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प्रश्न :
परि-प्रशांत क्षेत्र के भू-भौतिकीय अभिलक्षणों का विवेचन कीजिये। (150 शब्द)
25 Jan, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- उत्तर की शुरुआत परि-प्रशांत क्षेत्र का संक्षिप्त परिचय देकर करें।
- परि-प्रशांत क्षेत्र की मुख्य भू-भौतिकीय विशेषताओं का उल्लेख करें।
- उचित निष्कर्ष दें।
परि-प्रशांत बेल्ट, जिसे 'द रिंग ऑफ फायर' भी कहा जाता है, सक्रिय ज्वालामुखियों और लगातार आने वाले भूकंपों के कारण निर्मित प्रशांत महासागर के चारों तरफ का क्षेत्र है।
स्थान विस्तार: प्रशांत महासागर के चारों ओर ज्वालामुखियों की एक निरंतर शृंखला है। यह शृंखला उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के पश्चिमी तट से गुज़रती है एवं अल्यूशियन द्वीप से जापान के दक्षिण में, इंडोनेशिया से टोंगा द्वीप और न्यूज़ीलैंड तक फैली हुई है।
बनावट: ज्वालामुखियों की यह परि-प्रशांत शृंखला (जिसे अक्सर रिंग ऑफ फायर कहा जाता है) और इससे जुड़ी पर्वत शृंखलाएँ महाद्वीपों के नीचे महासागरीय लिथोस्फीयर और प्रशांत महासागर के परित: पाए जाने वाले द्वीपों में बार-बार होने वाले घर्षण के फलस्वरूप बनी हैं।
द रिंग ऑफ फायर प्लेट टेक्टोनिक्स (कन्वर्जेंट, डाइवर्जेंट प्लेट बाउंड्री, ट्रांसफॉर्म प्लेट बाउंड्री) का परिणाम है।
सर्वाधिक ज्वालामुखी तथा भूकंप वाला क्षेत्र : पृथ्वी पर लगभग 75% ज्वालामुखी (450 से अधिक ज्वालामुखी) रिंग ऑफ फायर में क्षेत्र में स्थित हैं तथा विश्व में सर्वाधिक भूकंप भी इसी क्षेत्र में आते हैं।
पृथ्वी के नब्बे प्रतिशत भूकंप इन्हीं क्षेत्रों में आते हैं, जिसमें ग्रह की सबसे विनाशकारी भूकंपीय घटनाएँ भी शामिल हैं।
परि-प्रशांत बेल्ट में स्थित प्रमुख ज्वालामुखी:
- जापान का माउंट फू जी,
- अमेरिका का अल्यूशियन द्वीप,
- इंडोनेशिया में क्राकाटाओ द्वीप ज्वालामुखी आदि।
हॉट स्पॉट का गठन: रिंग ऑफ फायर हॉट स्पॉट के लिये उपयुक्त स्थान है, यह पृथ्वी के मेंटल में गहराई में स्थित है, जहाँ से पृथ्वी की परतों में ऊष्मा का निष्कासन होता है।
यह ऊष्मा मेंटल के ऊपरी परत में चट्टान के पिघलने में सहायता करती है। मैग्मा के रूप में जाना जाने वाला पिघला हुआ चट्टान दरार के माध्यम से पृथ्वी के ऊपरी परत (क्रस्ट) को धक्का देता है जिसके परिणामस्वरूप ज्वालामुखी का निर्माण होता है।
निष्कर्ष
परि-प्रशांत क्षेत्र में वैश्विक ज्वालामुखी विस्फोटों और भूकंप की घटनाओं का एक बड़ा प्रतिशत देखा जाता है, अत: यह पृथ्वी के अंदरूनी संरचना के अध्ययन हेतु महत्त्वपूर्ण है।
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