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प्रश्न :
शासन में ईमानदारी सुनिश्चित करने के लिये सरकार द्वारा क्या उपाय किये गये हैं? इनकी प्रभावशीलता का मूल्यांकन करते हुए इनमें सुधार हेतु कुछ उपाय बताइये। (150 शब्द)
29 Jun, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- अपने उत्तर की शुरुआत ईमानदारी के संक्षिप्त परिचय से कीजिये।
- शासन में ईमानदारी सुनिश्चित करने के लिये सरकार द्वारा किये गए उपायों की चर्चा कीजिये।
- उपायों का मूल्यांकन कीजिये, चुनौतियों को लिखिये और इन उपायों में और अधिक सुधार कैसे कर सकते हैं, वह भी बताइये।
- तदनुसार निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
शासन में ईमानदारी का तात्पर्य सार्वजनिक मामलों के संचालन में ईमानदारी, सत्यनिष्ठा, जवाबदेही और पारदर्शिता जैसे नैतिक मूल्यों के पालन से है। जनता का विश्वास बढ़ाने, भ्रष्टाचार रोकने, दक्षता सुनिश्चित करने और सुशासन को बढ़ावा देने के लिये शासन में ईमानदारी आवश्यक है।
मुख्य भाग:
शासन में ईमानदारी सुनिश्चित करने के लिये सरकार द्वारा किये गए कुछ उपाय इस प्रकार हैं:
- विधायी उपाय:
- सरकार ने भ्रष्टाचार को रोकने और भ्रष्ट अधिकारियों को दंडित करने के लिये विभिन्न कानून और नियम बनाए हैं, जैसे भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988, लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013, व्हिसल ब्लोअर संरक्षण अधिनियम, 2014, सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005, आदि।
- संस्थागत उपाय:
- सरकार ने शासन में ईमानदारी को सुनिश्चित करने और उसे लागू करने के लिये विभिन्न संस्थानों और तंत्रों की स्थापना की है, जैसे केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी), केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई), भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी), भारत निर्वाचन आयोग। (ईसीआई) आदि।
- प्रशासनिक उपाय:
- सरकार ने सार्वजनिक सेवा वितरण की दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार के लिये विभिन्न सुधार और पहलें शुरू की हैं, जैसे ई-गवर्नेंस, नागरिक चार्टर, प्रदर्शन मूल्यांकन, आचार संहिता आदि।
- इन उपायों की प्रभावशीलता विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है, जैसे उनका कार्यान्वयन, समन्वय, जागरूकता, भागीदारी और निरीक्षण।
इन उपायों के सामने आने वाली चुनौतियाँ हैं:
- भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने और शासन में ईमानदारी सुनिश्चित करने के लिये राजनीतिक इच्छाशक्ति और प्रतिबद्धता की कमी।
- भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों और संस्थानों के कामकाज पर निहित स्वार्थों और दबाव समूहों का हस्तक्षेप तथा प्रभाव।
- भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों और संस्थानों के पास अपर्याप्त संसाधन, क्षमता और स्वायत्तता।
- शासन में ईमानदारी की मांग करने और सुनिश्चित करने में नागरिकों और नागरिक समाज की कम जागरूकता और भागीदारी।
इन उपायों में सुधार लाने के निम्नलिखित तरीके हैं:
- कानूनी ढाँचे को मज़बूत करना और इसका कड़ाई से कार्यान्वयन एवं अनुपालन सुनिश्चित करना।
- भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों और संस्थानों की स्वतंत्रता, अधिकार और जवाबदेही को बढ़ाना।
- मानवीय विवेक को कम करने और पारदर्शिता तथा पहुँच बढ़ाने के लिये प्रौद्योगिकी एवं नवाचार का उपयोग बढ़ाना।
- शिक्षा, प्रशिक्षण और जागरूकता के माध्यम से लोक सेवकों और नागरिकों के बीच नैतिकता एवं मूल्यों की संस्कृति को बढ़ावा देना।
निष्कर्ष:
शासन में ईमानदारी सुशासन का एक प्रमुख निर्धारक है। सरकार ने शासन में ईमानदारी सुनिश्चित करने के लिये कई उपाय किये हैं, लेकिन मौजूदा कमियों तथा चुनौतियों को दूर करने के लिये उनमें और सुधार करने की आवश्यकता है। शासन में ईमानदारी को बढ़ावा देने के लिये सभी हितधारकों के सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है।
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