कार्बन पृथक्करण
प्रिलिम्स के लिये:कार्बन पृथक्करण मेन्स के लिये:कार्बन पृथक्करण, पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में महाराष्ट्र और ओडिशा में किये गए एक अध्ययन के अनुसार, मृदा कार्बन पृथक्करण जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद कर सकता है।
- अध्ययन सतत् विकास लक्ष्य 13 (एसडीजी 13: जलवायु कार्रवाई) के अनुरूप है जो जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों से निपटने के लिये तत्काल कार्रवाई करने से संबंधित है।
- अध्ययन से पता चला कि कैसे उर्वरक, बायोचर और सिंचाई का सही संयोजन संभावित रूप से मृदा कार्बन को 300% तक बढ़ा सकता है और जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद कर सकता है।
कार्बन पृथक्करण:
- परिचय:
- कार्बन पृथक्करण के तहत पौधों, मिट्टी, भूगर्भिक संरचनाओं और महासागर में कार्बन का दीर्घकालिक भंडारण होता है।
- कार्बन पृथक्करण स्वाभाविक रूप से मानव जनित गतिविधियों और कार्बन के भंडारण को संदर्भित करता है।
- प्रकार:
- स्थलीय कार्बन पृथक्करण:
- स्थलीय कार्बन पृथक्करण (Terrestrial Carbon Sequestration) वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से वायुमंडल से CO2 को प्रकाश संश्लेषण की क्रिया द्वारा पेड़-पौधों से अवशोषित कर मिट्टी और बायोमास (पेड़ की शाखाओं, पर्ण और जड़ों) में कार्बन के रूप में संग्रहीत किया जाता है।
- भूगर्भीय कार्बन पृथक्करण:
- इसमें CO2 का भंडारण किया जा सकता है, जिसमें तेल भंडार, गैस के कुओं, बिना खनन किये गए कोल भंडार, नमक निर्माण और उच्च कार्बनिक सामग्री के साथ मिश्रित संरचनाएंँ शामिल होती हैं।
- महासागरीय कार्बन पृथक्करण:
- महासागरीय कार्बन पृथक्करण द्वारा वातावरण से CO2 को बड़ी मात्रा में अवशोषित, मुक्त और संग्रहीत किया जाता है। इसके दो प्रकार हैं- पहला, लौह उर्वरीकरण (Iron Fertilization) के माध्यम से महासागरीय जैविक प्रणालियों की उत्पादकता बढ़ाना तथा दूसरा, गहरे समुद्र में CO2 को इंजेक्ट करना।
- लोहे की डंपिंग फाइटोप्लांकटन ( Phytoplankton) की उत्पादन दर को तीव्र करती है, परिणामस्वरूप फाइटोप्लांकटन प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को तीव्र कर देते हैं जो CO2 को अवशोषित करने में सहायक हैं।
- एक प्रस्तावित विधि महासागरीय पृथक्करण है जिसके द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड को समुद्र में गहराई से अंतःक्षिप्त किया जाता है, जिससे CO2 की झीलें बनती हैं। सिद्धांत रूप में, आसपास के पानी के दबाव और तापमान के कारण CO2 गहराई से नीचे रहेगा, धीरे-धीरे समय के साथ उस पानी में घुल जाएगा।
- एक अन्य उदाहरण भूवैज्ञानिक अनुक्रम है जहाँ कार्बन डाइऑक्साइड को पुराने तेल भंडारों, जलभृत और कोयला संस्तरों जैसे भूमिगत कक्षों में पंप किया जाता है जिनका खनन नहीं किया जा सकता है।
- स्थलीय कार्बन पृथक्करण:
कार्बन अनुक्रमण के विभिन्न तरीके:
- प्राकृतिक कार्बन अनुक्रमण:
- यह वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा प्रकृति ने हमारे वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का संतुलन प्राप्त किया है जो जीवन को बनाए रखने के लिये उपयुक्त है। जानवर कार्बन डाइऑक्साइड को वेसे ही बाहर निकालते हैं, जैसा कि रात के दौरान पौधे करते हैं।
