आईएनएस ‘वेला’ | 10 Nov 2021
हाल ही में ‘प्रोजेक्ट-75’ के तहत निर्मित चौथी स्कॉर्पीन सबमरीन 'आईएनएस वेला' भारतीय नौसेना को प्रदान की गई है।
प्रमुख बिंदु
- स्कॉर्पीन श्रेणी की सबमरीन:
- ‘प्रोजेक्ट-75’ के तहत शामिल स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियाँ ‘डीज़ल-इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम’ द्वारा संचालित होती हैं।
- स्कॉर्पीन सर्वाधिक परिष्कृत पनडुब्बियों में से एक है, जो एंटी-सरफेस शिप वॉरफेयर, पनडुब्बी रोधी युद्ध, खुफिया जानकारी एकत्र करने, खदान बिछाने और क्षेत्र-विशिष्ट की निगरानी सहित कई मिशनों को पूरा करने में सक्षम है।
- ‘स्कॉर्पीन’ श्रेणी जुलाई 2000 में रूस से खरीदे गए ‘आईएनएस सिंधुशास्त्र’ के बाद लगभग दो दशकों में नौसेना की पहली आधुनिक पारंपरिक पनडुब्बी शृंखला है।
- प्रोजेक्ट-75
- यह भारतीय नौसेना का एक कार्यक्रम है, जिसमें छह स्कॉर्पीन श्रेणी की ‘अटैक सबमरीन’ का निर्माण शामिल है।
- कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियों का डिज़ाइन ‘फ्रेंच स्कॉर्पीन श्रेणी’ की पनडुब्बियों पर आधारित है।
- इसे निर्माण के विभिन्न चरणों के दौरान रक्षा उत्पादन विभाग (रक्षा मंत्रालय) और भारतीय नौसेना द्वारा समर्थन किया जाता है।
- मझगाँव डॉक लिमिटेड (MDL) अक्तूबर, 2005 में हस्ताक्षरित 3.75 बिलियन अमेरिकी डॉलर के सौदे के तहत फ्राँस के नौसेना समूह से प्रौद्योगिकी सहायता प्राप्त करने के साथ छह स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है।
- ‘मझगाँव डॉक लिमिटेड’ शिपयार्ड रक्षा मंत्रालय के तहत एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है।
- परियोजना-75 के तहत अन्य सबमरीन:
- दो पनडुब्बियों- कलवरी और खांदेरी को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है।
- स्कॉर्पीन 'वागीर' का परीक्षण चल रहा है।
- छठी पनडुब्बी- आईएनएस ‘वाग्शीर’ निर्माणाधीन है।
- यह भारतीय नौसेना का एक कार्यक्रम है, जिसमें छह स्कॉर्पीन श्रेणी की ‘अटैक सबमरीन’ का निर्माण शामिल है।