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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    उच्च शिक्षा वह है जो हमें केवल ज्ञान नहीं देती है बल्कि हमारे जीवन में अस्तित्व के साथ समरसता लाती है। आज ज़रूरत है कि भारत में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नवचार संबंधी पहल की जाए। इस संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा की जा रही पहलों पर प्रकाश डालें।

    11 Jan, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    भूमिका:

    शिक्षा, खासकर उच्च शिक्षा हमारे समाज के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लोगों की स्थिति एवं जीवन की गुणवता में सुधार के लिये उच्च शिक्षा बहुत ज़रूरी है। यह समाज की चुनौतियों से निपटने के लिये समाधान पेश करते हुए अंतत: परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त करती है।

    विषय-वस्तु

    भारत में 1.25 करोड़ लोगों को उच्च या तृतीयक स्तर की शिक्षा प्रदान करने के लिये लगभग 800 विश्वविद्यालय (केंद्रीय, राज्यीय, निजी, डीम्ड तथा अन्य श्रेणियों सहित) है। इनमें से अधिकतर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा संचालित होते हैं। देश में लगभग सौ राष्ट्रीय महत्त्व के संस्थान है जिनकी स्थापना संसद या राज्य विधानसभाओं के विशेष अधिनियमों के जरिये की गई है। जो प्रत्यक्ष रूप से केंद्र या राज्य सरकार को रिपोर्ट करते हैं। उच्च शिक्षा के अन्य संस्थानों की तरह, इंजीनियरिंग संस्थान भी मुख्य रूप से केवल ज्ञान पर ध्यान केंद्रित करते है। वे या तो ज्ञान का प्रसार करते है या नए अनुसंधान करते है। देश की सेवा करने और प्रासंगिक बने रहने के लिये इंजीनियरिंग की शिक्षा की पंरपरागत शैली से अलग एक विशेष दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता होती है। इंजीनियिरिंग शिक्षा को समाज की आवश्यकताओं से संबंधित मुद्दों के समाधान हेतु प्रासंगिक वैज्ञानिक सिद्धांतों के अनुरूप होना चाहिये। हाल ही में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग ने उच्च शिक्षा को अधिक व्यापक और प्रभावी बनाने के लिये कई नए और नवाचार कार्यक्रम शुरू किये हैं और उच्च शिक्षा प्रणाली में महत्त्वपूर्ण सकारात्मक परिवर्तन किये है। इनमें से कुछ निम्नलिखित है-

    • अनुसंधान और नवाचार : उच्च शिक्षा संस्थानों के लिये स्टार्ट अप इंडिया पहल-

    मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा 21वीं सदी को नवाचार की सदी घोषित किये जाने और 2010-20 के दशक को नवाचार दशक के रूप में मनाने के कारण, एक नवाचार प्रकोष्ठ की स्थापना की गयी है। मंत्रालय ने नवाचार उपलब्धियों के बारे में संस्थानों की रेंकिंग की शुरुआत की है ताकि देश भर के सभी उच्च शिक्षा संस्थानों में नवाचार संस्कृति को व्यवस्थित रूप से बढ़ावा दिया जा सके। विद्यार्थियों में नवाचार को बढ़ावा देने और इसके प्रति जागरूकता पैदा करने हेतु देश में ऐसे 1000 नवाचार केंद्र स्थापित करने की योजना है जो स्टेंडफोर्ट और एमआईटी जैसे संस्थानों से प्रतिस्पर्धा कर सकें।

    • अकादमिक नेटवर्क के लिये वैश्विक पहल (ज्ञान)-

    इस प्हल का उद्देश्य विज्ञान और उद्यम क्षेत्र के प्रतिभावान वैज्ञानिकों को भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों में पढ़ाने के लिये आमंत्रित करना और अनुसंधान में भागीदार बनाना है।

    • सहयोग द्वारा अकादमिक अनुसंधान और संवर्धन योजना-

    इस योजना के तहत दुनिया के सर्वोत्तम संस्थानों तथा भारतीय संस्थानों के बीच शिक्षण तथा अनुसंधान सहयोग द्वारा भारतीय संस्थानों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं और वैज्ञानिकों की कमी को पूरा किया जाएगा जो नए आविष्कारों तथा नवाचार में मदद करेगी।

    • डिजिटल इंडिया-ई-लर्निंग-

    इस वर्चुअल क्लासरूम और मैसिव ओपन ऑनलाइन पाठ्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विश्वविद्यालय के बाहर लाखों युवाओं को बिना बड़ी शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के आसानी से गुणवत्ता वाली शिक्षा तक पहुँचने में सक्षम बनाना है।

    • अनुसंधान तथा नवाचार : डिजाइन नवाचार के लिये राष्ट्रीय पहल-

    डिजाइन नवाचार भारत में वैल्यू चेन को बढ़ाने और उद्योगों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद कर सकता है। इस कार्यक्रम के तहत 20 नए डिजाइन नवाचार केंद्रों की स्थापना की योजना है।

    • उच्चतर आविष्कार योजना

    इस योजना का उद्देश्य भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में नवाचार को बढ़ावा देना है। इसके तहत नवाचार सोच को बढ़ावा देकर शिक्षा संस्थानों तथा उद्योग के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया जाता है।

    • उच्च शिक्षा संस्थानों में नवाचार : इम्प्रिंट-

    भारत सरकार ने विशेषकर देश के आईआईटी, एनआईटी और अन्य शिक्षा संस्थानों में नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये एक अनूठी योजना शुरू की है जिसे इम्प्रिंट कहा जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य अनुसंधान से प्राप्त जानकारी का इस्तेमाल व्यवहारिक प्रैद्योगिकी में करना है।

    निष्कर्ष

    अंत में संक्षिप्त, संतुलित और सारगर्भित निष्कर्ष लिखे-

    ज्ञान आधारित समाज के मौजूदा समय में विज्ञान अब केवल जिज्ञासा संचालित कार्य नहीं है बल्कि इसे एक मूलभूत आवश्यकता समझा जाने लगा है। साथ ही इस बात पर बल दिया जाता है कि इंजीनियरिंग आविष्कारों और प्रौद्योगिकीय नवाचार के जरिये इस ज्ञान को समाज के हित में इस्तेमाल किया जाए। शिक्षा न केवल नए-नए शोधों और उनके नतीजों के लाभ उठाने के लिये लोगों को प्रभावी रूप से प्रशिक्षित करने का एकमात्र तरीका है बल्कि यह हमारे साथ-साथ भावी पीढ़ियों के लिये भी वातावरण को बेहतर, सुरक्षित और स्वस्थ बनाने में लोगों को सक्रिय भागीदार और योगदान करने में सक्षम बनाती है।

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