- प्रकृति ने पेड़ों, महासागरों, पृथ्वी और जानवरों को कार्बन सिंक, या स्पंज के रूप में प्रदान किया है। इस ग्रह पर सभी जैविक जीवन कार्बन आधारित हैं और जब पौधे एवं जानवर मर जाते हैं, तो अधिकांश कार्बन ज़मीन पर वापस चला जाता है जहाँ ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देने में इसका बहुत कम प्रभाव हैै।
- कृत्रिम कार्बन अनुक्रमण:
- कृत्रिम कार्बन अनुक्रमण की कई प्रक्रियाओं को संदर्भित करता है जिससे कार्बन उत्सर्जन के उत्पादन बिंदु पर कब्ज़ा कर लिया जाता है और फिर इसे दबाया जाता है। (उदाहरण के लिये चिमनी फैक्ट्री)
- यह एक प्रस्तावित विधि महासागरीय अनुक्रम है जिससे कार्बन डाइऑक्साइड को समुद्र में गहराई से इंजेक्ट किया जाता है, जिससे CO2 की झीलें बनती हैं। CO2 आसपास के पानी के दबाव और तापमान के कारण गहराई में रहता है, धीरे-धीरे समय के साथ पानी में घुल जाता है।
- एक अन्य उदाहरण भूवैज्ञानिक अनुक्रमण है जहाँ कार्बन डाइऑक्साइड को भूमिगत कक्षों जैसे पुराने तेल जलाशयों, जलभृतों और कोयले की तह में पंप किया जाता है जो खनन करने में असमर्थ हैं।
कृषि के लिये एक व्यवहार्य विकल्प के रूप में कार्बन अनुक्रमण:
- जलवायु के अनुकूल: कार्बन फार्मिंग (कार्बन सीक्वेस्ट्रैट में ऐसे अभ्यास शामिल हैं जो उस दर में सुधार करने के लिये जानी जाती हैं जिस दर पर वातावरण से CO2 को हटाकर पौधों की सामग्री और मिट्टी के कार्बनिक पदार्थों में परिवर्तित कर दिया जाता है। यह ऐसे नए कृषि व्यवसाय मॉडल की संभावनाओं को साकार करने का प्रयास करता है जो जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करता है, रोज़गार सृजित करता है, सामान्य रूप से खेतों को अनुपयोगी होने से बचाता है।
- संक्षेप में, यह जलवायु समाधान, आय सृजन के अवसरों में वृद्धि और आबादी के लिये खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
- कार्बन कैप्चर का अनुकूलन: यह उन प्रथाओं को लागू करके सक्रिय परिदृश्य पर कार्बन कैप्चर को अनुकूलित करने के लिये एक संपूर्ण कृषि दृष्टिकोण है जो उस दर में सुधार करने के लिये जाने जाते हैं जिस पर वातावरण से CO2 को रिमूव करके पौधों/या मृदा कार्बनिक पदार्थों में संग्रहीत किया जाता है।
- यह हमारे किसानों को उनकी कृषि प्रक्रियाओं में पुनर्योजी कार्यप्रणालियों को शुरू करने के लिये प्रोत्साहित कर सकता है, जिससे उन्हें अपना ध्यान पैदावार में सुधार से लेकर कामकाजी पारिस्थितिक तंत्र और कार्बन पृथक्करण या कार्बन बाज़ारों में व्यापार करने के लिये स्थानांतरित करने में मदद मिलती है।
- कृषक वर्ग के अनुकूल: यह न केवल मृदा के स्वास्थ्य में सुधार करता है, बल्कि हाशिये के किसानों को कार्बन क्रेडिट से प्राप्त बढ़ी हुई आय के साथ-साथ बेहतर गुणवत्ता, जैविक और रासायनिक मुक्त भोजन (फार्म टू फोर्क मॉडल) भी प्रदान कर सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. निम्नलिखित कृषि पद्धतियों पर विचार कीजिये: (2012)
वैश्विक जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में उपर्युक्त में से कौन मिट्टी में कार्बन को अलग करने/भंडारण में मदद करता है? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) प्रश्न. कार्बन डाइऑक्साइड के मानवजनित उत्सर्जन के कारण होने वाले ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन कार्बन पृथक्करण के लिये संभावित स्थल हो सकता है? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) प्रश्न. कृषि में शून्य जुताई के क्या-क्या लाभ हैं? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (d) |