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प्रिलिम्स फैक्ट्स


प्रारंभिक परीक्षा

प्रीलिम्स फैक्ट्स: 18 मार्च, 2020

  • 18 Mar 2020
  • 15 min read

केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक, 2019

THE CENTRAL SANSKRIT UNIVERSITIES BILL, 2019

हाल ही में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक, 2019 (THE CENTRAL SANSKRIT UNIVERSITIES BILL, 2019) को राज्यसभा से पास कर दिया गया। इस विधेयक को दिसंबर 2019 में लोकसभा द्वारा पारित किया गया था।

उद्देश्य:

  • इस विधेयक का उद्देश्य भारत के तीन डीम्ड संस्कृत विश्वविद्यालयों को केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालयों में परिवर्तित करना है। ये तीन डीम्ड संस्कृत विश्वविद्यालय निम्नलिखित हैं-
    • राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली
    • श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली
    • राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, तिरुपति

मुख्य बिंदु:

  • प्रस्तावित केंद्रीय विश्वविद्यालय निम्नलिखित कार्य करेंगे-
    • संस्कृत के उन्नत ज्ञान को बढ़ावा तथा उसका प्रचार-प्रसार करना।
    • मानविकी, सामाजिक विज्ञान एवं विज्ञान में एकीकृत पाठ्यक्रमों के लिये विशेष प्रावधान करना।
    • संस्कृत एवं संबद्ध विषयों के समग्र विकास एवं संरक्षण के लिये जनशक्ति को प्रशिक्षित करना।
  • सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों की तरह भारत का राष्ट्रपति केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालयों का कुलपति होगा। वह विश्वविद्यालय के कामकाज की समीक्षा एवं निरीक्षण करने के लिये व्यक्तियों को नियुक्त कर सकता है।
  • इन सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिये मुख्य कार्यकारी निकाय के रूप में एक कार्यकारी परिषद होगी। इस 15 सदस्यीय कार्यकारी परिषद में केंद्र द्वारा नियुक्त कुलपति जो इस परिषद का अध्यक्ष होगा तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय का एक संयुक्त सचिव और संस्कृत या संबद्ध विषयों के दो प्रतिष्ठित शिक्षाविद शामिल होंगे।

राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान

National Institute of Social Defence

केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री ने लोकसभा में बताया कि भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय (Ministry of Social Justice & Empowerment) द्वारा भीख मांगने वाले लोगों के उत्थान के

राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान (National Institute of Social Defence- NISD) को 1 करोड़ रुपए दिये गए हैं।

मुख्य बिंदु:

  • भारत सरकार के गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) के तहत राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान की स्थापना मूल रूप से वर्ष 1961 में केंद्रीय सुधारात्मक सेवाओं के ब्यूरो के रूप में की गई थी।
  • वर्ष 1964 में इस ब्यूरो को सामाजिक सुरक्षा विभाग (Department of Social Security) में स्थानांतरित कर दिया गया था।
  • वर्ष 1975 तक यह संस्थान भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय (Ministry of Social Justice & Empowerment) के अधीनस्थ अधीनस्थ कार्यालय था।
  • राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान भारत सरकार का एक स्वायत्त निकाय है। यह संस्थान सामाजिक रक्षा के क्षेत्र में नोडल प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान है।
  • भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत यह एक केंद्रीय सलाहकार निकाय है।

विज़न:

  • इस संस्थान का लक्ष्य वृद्धावस्था तथा मादक द्रव्यों के सेवन के शिकार सहित हाशिये के वर्गों से संबंधित मुद्दों के प्रति सार्वजनिक संवेदनशीलता को बढ़ावा देना और प्रभावी सेवा वितरण को मजबूत करना है।

यद्यपि सामाजिक रक्षा संस्थान समाज के संरक्षण के लिये विभिन्न गतिविधियों एवं कार्यक्रमों को बढ़ावा देता है किंतु वर्तमान में यह संस्थान नशीली दवाओं के दुरुपयोग की रोकथाम, वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण, भिक्षावृत्ति रोकथाम, ट्रांसजेंडर और अन्य सामाजिक रक्षा मुद्दों के क्षेत्र में मानव संसाधन विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।


राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम

Rashtriya Kishor Swasthya Karyakram

भारत में किशोरों के स्वास्थ्य एवं विकास ज़रूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (RKSK) को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जनवरी 2014 में शुरू किया गया था।

मुख्य बिंदु:

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (National Health Mission) के तहत राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम का महत्त्वपूर्ण पहलू स्वास्थ्य को बढ़ावा देना तथा रोग एवं जोखिम संबंधी कारकों की रोकथाम करना है।
  • सामाजिक एवं व्यवहार परिवर्तन संचार (Social and Behaviour Change Communication) के माध्यम से किशोरों के स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न प्लेटफाॅर्मों का उपयोग किया जा रहा है।
    • त्रैमासिक किशोर स्वास्थ्य दिवस (Quarterly Adolescent Health Day)
    • समुदाय एवं स्कूलों में पीयर एजुकेटर प्रोग्राम (Peer Educator Programme in the community and schools)
  • इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य संवर्द्धन संदेशों को टीवी एवं रेडियो केंद्रों, पोस्टर, पत्रक और अन्य पारस्परिक संचार सामग्री के रूप में बड़े पैमाने पर संचार मीडिया के माध्यम से भी प्रसारित किया जाता है।
  • वर्तमान में 2040 किशोर स्वास्थ्य परामर्शदाताओं की कुल स्वीकृत संख्या में से देश भर में सिर्फ 1671 किशोर स्वास्थ्य परामर्शदाता हैं।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य भारतीय संविधान में राज्य सूची का विषय है। सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के लिये परामर्शदाताओं की भर्ती सहित सभी प्रशासनिक एवं कार्मिक मामले राज्य सरकारों के अंतर्गत आते हैं।

राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के घटक: राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम में निम्नलिखित घटक शामिल हैं।

  • सभी राज्यों में सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों के विभिन्न स्तरों पर किशोर हितैषी स्वास्थ्य क्लिनिक (Adolescent Friendly Health Clinics- AFHC) की स्थापित किए गए हैं।
  • स्कूल जाने वाले किशोर लड़के एवं लड़कियों के लिये साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड सप्लीमेंटेशन (Weekly Iron Folic Acid Supplementation- WIFS) कार्यक्रम लागू किया गया है।
  • पीयर एजुकेटर प्रोग्राम (Peer Educator Programme) को 200 ज़िलों में लागू किया गया है जो समग्र स्वास्थ्य सूचकांक (Composite Health Index) पर आधारित है और इन्हें उच्च प्राथमिकता वाले ज़िले (High Priority Districts) के रूप में पहचाना जाता है। इन ज़िलों के 50% ब्लॉकों में पूर्ण रूप से पीयर एजुकेटर प्रोग्राम का कार्यान्वयन किया जा रहा है।
  • माहवारी स्वच्छता योजना (Menstrual Hygiene Scheme) के तहत राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में किशोर लड़कियों (आयु 10-19 वर्ष) को सैनिटरी नैपकिन प्रदान करने के लिये धन का आवंटन किया गया है।

प्रमुख प्राथमिकताएँ:

  • इस कार्यक्रम के अंतर्गत किशोरों एवं किशोरियों के लिये छह रणनीतिक प्राथमिकताओं की पहचान की गई है:
    • पोषण (Nutrition)
    • यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य (Sexual and Reproductive Health- SRH)
    • गैर-संचारी रोग (Non-communicable Diseases- NCDs)
    • पदार्थ का दुरुपयोग (Substance Misuse)
    • चोट एवं हिंसा (लिंग आधारित हिंसा सहित)
    • मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health)
  • इस कार्यक्रम में समलैंगिक, उभयलिंगी, ट्रांसजेंडर एवं क्वीर (LGBTQ) को भी शामिल किया गया है।

