प्रिलिम्स फैक्ट्स: 03 अक्तूबर, 2020 | 03 Oct 2020
अटल सुरंग
Atal Tunnel
03 अक्तूबर, 2020 को भारतीय प्रधानमंत्री हिमाचल प्रदेश में रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण अटल सुरंग (Atal Tunnel) का उद्घाटन करेंगे।
प्रमुख बिंदु:
- यह सुरंग हिमाचल प्रदेश के लाहुल एवं स्पीति ज़िले में मनाली के पास सोलंग घाटी (Solang Valley) को सिस्सू (Sissu) से जोड़ती है।
सोलंग घाटी (Solang Valley):
- सोलंग घाटी (Solang Valley) का नाम सोलंग (निकटवर्ती गाँव) और नाला (जलधारा) शब्दों के संयोजन से मिलकर बना है।
- यह हिमाचल प्रदेश में कुल्लू घाटी के शीर्ष पर अवस्थित एक साइड वैली है।
सिस्सू (Sissu):
- सिस्सू (Sissu) जिसे खालिंग (Khagling) भी कहा जाता है, भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य में लाहुल घाटी में एक छोटा सा शहर है। यह मनाली से लगभग 90 किमी. दूर है और चंद्रा नदी (Chandra River) के दक्षिणी किनारे पर अवस्थित है।
- समुद्र तल से 3000 मीटर की ऊँचाई पर निर्मित यह दुनिया की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग (Highway Tunnel) है।
- 9.02 किलोमीटर लंबी यह सुरंग रोहतांग ला (Rohtang La) के पश्चिम में एक पहाड़ को काट कर निर्मित की गई है जिससे सोलंग घाटी एवं सिस्सू के बीच की दूरी लगभग 46 किमी. कम हो जाएगी। इस दूरी को तय करने में अब लगभग 15 मिनट लगेंगे।
नामकरण, लागत एवं अवधि:
- पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर इस सुरंग का नामकरण किया गया है।
- 3200 करोड़ रुपए की लागत वाली इस सुरंग परियोजना के निर्माण में लगभग एक दशक का समय लगा है।
क्षमता:
- डबल लेन वाली अटल सुरंग जो देश की सबसे लंबी सड़क सुरंगों (Road Tunnels) में से एक है, से अधिकतम 80 किमी. प्रति घंटा की गति से प्रति दिन लगभग 3000 कारें एवं 1500 ट्रक गुजर सकते हैं।
रणनीतिक लाभ:
- सोलंग घाटी एवं सिस्सू के बीच की दूरी में लगभग 46 किलोमीटर की कमी होने से परिवहन लागत में करोड़ों रुपए की बचत होगी।
- इस सुरंग का निर्माण हिमाचल प्रदेश और लद्दाख के सुदूर सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वालों को सदैव कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है जो शीत ऋतु के दौरान लगभग 6 महीने तक लगातार शेष देश से कटे रहते हैं।
महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री
Mahatma Gandhi & Lal Bahadur Shastri
02 अक्तूबर, 2020 को देशभर में महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) एवं लाल बहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) की जयंती मनाई गई।
महात्मा गांधी:
- 2 अक्तूबर, 2020 को महात्मा गांधी की 151वीं जयंती मनाई गई।
- मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।
- महात्मा गांधी एक भारतीय वकील, उपनिवेशवाद विरोधी राष्ट्रवादी एवं राजनीतिक नैतिकतावादी थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी हेतु सफल अभियान का नेतृत्त्व करने के लिये ‘अहिंसक प्रतिरोध’ की अवधारणा का प्रयोग किया था।
- महात्मा गांधी ने इनर टेम्पल (Inner Temple), लंदन से कानून की ट्रेनिंग पूरी की।
- वर्ष 1893 में एक भारतीय व्यापारी के मुकदमे का प्रतिनिधित्त्व करने के लिये वह भारत से दक्षिण अफ्रीका चले गए।
- दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी ने नागरिक अधिकारों के लिये एक अभियान में पहली बार अहिंसक प्रतिरोध की अवधारणा का प्रयोग किया।
- वर्ष 1917 का चंपारण सत्याग्रह बागान मालिकों द्वारा प्रयुक्त तिनकठिया पद्धति के विरोध में किया गया एक अहिंसक आंदोलन था जिसने भारत में गांधीजी के सत्य तथा हिंसा के ऊपर लोगों के विश्वास को सुदृढ़ किया।
- महात्मा गांधी द्वारा वर्ष 1919 में रॉलेट सत्याग्रह शुरू किया गया। इस सत्याग्रह की शुरुआत ब्रिटिश सरकार द्वारा लागू किये गए रॉलेट एक्ट के खिलाफ हुई थी।
