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प्रश्न :
रामपुरा, एक सुदूर जनजाति बहुल ज़िला, अत्यधिक पिछड़ेपन और दयनीय निर्धनता से ग्रसित है। कृषि स्थानीय आबादी की आजीविका का प्रमुख साधन है लेकिन बहुत छोटे भूस्वामित्व के कारण यह मुख्यतया निर्वाह-खेती तक सीमित है। औद्योगिक या खनन गतिविधियाँ यहाँ नगण्य हैं। यहाँ तक कि लक्ष्यित कल्याणकारी कार्यक्रमों से भी जनजाति आबादी को अपर्याप्त लाभ हुआ है। इस प्रतिबंधित परिदृश्य में, पारिवारिक आय के अनुपूरण हेतु युवाओं को समीप स्थित राज्यों में पलायन करना पड़ रहा है। अवयस्क लड़कियों की व्यथा यह है कि श्रमिक ठेकेदार उनके माता-पिता को बहला-फुसला कर उन्हें एक नजदीक राज्य में बी.टी. कपास फार्मों में काम करने भेज देते हैं। इन अवयस्क लड़कियों की कोमल अंगुलियाँ कपास चुनने के लिये अधिक उपयुक्त होती हैं। इन फार्मों में रहने और काम करने की अपर्याप्त स्थितियों के कारण अवयस्क लड़कियों के लिये गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा हो गई हैं। मूल निवास और कपास फार्मों के ज़िलों में स्वयंसेवी संगठन भी निष्प्रभावी लगते हैं और उन्होंने क्षेत्र के बालश्रम और विकास की दोहरी समस्याओं हेतु कोई ठोस प्रयास नहीं किये हैं।
आप को रामपुरा का ज़िला कलेक्टर नियुक्त किया जाता है। यहाँ निहित नीतिपरक मुद्दों की पहचान कीजिये। अपने जिले के संपूर्ण आर्थिक परिदृश्य को सुधारने और अवयस्क लड़कियों की स्थितियों में सुधार लाने के लिये आप क्या विशिष्ट कदम उठाएँगे। (250 शब्द)
23 Jul, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़उत्तर :
इस केस में शामिल नैतिक मुद्दे
- उपर्युक्त मामले को एक नैतिक दुविधा के रूप में वर्णित किया जा सकता है, जिसमें नाबालिग लड़कियों की दो आधारभूत आवश्यकताओं में संघर्ष है- शिक्षा और अच्छे स्वास्थ्य बनाम जीवित रहने के उनके सामाजिक-आर्थिक अधिकार एवं उनके परिवारों की आजीविका।
- इसके अलावा केस स्टडी में बीटी कॉटन फार्म में कार्यरत नाबालिग लड़कियों से कार्य करवाने के मुद्दे पर प्रकाश डाला गया जो बाल श्रम (रोकथाम) अधिनियम, 2016 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 का उल्लंघन है। इसके तहत नाबालिग लड़कियों के माता-पिता और बीटी कॉटन फार्म के मालिक को दंडित किया जा सकता है।
- किंतु यह कदम उन परिस्थितियों की अनदेखी कर कानून का अंधा अनुसरण कहलाएगा, जिनमें नाबालिग लड़कियों से कार्य करवाने जैसा अपराध हुआ है।
- इसके साथ ही यह केस देश के दूरस्थ कोने में विकास की कमी तथा कल्याणकारी सेवाएँ प्रदान करने में शासन की विफलता पर प्रकाश डालता है।
प्रारूप
उपरोक्त मामले में कई हितधारक शामिल हैं और कई मुद्दों को हल करने की आवश्यकता है। इस मामले से निपटने के लिये तथा प्रत्येक हितधारक द्वारा गरीब नाबालिग लड़कियों और उनके परिवारों को राहत एवं न्याय दिलाने हेतु संकट के प्रबंधन में बहुत उच्च नैतिक मानकों और दक्षता बनाए रखने की आवश्यकता है।
नैतिक मुद्दों से जुड़े हितधारक
राज्य और केंद्र सरकारें
- राज्य और केंद्र सरकारें बाल श्रम के निषेध के लिये प्रयास करके संवैधानिक मूल्यों को लागू कर सकती हैं (अनुच्छेद 23)।
स्थानीय प्रशासन/जिला मजिस्ट्रेट
- जैसा कि बाल श्रम कानून और शिक्षा का अधिकार अधिनियम के विरुद्ध है, प्रशासन को अपराधियों को न्याय दिलाने में निष्पक्षता और ईमानदारी दिखानी चाहिये चाहे वे कितने भी शक्तिशाली क्यों न हों।
पुलिस
- दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने में निष्पक्षता बनाए रखना।