शिशु एवं छोटे बच्चों के आहार के लिये राष्ट्रीय दिशा-निर्देश

National Guidelines on Infant and Young Child Feeding

केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण) ने राज्यसभा में शिशु एवं छोटे बच्चों के आहार के लिये राष्ट्रीय दिशा-निर्देश (National Guidelines on Infant and Young Child Feeding) के बारे में सूचना दी।

उद्देश्य:

  • इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य शिशुओं एवं छोटे बच्चों के लिये इष्टतम आहार साधनों (Optimal Feeding Practices) में सुधार लाना और इष्टतम आहार साधनों को प्राप्त करने के लिये जागरूकता बढ़ाना है।

प्रमुख बिंदु:

  • शिशु एवं छोटे बच्चों के आहार (Infant and Young Child Feeding- IYCF) पर राष्ट्रीय दिशा निर्देशों के अनुसार, शिशु को जन्म के पहले छह महीनों में विशेष रूप से स्तनपान कराया जाना चाहिये ताकि इष्टतम विकास एवं स्वास्थ्य की प्राप्ति हो सके और इसके बाद उनकी विकसित होती पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये शिशुओं को पर्याप्त एवं सुरक्षित पूरक खाद्य पदार्थ दिये जाने चाहिये जबकि स्तनपान दो साल या उससे अधिक समय तक कराया जाना चाहिये।
  • वर्ष 2003 में शिशु दूध स्थानापन्न आहार बोतलें और शिशु खाद्य पदार्थ (उत्पादन, आपूर्ति एवं वितरण का विनियमन) अधिनियम, 1993 में संशोधन किया गया जिसके अंतर्गत देश में स्तनपान को बढ़ावा, संवर्द्धन और समर्थन दिया जा रहा है।
  • आँगनवाड़ी सेवा योजना के तहत गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को शिशु एवं छोटे बच्चों को स्तनपान कराने के बारे में परामर्श प्रदान किया जाता है।
    • प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (Pradhan Mantri Matru Vandana Yojana) गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिये केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित मातृत्व लाभ योजना है।
    • पोषण अभियान (POSHAN Abhiyaan) सामाजिक एवं व्यवहार परिवर्तन संचार पर केंद्रित है, यह अभियान कुपोषण से संबंधित चुनौतियों का समाधान करने और इष्टतम पोषण एवं छोटे बच्चे के लिये आहार की प्रथाओं को बढ़ावा देने सहित समग्र पोषण के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिये चलाया जा रहा है।
  • शुरुआती छह महीनों में विशेष स्तनपान और उपयुक्त शिशु एवं छोटे बच्चे के लिये आहार प्रथाओं को केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के साथ मिलकर माताओं के पूर्ण स्नेह (Mother’s Absolute Affection- MAA) के तहत बढ़ावा दिया जाता है।
  • होम बेस्ड चिल्ड्रेन केयर फॉर यंग चिल्ड्रेन (Home Based Care for Young Children- HBYC) को विस्तारित करके होम बेस्ड न्यूबोर्न केयर (Home Based Newborn Care- HBNC) शुरू किया गया है जिसके तहत आशा (ASHA) कार्यकर्त्तिओं द्वारा बच्चों की पालन-पोषण प्रथाओं एवं शिशु के जन्म के 15 महीने बाद तक स्तनपान प्रथाओं के बारे में ध्यान देने के साथ समुदाय आधारित देखभाल प्रदान की जाती है।
  • ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता और पोषण दिवस (Village Health Sanitation and Nutrition Days- VHSNDs) मातृ एवं बाल स्वास्थ्य सेवाओं के प्रावधान तथा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के साथ मिलकर मातृ एवं बाल देखभाल के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिये मनाया जाता है।
  • संशोधित माँ एवं बाल संरक्षण कार्ड केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की संयुक्त पहल है। यह बच्चों में पोषण संबंधी चिंताओं को दूर करने और IYCF प्रथाओं में सुधार करने के लिये प्रमुख कार्यकर्त्ताओं के उपयोग हेतु एक प्रभावी साधन है।
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