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प्रश्न :
किसान को आर्थिक नीतियों के केंद्र में रखकर निर्धारित लक्ष्य, ‘लक्ष्य 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करना’ किस प्रकार भारतीय किसानों की आर्थिक स्थिति में बदलाव ला सकेगा? विवेचना करें।
03 Dec, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
भूमिका में:
2011 के सामाजिक-आर्थिक और जाति सर्वेक्षण में प्रकाशित कृषि पर निर्भर परिवारों और उनकी स्थिति के बारे में बताते हुए उत्तर आरंभ करें-वर्ष 2011 में हुए सामाजिक-आर्थिक और जाति सर्वेक्षण (SECC) के अनुसार, गाँव में रहने वाले देश के 17.9 करोड़ परिवारों में से अधिकतर कृषि पर निर्भर हैं जिनकी आर्थिक स्थिति सोचनीय हैं। वहीं दूसरी तरफ, अब तक की आर्थिक-नीतियाँ किसान को केंद्र में रखने की बजाय खेती और उद्योग क्षेत्र के उत्पादन को ध्यान में रखकर बनाई जाती रही हैं। परंतु केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित यह लक्ष्य कृषि उत्पादन बढ़ाने की जगह किसानों की आय दोगुनी करने पर केंद्रित है जिससे उनकी आय बढे़गी और आसपास के समाज को भी लाभ पहुँचेगा।
विषय-वस्तु में:
विषय-वस्तु में हम इस मुद्दे को थोड़ा और विस्तार देते हुए सरकार द्वारा इस दिशा में किये जा रहे प्रयासों को बतलाएंगेआजादी के बाद यह दूसरा अवसर है जब कृषि और किसानों को लेकर व्यवस्था में बड़े बदलाव की उम्मीद की जा रही है। केंद्र सरकार कर्ज में डूबे किसानों की आय को दोगुना कर उनके जीवन-स्तर को ऊपर उठाने का प्रयास कर रही है। इसके लिये कृषि मंत्रालय योजनाबद्ध तरीके से 7 सूत्रीय कार्य योजना पर काम कर रहा है-
- प्रति बूँद अधिक उपज के लक्ष्य के साथ सिंचाई पर विशेष ध्यान।
- हर खेत के मृदा स्वास्थ्य के आधार पर श्रेष्ठ बीजों एवं पोषकता पर ज़ोर।
- उपज के बाद होने वाले नुकसान को कम करने हेतु गाँवों में भंडारण और एकीकृत शीत शृंखला पर निवेश।
- खाद्य प्रसंस्करण पर बल देते हुए कृषि की गुणवत्ता में बढ़ोतरी।
- राष्ट्रीय कृषि बाज़ार योजना की स्थापना।
- किसानों का जोखिम कम करने और उनकी फसलों को सुरक्षा प्रदान करने के लिये नई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत।
- अन्य सहायक गतिविधियों जैसे मुर्गी पालन, मधुमक्खी पालन, पशु पालन, डेयरी विकास एवं मत्स्य पालन के माध्यम से किसानों की आय में बढ़ोतरी।
निष्कर्ष
अंत में प्रश्नानुसार सारगर्भित, संक्षिप्त एवं संतुलित निष्कर्ष लिखें।किसानों की वास्तविक आय को वर्ष 2022 तक दोगुना करने के लिये वर्तमान में चल रहे प्रयासों में तेजी लाने की आवश्यकता होगी। किसानों को कर्ज़ से उबारना, न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली में सुधार, कृषि बाज़ार में सुधार की आवश्यकता, पशु पालन (एवं खाद्य प्रसंस्करण) को महत्त्व देना, जोतों के आकार को बढ़ाना और खेती पर निर्भर आबादी के बोझ में कम करने के लिये कदम उठाना बहुत ज़रूरी है। इसके साथ ही दृष्टिकोण में स्पष्टता और नीतियों में बड़े स्तर पर परिवर्तन की आवश्यकता है। इसमें पारंपरिक कृषि पद्धतियों पर बल देने की ज़रूरत है। इसके अलावा राष्ट्रीय संसाधनों और विकास के लाभों का बँटवारा नीचे से ऊपर की ओर होना चाहिये। वक्त आ गया है जब किसानों को केंद्र में रखकर उनके और कृषि क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के बारे में सोचा जाए, तभी 2022 तक का यह लक्ष्य पूरा हो सकेगा।
नोट: निर्धारित शब्द-सीमा में उत्तर को विश्लेषित करके लिखें।
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