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ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    प्रश्न. हिंद-प्रशांत क्षेत्र से संबंधित भारत की चुनौतियाँ और अवसर क्या हैं? भारत के रणनीतिक हितों को उन्नत करने में क्वाड (QUAD) की भूमिका पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    27 Jun, 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • हिंद-प्रशांत क्षेत्र का संक्षिप्त परिचय देते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • हिंद-प्रशांत क्षेत्र से संबंधित भारत की चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा कीजिये।
    • इस क्षेत्र में क्वाड की भूमिका पर चर्चा कीजिये।
    • तदनुसार निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    • हिंद-प्रशांत क्षेत्र एक विशाल समुद्री क्षेत्र है जो अफ्रीका के पूर्वी तट से पश्चिमी प्रशांत महासागर तक विस्तारित है, जिसमें हिंद महासागर और उसके आस-पास के समुद्री क्षेत्र शामिल हैं। यह भू-रणनीतिक महत्त्व का क्षेत्र है क्योंकि यह क्षेत्र विश्व की आधी से अधिक आबादी, व्यापार और सकल घरेलू उत्पाद का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और अमेरिका जैसी कई उभरती और स्थापित शक्तियों के हित निहित हैं।
    • लंबी तटरेखा के साथ भारत की हिंद-प्रशांत क्षेत्र की शांति और स्थिरता में महत्त्वपूर्ण भूमिका है।

    मुख्य भाग:

    • चुनौतियाँ:
      • दक्षिण चीन सागर, पूर्वी चीन सागर और हिंद महासागर में चीन के आक्रामक और विस्तारवादी व्यवहार के कारण इस क्षेत्र में नेविगेशन की स्वतंत्रता, समुद्री सुरक्षा और अन्य देशों की संप्रभुता के समक्ष खतरा उत्पन्न होता है।
      • हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के बीच आम समझ और समन्वय का अभाव है जिससे क्षेत्रीय सहयोग और एकीकरण में बाधा होती है।
      • आतंकवाद, समुद्री डकैती, साइबर हमले, जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएँ और महामारी जैसे गैर-पारंपरिक सुरक्षा खतरों के उदय से इस क्षेत्र के लिये चुनौतियाँ उत्पन्न हुई हैं।
      • हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के बीच असमान विकास से कुछ वर्गों में सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को बढ़ावा मिला है।
    • अवसर:
      • हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों के बीच व्यापार, निवेश, कनेक्टिविटी और लोगों से लोगों के संबंधों को बढ़ाने की क्षमता है (विशेष रूप से बुनियादी ढाँचे, ऊर्जा, डिजिटल अर्थव्यवस्था, नीली अर्थव्यवस्था और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में)।
      • नियम-आधारित व्यवस्था, समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने के लिये हिंद-प्रशांत क्षेत्र में जापान, ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, वियतनाम और अमेरिका जैसे समान विचारधारा वाले देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी और बहुपक्षीय तंत्र को मजबूत करने का अवसर है।
      • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपनी छवि और प्रभाव को बढ़ाने के लिये भारत के पास लोकतंत्र, विविधता, संस्कृति और विकास सहायता के रूप में अपनी सॉफ्ट पावर का लाभ उठाने का अवसर है।
      • हिंद-प्रशांत क्षेत्र की कुछ आम चुनौतियों को हल करने के लिये अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा और जैव प्रौद्योगिकी के संदर्भ में भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमताओं का उपयोग करने की संभावना है।
    • Quad की भूमिका:
      • क्वाड चार लोकतांत्रिक देशों (भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका) का एक अनौपचारिक समूह है जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समान हितों और मूल्यों को साझा करते हैं।
      • चीन की बढ़ती आक्रामकता और क्षेत्रीय व्यवस्था की चुनौतियों के आलोक में एक दशक के लंबे अंतराल के बाद वर्ष 2017 में क्वाड को मज़बूत किया गया था।
      • क्वाड का उद्देश्य संप्रभुता, अंतर्राष्ट्रीय कानून और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के सम्मान के आधार पर एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बनाए रखना है।
      • क्वाड समूह समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद-रोधी, साइबर सुरक्षा, मानवीय सहायता और आपदा राहत, कनेक्टिविटी एवं बुनियादी ढाँचे के विकास, जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन, वैक्सीन कूटनीति, महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों, शिक्षा जैसे विभिन्न डोमेन पर सहयोग बढ़ाने पर केंद्रित है।
      • क्वाड हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के रणनीतिक हितों को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है जैसे:
        • क्षेत्रीय मुद्दों पर अन्य प्रमुख शक्तियों के साथ बातचीत और समन्वय के लिये एक मंच प्रदान करना
        • इस क्षेत्र में चीन के प्रभुत्व और आक्रामकता का प्रतिरोध करना
        • इस क्षेत्र के अन्य देशों के साथ भारत के आर्थिक अवसरों को बढ़ाने के साथ कनेक्टिविटी का विस्तार करना
        • विभिन्न क्षेत्रों में भारत की क्षमता निर्माण और लचीलेपन का समर्थन करना
        • वैश्विक मुद्दों पर भारत के दृष्टिकोण को बढ़ावा देना

    निष्कर्ष:

    क्वाड भारत की हिंद-प्रशांत रणनीति का एक महत्त्वपूर्ण तत्व है जो भारत को इस क्षेत्र में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकता है। हालाँकि इसे एक विशिष्ट या विरोधी गुट के रूप में नहीं देखा जाना चाहिये बल्कि एक खुले, लचीले, सहकारी, परामर्शी, रचनात्मक, विश्वसनीय, सुसंगत और आत्मविश्वासपूर्ण तंत्र के रूप में देखा जाना चाहिये जो विविधता और संप्रभुता के सम्मान पर आधारित हो।

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