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प्रश्न :
भारत सरकार द्वारा शुरू किये गए राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम पर टिप्पणी कीजिये और रामसर स्थलों में शामिल अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की भारत की कुछ आर्द्रभूमियों के नाम लिखिये। ( 250 शब्द, UPSC मुख्य परीक्षा 2023)
27 Dec, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरणउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- रामसर कन्वेंशन का संक्षिप्त परिचय देते हुए तथा भारत में कुछ रामसर स्थलों के उदाहरण देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम (NWCP), इसके महत्त्व और उद्देश्यों पर चर्चा कीजिये।
- आर्द्रभूमि संरक्षण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालते हुए निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
रामसर अभिसमय आर्द्रभूमियों के संरक्षण और सतत् उपयोग के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय संधि है। अभिसमय के तहत सूचीबद्ध आर्द्रभूमि को अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि कहा जाता है।
मुख्य भाग:
भारत में महत्त्वपूर्ण रामसर स्थलों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- करीकिली पक्षी अभयारण्य (तमिलनाडु): यह जलकाग, ग्रे हेरॉन और ओपन-बिल्ड स्टॉर्क का अधिवास है।
- पिचावरम मैंग्रोव (तमिलनाडु): यह मैंग्रोव वन का एक विशाल द्वीप है।
- चंद्र ताल: यह दो प्रमुख उच्च स्थलों पर मौज़ूद रामसर आर्द्रभूमियों में से एक है।
राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम (NWCP) को मीठे जल की आपूर्ति, संसाधन क्षेत्र के रूप में, जैव विविधता, बाढ़ नियंत्रण, भूजल पुनर्भरण और जलवायु परिवर्तन शमन जैसे आर्द्रभूमि द्वारा प्रदान किये जाने वाले लाभों को ध्यान में रखते हुए उनके संरक्षण हेतु आरंभ किया गया था। NWCP स्थानीय समुदायों को उनके द्वारा प्रदान किये गए लाभों तक पहुँच सुनिश्चित करते हुए आर्द्रभूमि को संरक्षित करने और क्षरण को रोकने का प्रयास करता है।
NWCP का महत्त्व:
- पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MOEFCC) ने 115 आर्द्रभूमियों की पहचान की है जिनके लिये तत्काल संरक्षण और प्रबंधन की आवश्यकता है।
- यह आर्द्रभूमियों को उसी प्रकार परिभाषित करता है जैसा कि आर्द्रभूमियों को रामसर अभिसमय के अंतर्गत परिभाषित किया गया है।
- यद्यपि आर्द्रभूमियों का प्रबंधन राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है, तथापि वित्त, तकनीकी सहायता और समग्र समन्वय के लिये केंद्र सरकार उत्तरदायी है।
NWCP के उद्देश्य:
- आर्द्रभूमियों के संरक्षण और प्रबंधन के लिये नीति दिशानिर्देश बनाना।
- आर्द्रभूमियों की सूची तैयार करना और उसका रखरखाव करना।
- राज्यों को वित्तीय सहायता का आवंटन।
- कार्यक्रम के कार्यान्वयन की निगरानी करना।
- संस्थानों द्वारा बहुविषयक अनुसंधान को प्रायोजित करना।
प्रयासों में समन्वय लाने और प्रशासन के अतिव्यापन से बचने के लिये राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम (NWCP) एवं राष्ट्रीय झील संरक्षण योजना (NLCP) का विलय राष्ट्रीय जलीय पारिस्थितिकी संरक्षण योजना (NPCA) के अंतर्गत कर दिया गया था। यही कारण है कि वर्तमान में भारत अपनी आर्द्रभूमियों के संरक्षण में काफी हद तक सफल रहा है।
निष्कर्ष:
राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम, रामसर स्थलों की मान्यता के साथ, वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिये पारिस्थितिकी रूप से संवेदनशील क्षेत्रों को संरक्षित करने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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