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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारतीय चित्रकला के क्षेत्र में मुगल शैली एक विशेष स्थान रखती है। मुगल शैली की चित्रकला के विकास के विभिन्न चरणों एवं उनकी विशेषताओं का उल्लेख करें।

    27 Feb, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 1 संस्कृति

    उत्तर :

    भारतीय चित्रकला के विकास में मुगलों का विशिष्ट योगदान रहा है। मुगल शासकों के द्वारा करवाई गई चित्रकारी में ईरानी और फारसी प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है।

    भारत में मुगल शैली की चित्रकला का जन्म हुमायूँ के शासनकाल में प्रारंभ हुआ। शेरशाह से पराजित होने के पश्चात् हुमायूँ ने फारस एवं अफगानिस्तान के अपने निर्वसन के दौरान मुगल चित्रकला की नींव रखी। फारस में हुमायूँ की मुलाकात दो चित्रकारों-मीर सैय्यद अली एवं ख्वाजा अब्दुस्मद से हुई। इन्होंने ही मुगल चित्रकला की नींव रखी। आगे चलकर अकबर के शासनकाल में चित्रकला की मुगल शैली अपने सर्वोत्कृष्ट स्थान पर पहुँच गई। इस काल में चित्रकारी सामूहिक रूप से की जाती थी जिसमें एक से अधिक कलाकार मिलकर किसी चित्र का निर्माण करते थे। फलस्वरूप चित्रकला की मुगल शैली स्वदेशी भारतीय चित्रकला शैली और फारसी चित्रकला की सफावी शैली के संश्लेषण के रूप में विकसित हुई।

    अकबर के समय चित्रकला के मुख्य रूप से दो विषय थेः 1. दरबार की प्रतिदिन की घटनाओं का चित्रण 2. छवि चित्रण। इसी समय मुगल चित्रकला पर भारतीय प्रभाव भी गहरा हो गया।

    जहाँगीर के शासनकाल के दौरान मुगल चित्रकला ने पराकाष्ठा को प्राप्त हुआ। जहाँगीर स्वयं एक महान चित्रकार एवं कला का पारखी था। जहाँगीर के समय चित्रकला की मुगल शैली, पारसी प्रभाव से मुक्त हो गई। इस समय कलाकारों ने नीले और लाल जैसे जीवंत रंगों का उपयोग करना आरंभ किया और चित्रें को त्रियामी प्रभाव देने में सक्षम हो गए। जहाँगीर प्रकृति प्रेमी था। अतः उसे पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों के चित्रण में विशेष आनंद आता था। उदाहरण के लिये ‘चिनार’ के पेड़ पर असंख्य गिलहरी बैठी है, का चित्रण इसी समय अबुल हसन के द्वारा किया गया। जहाँगीर के समय में छवि चित्रण की तुलना में पांडुलिपि के चित्रण का महत्त्व कम हो गया। ‘तुजुक-ए-जहाँगीरी’ ही एकमात्र पांडुलिपि चित्र का उदाहरण है। जहाँगीर के समय मुगल चित्रकला में यूरोपीय चित्रकला शैली का प्रभाव और गहरा हो गया जो कि अकबर के काल से शुरू हुई थी।

    शाहजहाँ के शासनकाल में मुगल चित्रकला ने अपनी गुणवत्ता को बनाए रखा। इसके शासनकाल में रेखांकन और बॉर्डर बनाने की तकनीक में उन्नति हुई। शाहजहाँ को दैवीय प्रतीकों वाली अपनी तस्वीर बनाने का शौक था एवं इसके शासनकाल के दौरान कई सचित्र पांडुलिपियाँ भी तैयार की गई। औरंगजेब के अधीन चित्रकला को शाही संरक्षण मिलना बंद हो गया क्योंकि इसने चित्रकला को इस्लाम के विरुद्ध माना। इससे चित्रकला की क्षेत्रीय शैलियों का विकास हुआ, जैसे- राजस्थानी चित्रकला शैली, पहाड़ी चित्रकला शैली। अर्थात् यह कहा जा सकता है कि औरंगजेब के बाद मुगल चित्रकला अन्य क्षेत्रों में भी फैल गई तथा कई अन्य विशेषताओं के साथ नए रूप में पैदा हुई।

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