक्षा:
- इस बैठक के दौरान ‘आसियान-भारत व्यापार परिषद’ (ASEAN-India Business Council or AIBC) की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।
- AIBC की रिपोर्ट में सभी देशों के पारस्परिक लाभ हेतु आसियान भारत वस्तु व्यापार समझौता (ASEAN India Trade in Goods Agreement- AITIGA) की समीक्षा का सुझाव दिया गया है।
- बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों को समीक्षा पर विचार विमर्श शुरू करने का निर्देश दिया गया है जिससे मुक्त-व्यापार समझौते को व्यवसायों के लिये और अधिक आसान, सुविधाजनक और अनुकूल बनाया जा सके।
- इस समीक्षा के माध्यम से समकालीन व्यापार सुविधा प्रथाओं को अपनाकर और सीमा-शुल्क तथा विनियामक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित कर समझौते को आधुनिक बनाया जाएगा।
- केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने इस समझौते को बेहतर बनाने के लिये कई सुधारों की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-
- गैर-शुल्क प्रतिबंधों को दूर करना।
- बाज़ार पहुंच को बेहतर बनाना।
- ‘रूल्स ऑफ ओरिजिन’ (Rules of Origin) के प्रावधानों को मज़बूत करना।
‘आसियान भारत व्यापार परिषद’
(ASEAN-India Business Council or AIBC):
- आसियान भारत व्यापार परिषद की स्थापना मार्च 2003 में कुआलालंपुर (मलेशिया) में की गई थी।
- आसियान भारत व्यापार परिषद की स्थापना का उद्देश्य भारत और आसियान देशों के निजी क्षेत्र के उद्यमियों के बीच संपर्क स्थापित कराने तथा विचारों के आदान-प्रदान हेतु एक मंच प्रदान करना था।
- AIBC के सचिवालय की स्थापना वर्ष 2015 में मलेशिया में की गई थी।
- आसियान-भारत आर्थिक मंत्रियों की वार्षिक बैठक के दौरान ‘आसियान भारत व्यापार परिषद’ की बैठक का भी आयोजन किया जाता है।
आसियान भारत वस्तु व्यापार समझौता
(ASEAN India Trade in Goods Agreement- AITIGA):
- यह भारत और आसियान समूह के बीच लागू एक मुक्त व्यापार समझौता है।
- भारत और आसियान देशों के बीच 13 अगस्त, 2009 को AITIGA पर हस्ताक्षर किये गए थे, यह समझौता 1 जनवरी 2010 को प्रभाव में आया था।
समीक्षा की आवश्यकता:
- इस समझौते के लागू होने के बाद हाल के वर्षों में आसियान के साथ भारत के वार्षिक व्यापार घाटे में वृद्धि हुई है।
- नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2011 (5 बिलियन अमेरिकी डॉलर) से लेकर वर्ष 2017 (10 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के बीच आसियान के साथ भारत का वार्षिक व्यापार घाटा बढ़कर दोगुना हो गया।
- गौरतलब है कि वर्तमान में आसियान के साथ भारत का वार्षिक व्यापार घाटा लगभग 24 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है।
- आसियान देशों के साथ भारत के व्यापार घाटे के कुछ कारणों में गैर-टैरिफ बाधाएँ, आयात संबंधी नियम, कोटा और निर्यात कर आदि प्रमुख हैं।
- विशेषज्ञों के अनुसार, आसियान देशों द्वारा ‘रूल्स ऑफ ओरिजिन’ के प्रावधानों के कमज़ोर क्रियान्वयन के कारण बड़ी मात्रा में चीनी उत्पादों को आसियान देशों के रास्ते भारत में पहुँचाया जाता है।
आगे की राह:
- आसियान-भारत मुक्त व्यापार समझौते की समीक्षा और इसका प्रभावी क्रियान्वयन दोनों पक्षों द्वारा वर्ष 2020 के लिये तय किये गए 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापार लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक होगा।
- भारत द्वारा आसियान देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते के तहत सेवा क्षेत्र को बढ़ावा दिये जाने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये।
- भारत द्वारा चिकित्सा, सूचना प्रौद्योगिकी और वित्तीय क्षेत्र की सेवाओं को बढ़ावा देकर व्यापार घाटे को कम करने में सहायता प्राप्त हो सकती है।
- साथ ही भारतीय बाज़ार में चीनी उत्पादों के हस्तक्षेप को कम करने के लिये ‘रूल्स ऑफ ओरिजिन’ के प्रावधानों का प्रभावी क्रियान्वयन बहुत ही आवश्यक है।
‘रूल्स ऑफ ओरिजिन’ (Rules of Origin):
- रूल्स ऑफ ओरिजिन, किसी उत्पाद के राष्ट्रीय स्त्रोत के निर्धारण के लिये आवश्यक मापदंड हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में ‘रूल्स ऑफ ओरिजिन’ बहुत ही महत्त्वपूर्ण है क्योंकि कई मामलों में वस्तुओं पर शुल्क और प्रतिबंध का निर्धारण ‘आयात के स्त्रोत पर निर्भर करता है।
- इसका प्रयोग ‘एंटी-डंपिंग शुल्क’ (Anti-Dumping Duty) या देश की वाणिज्य नीति के तहत अन्य सुरक्षात्मक कदम उठाने, व्यापार आँकड़े तैयार करने, सरकारी खरीद आदि में किया जाता है।