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प्रश्न :
हाल के वर्षों में नाभिकीय ऊर्जा का एक व्यवहार्य स्रोत के रूप में उदय हुआ है। भारत में नाभिकीय ऊर्जा के विकास की आवश्यकताओं को रेखांकित करें।
15 Jun, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
• भूमिका
• भारत में नाभिकीय ऊर्जा के विकास की आवश्यकता से जुड़े बिंदु
• समाधान युक्त निष्कर्ष
वर्तमान में नाभिकीय ऊर्जा का उदय एक व्यवहार्य स्रोत के रूप में उदय हुआ है।
भारत में यूरेनियम निक्षेप मुख्यत: धारवाड शैलों में पाए जाते है। भौगोलिक रूप से यूरेनियम अयस्क ताम्र पट्टी वाले अनेक स्थानों पर प्राप्त होती है। भारत में परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना वर्ष 1948 में की गई थी। भारत की महत्त्वपूर्ण नाभिकीय ऊर्जा परियोजनायें-तारापुर, रावतभाटा, कलथक्कन, नरौरा, केगा, तथा ककरापार आदि है। दीर्घकालिक लक्ष्याें को प्राप्त करने के लिये भारत द्वारा परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को अपनाया गया है।
भारत में नाभिकीय ऊर्जा विकास की आवश्यकता
- ऊर्जा सुरक्षा: नाभिकीय सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा को प्राप्त करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण घटक है। चूँकि नाभिकीय ऊर्जा में वृहद पैमाने पर विद्युत उत्पादन की क्षमता विद्यमान है, अत: यह लाखों लोगों के जीवन स्तर में सुधार करने में सहायक सिद्ध होगी।
- जलवायु पर कम नकारात्मक प्रभाव : नाभिकीय रिएक्टर विद्युत संयंत्रों की भांति कोयले का उपयोग कर ग्रीनहाऊस गैसों का उत्पादन नहीं करते है।
- पारंपरिक ऊर्जा संसाधनों को प्रतिस्थापित कर सकते हैं: भारत वे संस्थापित कुल ऊर्जा में नाभिकीय ऊर्जा की बढ़ती हिस्सेदारी जीवाश्म ईधन पर निर्भरता को कम करने में सहायता प्रदान करेगी तथा यह पारंपरिक कोयला आधारित ऊर्जा संयंत्रों को भी प्रतिस्थापित करेगी।
- विद्युत की सतत आपूर्ति : ये विद्युत की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित कर सकते हैं, क्याेंकि सौर तथा पवन ऊर्जा स्रोतों के विपरीत नाभिकीय संयंत्र उस समय भी परिचालन में बने रहे सकते है जब सूर्य का प्रकाश तथा पवन का पर्याप्त उपलब्ध नहीं होती है। इसके साथ ही वे जलविद्युत संयंत्रों के जल की उपलब्धता में परिवर्तन होने की भांति भी प्रभावित नहीं होते है।
उपरोक्त के अतिरिक्त नाभिकीय ऊर्जा राष्ट्रों के मध्य द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ बनाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उदाहरण के तौर पर देखें तो वर्ष 2008 में भारत-अमेरिका परमाणु समझौते ने व केवल भारत के घरेलू संयंत्रों को मान्यता प्रदान की बल्कि इसने भारत-अमेरिका के द्विपक्षीय संबंधो को भी सुदृढ़ किया है। इसके साथ ही इसने परमाणु अप्रसार के संबंध में भारत की साख को और सुदृढ़ कर एक उत्तरदायी परमाणु हथियार संपन्न देश होने की मान्यता भी प्रदान की है।
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