- फ़िल्टर करें :
- सैद्धांतिक प्रश्न
- केस स्टडीज़
-
प्रश्न :
भ्रष्टाचार निवारण में नागरिकों की भागीदारी बढ़ाने के लिये किस प्रकार के तंत्र की आवश्यकता है? टिप्पणी करें।
20 Sep, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा-
- भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई में जनभागीदारी की अपरिहार्यता को संक्षिप्त में बताएँ।
- जनभागीदारी को बढ़ाने के लिये आवश्यक तंत्र का उदाहरणों के साथ उल्लेख करें।
- निष्कर्ष
भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई में जितना महत्त्व निगरानी तंत्र, संस्थाओं और कानूनों का है, उससे भी कहीं अधिक आवश्यकता इसमें लोगों की भागीदारी बढ़ाने की है। भ्रष्टाचार के खिलाफ जब तक आम जनता जागरूक नहीं होगी, भ्रष्ट गतिविधियों का विरोध नहीं करेगी, तब तक केवल कानूनों के माध्यम से भ्रष्टाचार को समाप्त नहीं किया जा सकता है।
- एक सुदृढ़ और सतर्क सिविल समाज भ्रष्टाचार पर प्रभावी निगरानी रख सकता है। इसके लिये सबसे बेहतर उदाहरण जापान का है, जहाँ पर भ्रष्ट अधिकारियों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया जाता है।
- एक अन्य प्रमुख उदाहरण हांगकांग की आईसीएसी (Independent commission against corruption) का है, जिसने लोगों की इस मान्यता को बदल कर रख दिया है कि भ्रष्टाचार तो जीवन का अहम् हिस्सा है। इस संस्था ने जनभागीदारी के माध्यम से भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक सख्त आंदोलन चलाया। टी.वी. विज्ञापनों में भ्रष्टाचार की शिकायतों के लिये दूरभाष नंबर दिये गए और शिकायतकर्त्ता की पूर्ण सुरक्षा का भी आश्वासन दिया गया। स्कूली बच्चों के बीच भ्रष्टाचार के दुष्प्रभावों से चित्रित सामग्री वितरित की गई।
- भारत में सूचना के अधिकार अधिनियम ने नागरिकों को भ्रष्टाचार विरोधी लड़ाई से जोड़ा अवश्य है,परंतु एक ऐसे ‘व्हिसिल ब्लोअर अधिनियम’ की आवश्यकता है, जो इस लड़ाई में भागीदार नागरिकों को मानसिक और शारीरिक सुरक्षा प्रदान कर सके।
- भारत के आम जनमानस में भ्रष्टाचार की जो एक सामाजिक स्वीकार्यता बन चुकी है, उसे बदले जाने की आवश्यकता है। इसमें मीडिया के विभिन्न माध्यमों से लेकर स्कूली और विश्वविद्यालय स्तरीय शिक्षा के माध्यम से प्रभावी ढंग से बदलाव लाया जा सकता है।
जब तक आम जनमानस में यह धारणा पुष्ट नहीं की जाएगी कि भ्रष्ट व्यवस्था को बनाए रखने के मुकाबले इसे उखाड़ने वाले प्रोत्साहन अधिक हैं, तब तक भ्रष्टाचार को जड़ से समाप्त नहीं किया जा सकता है। महत्त्वपूर्ण सरकारी संस्थानों और कार्यालयों में नैतिकता का आकलन तथा उसे बनाए रखने की प्रक्रिया में नागरिकों को भी शामिल किया जाना चाहिये। सेवा स्तर का निर्धारण करके नागरिकों के चार्टर को भी और अधिक असरदार बनाया जा सकता है।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Print