- पारदर्शी रहना और जांच के दौरान कानून का शासन बनाए रखना।
- भ्रष्टाचार का उन्मूलन, कर्त्तव्यों के निर्वहन में ईमानदारी को बढ़ावा देना।
स्थानीय जनसंख्या
- माता-पिता या अभिभावक द्वारा मौलिक कर्त्तव्य का पालन करना (अनुच्छेद 51A (k) और छह से चौदह वर्ष की आयु के बीच अपने बच्चे को शिक्षा के अवसर प्रदान करना)।
- प्रशासन और पुलिस की मदद कर एक अच्छा नागरिक होने का कर्तव्य निभाना और ठेकेदारों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराना।
- बालिकाओं की कमाई पर निर्भर रहने के बजाय आजीविका के अन्य तरीके खोजना।
नाबालिग लड़कियाँ/युवा
- परिवार की खराब स्थिति और बालिकाओं पर श्रमिक ठेकेदार का दबाव।
- युवाओं का पलायन और परिवारों में आजीविका के विकल्प का अभाव।
ठेकेदार
- नियमों का अक्षरश: पालन करते हुए सत्यनिष्ठा बनाए रखें।
- खेतों में काम करने के लिये उचित श्रम शक्ति को काम पर रखना।
- गैर सरकारी संगठन/सिविल सोसायटी अपने कर्त्तव्य के प्रति ज़िम्मेदार और उत्तरदायी बनें तथा गरीब परिवारों की बेहतरी के लिये काम करें।
गैर सरकारी संगठन/सिविल सोसायटी
- यह भी अपने कर्त्तव्य के प्रति ज़िम्मेदार और उत्तरदायी बनें तथा गरीब परिवारों की बेहतरी के लिये काम करें।
नाबालिग लड़कियों की स्थिति को सुधारने हेतु कदम
- बाल श्रम कानून और शिक्षा का अधिकार अधिनियम के उल्लंघन के अलावा बीटी कॉटन फार्म में काम करना स्वास्थ्य के लिये भी हानिकारक है क्योंकि साँस लेने की प्रक्रिया में सूक्ष्म कपास के रेशे भी उनके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे श्वसन संबंधी बीमारियों का खतरा बना रहता है।
- इसलिये बीटी कॉटन फार्म में नाबालिग लड़कियों को कार्य करने से रोकने हेतु ज़िला कलेक्टर की प्रत्यक्ष निगरानी की आवश्यकता है।
- बच्चों के पोषण और शिक्षा प्रदान करने के लिये उपलब्ध धनराशि का आवंटन किया जाना चाहिये।
- इसके अलावा स्थानीय समुदायों और नागरिक समाज की भागीदारी को शामिल कर उन्हें बढ़ावा देने की आवश्यकता है, कल्याणकारी पहल में जनशक्ति की कमी से बचना चाहिये।
ज़िले के समग्र आर्थिक परिदृश्य में सुधार हेतु कदम
- संबंधित सरकारों, राज्य और केंद्र को उनके तत्काल समर्थन के लिये गंभीरता से विचार करना चाहिये।
- युवाओं के प्रवासन की समस्या का समाधान करने के लिये इस क्षेत्र में रोज़गार के अवसर पैदा करने की आवश्यकता है।
- उदाहरण के लिये बीटी कॉटन के खेतों में काम करने के लिये युवाओं को उचित प्रशिक्षण के साथ कौशल प्रदान किया जाना चाहिये। इससे लोग बाल श्रम जैसे अपराध में शामिल हुए बिना अपनी आजीविका चला सकेंगे।
- स्थानीय लोगों को एक सुनिश्चित MSP के साथ सूक्ष्म वन उपज इकट्ठा करने के लिये तैयार किया जा सकता है।
- विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं, पंचायती राज अधिनियम, 1992 एवं पंचायतों के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार), 1996 अधिनियम का पालन करना चाहिये।
निष्कर्ष
इस प्रकार, इस मामले में मेरा प्रयास न केवल बाल श्रम को रोकना होगा बल्कि स्थानीय आबादी की आजीविका की व्यवस्था करना भी होगा।
उपरोक्त योजना से मुझे ज़िला कलेक्टर के रूप में ऐसे निर्णय लेने में मदद मिलेगी जो नैतिक रूप से सही और तर्कसंगत रूप से उचित हों ताकि कानून और व्यवस्था की स्थिति को जल्द से जल्द बहाल किया जा सके तथा अधिकांश हितधारकों को अधिकतम न्याय मिल सके।
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