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प्रश्न :
पूर्वाग्रह एवं भेदभाव कई सामाजिक समस्याओं के मूल में है। स्पष्ट करें। इसे किस प्रकार नियंत्रित किया जा सकता है?
02 Feb, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा:
- पूर्वाग्रह को परिभाषित करते हुए भेदभाव से संबंधित सामाजिक संमस्याओं को स्पष्ट करें।
- बताएँ कि इसे किस प्रकार नियंत्रित किया जा सकता है।
पूर्वाग्रह का तात्पर्य किसी व्यक्ति में संचित उन भावनाओं से है जिसके कारण वह किसी व्यक्ति अथवा समूह के प्रति सकारात्मक व नकारात्मक रुझान रखता है। सामान्य रूप में सामाजिक विकास के दौरान व्यक्ति जिन परिस्थितियों में पलता है उनके आधार पर उसके मन में पूर्वाग्रह का निर्माण होता है। बचपन में जिन चीजों अथवा व्यक्तियों से उसे लाभ होता है वह उसे सकारात्मक रूप में देखता है; वहीं जिन चीजों के बारे में उन्हें गलत ढंग से बताया जाता है उनके बारे में उसके मन में नकारात्मक रुझान उत्पन्न हो जाते हैं। पूर्वाग्रह से प्रभावित व्यक्ति वास्तविकता से अनभिज्ञ रहते हुए विशेष समूह और लोगों के प्रति भेदभाव पूर्ण व्यवहार करने लगता है। इससे संबंधित समस्याओं को निम्नलिखित रूपों में देखा जा सकता है-
- पितृसत्तात्मक समाज में पूर्वाग्रह महिलाओं के प्रति एक हीन भावना उत्पन्न करता है। इससे महिलाएँ सामाजिक विकास में पीछे छूट जाती हैं और उनके प्रति भेदभाव, यौन हिंसा, घरेलू हिंसा जैसे सामाजिक अपराध होते हैं।
- उसी प्रकार नस्लीय भेदभाव का एक प्रमुख कारण पूर्वाग्रह है। द्वितीय विश्व युद्ध से पूर्व जर्मनी में नाजियों द्वारा यहूदियों के नरसंहार तथा अमेरिका में अश्वेतों के प्रति बुरा व्यवहार के मूल में भी यह नस्लीय भेदभाव ही है।
- हमारे देश में जाति के आधार पर भेदभाव एक बड़ी समस्या रही है। जाति आधारित भेदभाव तथा शोषण के मूल में पूर्वाग्रह की मानसिकता ही कार्य करती है।
- उसी प्रकार सांप्रदायिकता की समस्या के मूल में भी दूसरे धर्म के लोगों के प्रति पूर्वाग्रह की भावना ही कार्य करती है।
पूर्वाग्रह आधारित भेदभाव को कानूनी-वैधानिक, मनोवैज्ञानिक तथा व्यावहारात्मक विज्ञान आदि के प्रयोग से नियंत्रित किया जा सकता है। कानूनी-वैधानिक प्रावधानों के तहत धर्म, लिंग, नस्ल, जन्म-स्थान आदि के आधार पर विरोध करने पर दंड के प्रावधान किए गए हैं।
किंतु दंड पर आधारित पूर्वाग्रह का विरोध पूर्वाग्रह की समस्या का स्थाई समाधान नहीं है। मनोवैज्ञानिक तथा व्यावहारात्मक विज्ञान के द्वारा पूर्वाग्रह की समस्या का समाधान धारणीय रूप से किया जा सकता है। इसके तहत रोल-प्ले तथा सन्दर्भ समूह में परिवर्तन जैसे उपाय किये जासकते हैं। पूर्वाग्रह की समस्या के समाधान के लिये तर्क पर आधारित वैज्ञानिक शिक्षा और नैतिकता तथा मानवतावादी भावनाओं का प्रसार भी आवश्यक है।
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