वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (VL-SRSAM) : DRDO | 08 Dec 2021
इस वर्ष फरवरी के बाद वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (VL-SRSAM) का लगातार दूसरी बार रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया गया।
- इसे चांदीपुर में इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (ITR) से लॉन्च किया गया था।
प्रमुख बिंदु
- VL-SRSAM के बारे में:
- यह एक त्वरित प्रतिक्रिया सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है जिसे भारतीय नौसेना के लिये DRDO द्वारा स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और विकसित किया गया है, जिसका उद्देश्य समुद्री-स्किमिंग लक्ष्यों सहित निकट सीमा पर विभिन्न हवाई खतरों को निष्क्रिय करना है।
- इस मिसाइल में 50 से किमी. की दूरी की परिचालन सीमा है और टर्मिनल चरण में फाइबर ऑप्टिक घूर्णाक्षदर्शी/जाइरोस्कोप (Gyroscope) और सक्रिय रडार होमिंग के माध्यम से मिड्कोर्स जड़त्वीय निर्देशन की सुविधा है।
- भविष्य के प्रक्षेपण हेतु आवश्यक नियंत्रक, कनस्तरीकृत उड़ान वाहन, हथियार नियंत्रण प्रणाली आदि के साथ वर्टिकल लॉन्चर यूनिट सहित सभी हथियार प्रणाली घटकों के एकीकृत ऑपेरशन को मान्य करने के लिये इस प्रणाली का शुभारंभ किया गया।
- भारतीय नौसेना के जहाज़ों से मिसाइल के भविष्य के प्रक्षेपण के लिये इन प्रणालियों का सफल परीक्षण महत्त्वपूर्ण है।
- यह हवाई खतरों के खिलाफ भारतीय नौसेना के जहाज़ों की रक्षा क्षमता को और बढ़ावा देगा। इसने भारतीय नौसैनिक जहाज़ों पर हथियार प्रणालियों के एकीकरण का मार्ग भी प्रशस्त किया है।
- विकास
- ‘रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन’ की प्रमुख इकाइयों जैसे ‘रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला’ (DRDL) तथा अनुसंधान केंद्र इमारत (RCI) और अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान आदि ने सिस्टम के विकास में योगदान दिया है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन:
- यह भारत को अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों के साथ सशक्त बनाने के दृष्टिकोण के साथ रक्षा मंत्रालय की अनुसंधान एवं विकास शाखा है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1958 में ‘रक्षा विज्ञान संगठन’ (DSO) के साथ भारतीय सेना के ‘तकनीकी विकास प्रतिष्ठान’ (TDE) और ‘तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय’ (DTDP) के संयोजन से की गई थी।