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प्रश्न :
आपकी नियुक्ति एक ज़िले में ज़िलाधिकारी के रूप में होती है। आपको जानकारी मिलती है कि जिले के कुछ कस्बों में ट्रांसजेंडरो द्वारा लोगों से जबरन पैसे मांगे जाते हैं और पैसे नहीं देने पर वे लोगों के साथ गाली-गलौज व दुर्व्यवहार करते हैं। साथ ही आपको यह भी जानकारी मिलती है कि इनमें से कई ट्रांसजेंडर वेश्यावृत्ति में भी संलिप्त हैं। उपरोक्त परिस्थिति ने सामाजिक समस्याओं के साथ-साथ स्वास्थ्य चिंताओं को भी जन्म दिया है। (a) आप इस समस्या को किस रूप में देखते हैं? (b) उपरोक्त परिस्थिति से निपटने के लिये आप कौन-से कदम उठाएंगे? (c) ट्रांसजेंडरों की बेहतरी के लिये कौन-से कदम उठाए जाने की आवश्यकता है?
26 Feb, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
(a) यह एक अत्यंत ही जटिल समस्या है। साथ ही यह एक सामाजिक समस्या, कानून-व्यवस्था व यौन रोगों से संबंधित स्वास्थ्य की समस्याओं को जन्म देती है।
इस समस्या के मूल में लोगों की विकृत मानसिकता है। परंपरागत रूप से किन्नरों/ट्रांसजेंडरों को समाज में एक दोयम दर्जा मिला हुआ है। परिवार व समाज द्वारा वे सदैव बहिष्कृत किये गए हैं। उनके पास शिक्षा व रोजगार के अवसर न के बराबर होते हैं। ऐसे में वे जीवनयापन के लिये भिक्षावृत्ति और वेश्यावृत्ति जैसे कृत्यों में सम्मिलित हो जाते हैं। इसलिये इस समस्या को समग्र रूप में देखे जाने की आवश्यकता है।
(b) दी गई परिस्थिति में सबसे पहले मैं आम लोगों को होने वाली परेशानियों को कम करने का प्रयास करुंगा। इसके तहत अवैध पैसे की मांग को रोकने के लिये पुलिस द्वारा नियमित पेट्रोलिंग की व्यवस्था करवाऊँगा और नजदीकी पुलिस चौकी को इस संबंध में विशेष निर्देश दूँगा।
किन्नरों/ट्रांसजेंडरों के लिये कुछ संभावित रोजगार की व्यवस्था करवाने का प्रयास करुंगा। इस संबंध में ट्रांसजेंडरों के लिये कार्य करने वाले एन.जी.ओ. की मदद ली जा सकती है। किन्नरों को छोटे उद्यमों को चलाने के लिये भी प्रशिक्षित किया जा सकता है। स्वयं सहायता समूह की मदद से उनके लिये वित्त की भी व्यवस्था की जा सकती है।
यौन रोगों की जाँच के लिये कैंप लगाने का प्रयास करुंगा और इस संबंध में लोगों के बीच जागरूकता फैलाने का प्रयास करुंगा। इस प्रकार समस्या के समाधान के लिये एक समन्वित दृष्टिकोण अपनाने का प्रयास करुंगा।
(c) ट्रांसजेंडरों की बेहतरी के लिये एक समन्वित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है जिसमें विभिन्न वर्गों की अपनी भूमिका है। इसे हम निम्नलिखित रूपों में देख सकते हैं:
- सबसे पहले समाज में मानसिकता बदलने की आवश्यकता है क्योंकि ट्रांसजेंडरों से संबंधित समस्या तथा इस प्रकार की अन्य समस्याओं के मूल में परंपरागत नकारात्मक मानसिकता ही है। ट्रांसजेंडरों को सामान्य नागरिक जैसी आम सुविधाएँ नहीं मिल पाती है। उन्हें परिवार व समाज द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता है और उनके लिये शिक्षा और रोजगार के अवसर भी सीमित होते हैं।
- इसे दूर करने के लिये लोगों की अभिवृत्ति में परिवर्तन किया जाना आवश्यक है। इसके लिये शिक्षा तथा जागरूकता आवश्यक है। बच्चों को ट्रांसजेंडरों के समान अधिकार के संबंध में शिक्षित किया जाना चाहिये। वर्तमान समय में विज्ञापनों की अभिवृत्ति निर्माण व परिवर्तन में काफी अहम भूमिका है। अतः ट्रांसजेंडरों की समस्याओं पर केन्द्रित संवेदनशील व ज्ञानवर्द्धक विज्ञापनों के माध्यम से भी जागरूकता फैलाई जा सकती है।
- ट्रांसजेंडरों को उनका अधिकार दिलाने, उन्हें शिक्षित करने, उनमें कौशल विकास करने, रोजगार मुहैया कराने तथा उनके संबंध में आम लोगों को जागरूक व संवेदनशील बनाने में एन.जी.ओ. की भी काफी महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। अतः ट्रासजेंडरों के लिये कार्य करने वाले एन.जी.ओ. की भी मदद ली जा सकती है।
- सरकार द्वारा ट्रांसजेंडरों के अधिकार सुनिश्चित करने के लिये विशेष प्रयास किये जाने की आवश्यकता है। कानूनी प्रावधानों के माध्यम से ट्रासजेंडरों के हितों की सुरक्षा की जानी चाहिये। उनकी शिक्षा व रोजगार की विशेष व्यवस्था की जानी चाहिये और उन्हें समाज की मुख्य धारा में लाने का प्रयास किया जाना चाहिये। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट का वह निर्णय जिसके तहत ट्रांसजेंडरां के लिये तीसरे जेंडर तथा आरक्षण के प्रावधान की बात कही गई है, महत्वपूर्ण है।
- विभिन्न राज्यों द्वारा समय-समय पर ट्रांसजेंडरों के अधिकार सुनिश्चित करने के लिये कुछ कदम उठाये गए हैं। हाल ही में राज्य सभा द्वारा ट्रांसजेंडरों व्यक्तियों का अधिकार बिल पारित किया गया। ये कदम ट्रांसजेंडरो के अधिकारों को सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण सिद्ध होंगे।
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