- वर्ष 1920 में भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस के नेतृत्त्व को स्वीकारते हुए गांधी जी ने गरीबी कम करने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार करने, धार्मिक एवं जातीय मेलजोल बढ़ाने, अस्पृश्यता को समाप्त करने और स्वराज या स्व-शासन प्राप्त करने के लिये राष्ट्रव्यापी अभियानों का नेतृत्त्व किया।
- अगस्त, 1920 में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की जिसे वर्ष 1922 में चौरी-चौरा घटना के कारण समाप्त कर दिया गया।
- 6 अप्रैल, 1930 को गांधी जी द्वारा नमक कानून के उल्लंघन के साथ सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की गई।
- 8 अगस्त, 1942 को महात्मा गांधी द्वारा भारत में ब्रिटिश शासन को समाप्त करने के लिये एक स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया गया जिसके तहत मुंबई में अखिल भारतीय काॅन्ग्रेस समिति (All-India Congress Committee) के सत्र में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू करने का आह्वान किया गया।
- गांधी जी ने ऐतिहासिक ग्वालिया टैंक मैदान में दिये गए अपने भाषण में ‘करो या मरो’ का नारा दिया, जिसे अब अगस्त क्रांति मैदान (August Kranti Maidan) के नाम से जाना जाता है।
- गांधी जी एक अच्छे लेखक थे। इनके शुरुआती प्रकाशनों में से एक ‘हिंद स्वराज’ (Hind Swaraj) जो वर्ष 1909 में गुजराती भाषा में प्रकाशित हुआ, में भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के लिये ‘बौद्धिक खाका’ (The Intellectual Blueprint) के बारे में बताया गया है।
- गांधी जी द्वारा संपादित पत्र/पत्रिकाएँ: ‘हरिजन’, ‘इंडियन ओपिनियन’, ‘यंग इंडिया’ और ‘नवजीवन’।
- 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा गांधी जी की हत्या कर दी गई।
लाल बहादुर शास्त्री:
- लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्तूबर, 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय (अब पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर) में हुआ था।
- लाल बहादुर शास्त्री एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे जिन्होंने भारत के दूसरे प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया।
- उन्होंने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया और भारत के भविष्य को आकार देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- वे लाला लाजपत राय द्वारा स्थापित ‘सर्वेंट्स ऑफ द पीपुल सोसाइटी’ (लोक सेवक मंडल) के आजीवन सदस्य बने। वहाँ उन्होंने पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिये कार्य करना शुरू किया और बाद में वे उस सोसाइटी के अध्यक्ष भी बने।
- उन्होंने असहयोग आंदोलन और नमक सत्याग्रह में भाग लिया।
- भारत को आजादी मिलने के बाद वर्ष 1961 में उन्हें भारत के गृह मंत्री के रूप में और ‘भ्रष्टाचार निरोधक समिति’ के लिये नियुक्त किया गया।
- उन्होंने प्रसिद्ध ‘शास्त्री फॉर्मूला’ बनाया जिसमें असम एवं पंजाब में भाषा आधारित आंदोलन शामिल थे।
- उन्होंने भारत में आनंद, गुजरात के ‘अमूल दूध सहकारी समिति’ का समर्थन और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (National Dairy Development Board) का निर्माण करके श्वेत क्रांति (White Revolution) को बढ़ावा दिया।
- भारत के खाद्य उत्पादन को बढ़ावा देने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए लाल बहादुर शास्त्री ने वर्ष 1965 में भारत में हरित क्रांति को बढ़ावा दिया।
- वर्ष 1964 में उन्होंने सीलोन में भारतीय तमिलों की स्थिति के संबंध में श्रीलंका के प्रधानमंत्री सिरीमावो भंडारनाइके के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किये। इस समझौते को श्रीमावो-शास्त्री संधि (Srimavo-Shastri Pact) के रूप में जाना जाता है।
- उन्हें वर्ष 1966 में मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
- उन्होंने 10 जनवरी, 1966 को पाकिस्तान के राष्ट्रपति मुहम्मद अयूब खान के साथ वर्ष 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध को समाप्त करने के लिये ताशकंद घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किये।
