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प्रश्न :
समुद्री पर्यावरण को प्रभावित करने वाली सबसे व्यापक समस्या प्लास्टिक प्रदूषण है। चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
21 Jul, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकीउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण
- समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण के बढ़ते संकेंद्रण के बारे में संक्षेप में बताइये।
- समुद्री पर्यावरण में प्लास्टिक प्रदूषण की चिंताओं पर चर्चा कीजिये।
- आगे की राह बताते हुए उत्तर समाप्त कीजिये।
परिचय
- प्रत्येक वर्ष 300 मिलियन टन से अधिक प्लास्टिक का उत्पादन किया जाता है जिसमें से आधे का उपयोग शॉपिंग बैग, कप और स्ट्रॉ जैसी एकल-उपयोग वाली वस्तुओं को डिज़ाइन करने के लिये किया जाता है।
- केवल 9% प्लास्टिक कचरे का पुनर्चक्रण किया जाता है। लगभग 12% को जला दिया जाता है जबकि 79% लैंडफिल में जमा हो जाता है।
- इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंज़र्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) के अनुसार, प्रत्येक वर्ष कम-से-कम 8 मिलियन टन प्लास्टिक महासागरों में समा जाता है।
प्रारूप
समुद्री प्लास्टिक कचरे से संबंधित चिंताएँ:
- समुद्री पर्यावरण पर प्रभाव
- समुद्री प्लास्टिक का सबसे अधिक दिखाई देने वाला और परेशान करने वाला प्रभाव सैकड़ों समुद्री प्रजातियों द्वारा इसका अंतर्ग्रहण करना, इसके कारण उन्हें घुटन होना और इसमें उनका उलझाव है।
- समुद्री जीव जैसे समुद्री पक्षी, व्हेल, मछलियाँ और कछुए प्लास्टिक कचरे को अपना शिकार समझ लेते हैं तथा इनमें से अधिकांशतः भूख से मर जाते हैं क्योंकि उनका पेट प्लास्टिक के मलबे से भर जाता है।
- वे घाव, संक्रमण, तैरने की क्षमता में कमी और आंतरिक चोटों से भी पीड़ित होते हैं। तैरते हुए प्लास्टिक भी आक्रामक समुद्री जीवों एवं बैक्टीरिया के प्रसार में योगदान करते हैं, जो पारिस्थितिक तंत्र को बाधित करते हैं।
- खाद्य एवं स्वास्थ्य पर प्रभाव
- प्लास्टिक सामग्री के उत्पादन में उपयोग किये जाने वाले कई रसायनों को कैंसरकारी के रूप में और शरीर के अंतःस्रावी तंत्र में हस्तक्षेप करने के लिये जाना जाता है, जिससे मानव तथा वन्यजीव दोनों में विकासात्मक, प्रजनन, तंत्रिका संबंधी एवं प्रतिरक्षा संबंधी विकार होते हैं।
- जलवायु पर प्रभाव
- प्लास्टिक ग्लोबल वार्मिंग में भी योगदान देते हैं। यदि प्लास्टिक कचरे को जलाया जाता है, तो यह वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त करता है, जिससे कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि होती है।
- प्लास्टिक कचरा हमारे सीवरों को अवरुद्ध करता है, समुद्री जीवन के लिये खतरा उत्पन्न करता है और लैंडफिल या प्राकृतिक वातावरण में निवासियों के लिये स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है।
- समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण की वित्तीय लागत भी अत्यधिक है।
- मार्च 2020 में किये गए पूर्वानुमान के अनुसार, समुद्री प्रदूषण के कारण दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन की नीली अर्थव्यवस्था को प्रत्यक्ष रूप से 2.1 बिलियन अमरीकी डॉलर प्रति वर्ष का नुकसान होगा।
- आर्थिक लागत के साथ-साथ समुद्री प्लास्टिक कचरे की सामाजिक लागत भी काफी भारी होती है। तटीय क्षेत्रों के निवासी प्लास्टिक प्रदूषण और ज्वार द्वारा लाए गए कचरे के हानिकारक स्वास्थ्य प्रभावों से सबसे अधिक पीड़ित होते हैं।
- प्रायः यह देखा जाता है कि नावें मछली पकड़ने के जाल में फँस जाती हैं या उनके इंजन प्लास्टिक के मलबे से ब्लॉक हो जाते हैं।
- यह नौवहन, मत्स्य पालन, जलीय कृषि और समुद्री पर्यटन जैसे उद्योगों के लिये समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है, जो कि तटीय समुदाय की आजीविका को प्रभावित करते हैं।
आगे की राह
- उत्पादों की डिज़ाइनिंग: प्लास्टिक की वस्तुओं की पहचान करना जिन्हें गैर-प्लास्टिक, पुनर्चक्रण योग्य या बायोडिग्रेडेबल सामग्री से बदला जा सकता है, पहला कदम है।
- देशों को प्लास्टिक मूल्य शृंखला में चक्रीय एवं सतत् आर्थिक प्रथाओं को अपनाना चाहिये।
- मूल्य निर्धारण: प्लास्टिक सस्ते होते हैं जो पुनर्नवीनीकरण प्लास्टिक को नियोजित करने के लिये कम आर्थिक प्रोत्साहन प्रदान करते हैं। पर्यावरणीय स्वास्थ्य के साथ मूल्य संरचना को संतुलित करना प्राथमिकता होनी चाहिये।
- प्लास्टिक मुक्त कार्यस्थल को बढ़ावा देना: सभी एकल-उपयोग वाली वस्तुओं को पुनर्चक्रण योग्य वस्तुओं या अधिक सतत् एकल-उपयोग विकल्पों से बदला जा सकता है।
- उत्पादकों की ज़िम्मेदारी: खुदरा (पैकेजिंग) क्षेत्र में विस्तारित ज़िम्मेदारी लागू की जा सकती है, जहाँ उत्पादक उन उत्पादों को इकट्ठा करने और पुनर्चक्रण के लिये ज़िम्मेदार होते हैं जिन्हें वे बाज़ार में लॉन्च करते हैं।
- नगरपालिका और सामुदायिक कार्यवाही: समुद्र तट और नदी की सफाई, जन जागरूकता अभियान और डिस्पोज़ेबल प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध और शुल्क।
निष्कर्ष
समुद्री प्लास्टिक के मुद्दे को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिये अनुसंधान एवं नवाचार का समर्थन किया जाना चाहिये। प्लास्टिक प्रदूषण की पूरी सीमा तथा इसके प्रभावों का ज्ञान नीति निर्माताओं, निर्माताओं और उपभोक्ताओं को उपयुक्त तकनीकी, व्यवहारिक एवं नीतिगत समाधानों का नेतृत्व करने के लिये आवश्यक वैज्ञानिक साक्ष्य प्रदान करेगा।
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