- 11 जनवरी, 1966 को ताशकंद में ही उनकी मृत्यु हो गई।
बोंगोसागर
BONGOSAGAR
03 अक्तूबर, 2020 से भारतीय नौसेना और बांग्लादेशी नौसेना के बीच द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास 'बोंगोसागर' (BONGOSAGAR) के दूसरे संस्करण का आयोजन बंगाल की खाड़ी में शुरू हो रहा है।
उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य व्यापक समुद्री अभ्यास एवं संचालन के माध्यम से अंतर-संचालन एवं संयुक्त परिचालन कौशल विकसित करना है।
प्रमुख बिंदु:
- बोंगोसागर नौसैनिक अभ्यास का पहला संस्करण वर्ष 2019 में आयोजित किया गया था।
- बोंगोसागर नौसैनिक अभ्यास के इस सत्र में दोनों देशों की नौ-सेनाओं के पोत सतह युद्ध अभ्यास, नाविक कला विकास (Seamanship Evolutions) और हेलीकॉप्टर संचालन में भाग लेंगे।
- भारतीय नौसेना की तरफ से स्वदेशी तौर पर निर्मित एंटी-सबमरीन वारफेयर कार्वेट (Anti-Submarine Warfare Corvette) आईएनएस किल्टान (INS Kiltan) और स्वदेश में ही निर्मित गाइडेड-मिसाइल कार्वेट (Guided-Missile Corvette) आईएनएस खुकरी (INS Khukri) इसमें भाग ले रहे हैं।
- वहीं बांग्लादेशी की तरफ से बीएनएस अबू बक्र (BNS Abu Bakr) और बीएनएस प्रेटॉय (BNS Prottoy) इस अभ्यास में भाग ले रहे हैं।
भारत-बांग्लादेश संयुक्त गश्ती (काॅर्पैट)
[IN-BN Coordinated Patrol (CORPAT)]:
- 4 से 5 अक्तूबर, 2020 तक बंगाल की खाड़ी में भारतीय नौसेना और बांग्लादेशी नौसेना संयुक्त गश्ती (काॅर्पैट) के तीसरे संस्करण में भी हिस्सा लेंगी।
- जिसमें दोनों देशों की नौसैनिक इकाइयाँ अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (International Maritime Boundary Line- IMBL) के अनुरूप संयुक्त रूप से गश्त करेंगी।
- संयुक्त गश्ती करने से दोनों देशों की नौ-सेनाओं के बीच आपसी समझ बेहतर हुई है और गैरकानूनी गतिविधियों के संचालन को रोकने के उपायों को लागू करने में तत्परता दिखाई गई है।
- यह एक बहुराष्ट्रीय संधि के बजाय राजनयिक महत्वाकांक्षाओं की ओर से भारतीय नौसेना की एक सामरिक प्रक्रिया है।
- अब तक संयुक्त गश्ती अभ्यास को बांग्लादेश, इंडोनेशिया और थाईलैंड के साथ आयोजित किया गया है।
बोंगोसागर के इस संस्करण का महत्त्व:
- उल्लेखनीय है कि बोंगोसागर नौसैनिक अभ्यास का यह द्वितीय संस्करण बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की 100वीं जयंती [मुजीब बारशो (Mujib Barsho)] के अवसर पर आयोजित किया जा रहा है।
प्लास्टिक ईटिंग एंज़ाइम
Plastic Eating Enzyme
हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक नया ‘सुपर एंज़ाइम’ (Super Enzyme) बनाया है जो अपने पिछले एंज़ाइम की तुलना में छह गुना तेज़ी से प्लास्टिक को विघटित कर सकता है।
प्रमुख बिंदु:
- शोधकर्त्ताओं की एक टीम जिसने पहले पेटसे (PETase) नामक एक प्लास्टिक विघटित करने वाले एंज़ाइम को पुनः निर्मित किया था, ने अब इस प्रक्रिया को तेज़ करने के लिये एक दूसरे एंज़ाइम म्हेटसे (MHETase) के साथ जोड़ दिया है।
- एक दूसरा एंज़ाइम जो आहार के रूप में प्लास्टिक की बोतलों पर निर्भर रहने वाले रबिस ड्वेलिंग बक्टीरियम (Rubbish Dwelling Bacterium) में पाया जाता है, जिसे प्लास्टिक के विघटित होने की गति को तेज़ करने के लिये पेटसे के साथ संयुक्त किया गया है।
- पेटसे (PETase) पॉलीएथलीन टेरेफ्थेलेट (Polyethylene Terephthalate- PET) को ब्लॉक्स में विघटित करता है जिससे प्लास्टिक का पुनर्चक्रण करने और प्लास्टिक प्रदूषण एवं ग्रीनहाउस गैसों को कम करने का अवसर मिलता है।
- PET सबसे आम थर्मोप्लास्टिक है जिसका एकल उपयोगी पेयजल की बोतलों, कपड़े एवं कालीन बनाने के लिये किया जाता है और इसे विघटित होने में सैकड़ों वर्ष लगते हैं किंतु पेटसे (PETase) इस अवधि को छोटा कर सकता है।
- प्लास्टिक को विघटित करने वाले इस सुपर एंज़ाइम से संबंधित यह शोध ‘प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज़’ (Proceedings of the National Academy of Sciences) नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है।