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  • 31 Jul 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    दिवस-13. भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इस संदर्भ में, लॉन्च की गई नई राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति इन चुनौतियों का समाधान कैसे कर सकती है और यह भारत की लॉजिस्टिक्स दक्षता एवं प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार कैसे कर सकती है? चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • परिचय: भारत में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के महत्त्व और चुनौतियों का संक्षेप में उल्लेख करते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • मुख्य भाग: राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के तहत मुख्य उद्देश्यों और प्रमुख पहलों पर चर्चा कीजिये।
    • निष्कर्ष: नीति के संभावित लाभों और निहितार्थों के साथ-साथ प्रभावी कार्यान्वयन की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए निष्कर्ष लिखिये।

    लॉजिस्टिक्स उद्योग पूरे देश और वैश्विक बाज़ारों में उत्पादों तथा सेवाओं की कुशल आवाजाही के लिये महत्त्वपूर्ण है। इसमें परिवहन, भंडारण और पैकेजिंग, लेबलिंग एवं इन्वेंट्री प्रबंधन जैसी मूल्य वर्द्धित सेवाएँ शामिल हैं।

    आर्थिक सर्वेक्षण 2021 के अनुसार, लॉजिस्टिक्स उद्योग का देश की जीडीपी में 13-14% योगदान है, जो चीन और अमेरिका जैसे अन्य देशों की तुलना में बहुत अधिक है।

    भारत के लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को उच्च लागत, अक्षमता, विखंडन, समन्वय की कमी, खराब बुनियादी ढाँचे, नियामक बाधाओं, कौशल अंतराल और पर्यावरण संबंधी चिंताओं जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। ये चुनौतियाँ अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिस्पर्द्धात्मकता एवं विकास को प्रभावित करती हैं जो कि लॉजिस्टिक्स सेवाओं पर निर्भर हैं।

    सितंबर 2022 में लॉन्च की गई राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति, 2022 का उद्देश्य इन चुनौतियों का समाधान करना और भारत की लॉजिस्टिक्स दक्षता तथा प्रतिस्पर्द्धात्मकता में सुधार करना है। इस नीति के निम्नलिखित उद्देश्य हैं:

    • इस नीति की मदद से लॉजिस्टिक्स लागत को कम करने का प्रयास किया जाएगा। इस नीति का उद्देश्य लागतों में कटौती करना है, जो वर्तमान में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 14-15 प्रतिशत है जिसमें वर्ष 2030 तक लगभग 8 प्रतिशत तक की कमी लाना है।
      • यह अनुमान लगाया गया है कि लॉजिस्टिक्स लागत में प्रत्येक 1% की कमी से सकल घरेलू उत्पाद में 0.25% की वृद्धि हो सकती है।
    • परिवहन के विभिन्न साधनों और अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों में लॉजिस्टिक्स सेवाओं की गुणवत्ता तथा प्रदर्शन को बढ़ाना।
    • एक एकल-खिड़की ई-लॉजिस्टिक्स बाज़ार बनाना जो सभी हितधारकों को एकीकृत करता हो तथा वस्तुओं एवं सेवाओं की निर्बाध आवाजाही की सुविधा प्रदान करता हो।
    • लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में डिजिटलीकरण, मानकीकरण, स्वचालन और नवाचार को बढ़ावा देना।
    • लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के लिये कुशल और प्रशिक्षित कार्यबल विकसित करना।
    • हरित प्रथाओं को अपनाकर और जोखिमों को कम करके लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में स्थिरता एवं लचीलेपन को बढ़ावा देना।

    यह नीति एक व्यापक लॉजिस्टिक्स एक्शन प्लान के माध्यम से संपूर्ण लॉजिस्टिक्स पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के लिये एक व्यापक एजेंडे की परिकल्पना करती है। लॉजिस्टिक्स एक्शन प्लान चार प्रमुख स्तंभों पर ध्यान केंद्रित करेगा: बुनियादी ढाँचा, सेवाएँ, मानव संसाधन और स्थिरता।

    CLAP के अंतर्गत कुछ प्रमुख पहलें हैं:

    • एक एकीकृत राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नेटवर्क विकसित करना जो मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी बुनियादी ढाँचे के लिये पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का लाभ उठाए।
    • विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, राज्यों और हितधारकों के बीच नीतिगत सामंजस्य एवं समन्वय सुनिश्चित करने के लिये राष्ट्रीय रसद परिषद तथा राष्ट्रीय रसद समन्वय समिति की स्थापना करना।
    • सूचना, सुविधा, अनुपालन और शिकायत निवारण के लिये एकल-खिड़की मंच के रूप में एक राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स पोर्टल बनाना।
    • डेटा-संचालित निर्णय लेने और प्रदर्शन की निगरानी को सक्षम करने के लिये एक राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स डेटा एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म लागू करना।
    • परिवहन के विभिन्न साधनों और अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों में मानकों, विनियमों एवं प्रक्रियाओं में सामंजस्य स्थापित करना।
    • लॉजिस्टिक्स सेवा प्रदाताओं और पेशेवरों की गुणवत्ता तथा मान्यता सुनिश्चित करने के लिये एक राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स प्रमाणन ढाँचा विकसित करना।
    • लॉजिस्टिक्स कार्यबल की रोज़गार क्षमता और उत्पादकता को बढ़ाने के लिये राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स कौशल विकास कार्यक्रम शुरू करना।
    • ऊर्जा दक्षता, नवीकरणीय ऊर्जा, अपशिष्ट प्रबंधन और कार्बन फुटप्रिंट में कमी जैसी हरित लॉजिस्टिक प्रथाओं को बढ़ावा देना।

    राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति में भारत में लॉजिस्टिक्स क्षेत्र को अधिक कुशल, लागत प्रभावी, प्रतिस्पर्द्धी, समावेशी और टिकाऊ बनानेकी क्षमता है। यह भारत की आर्थिक वृद्धि, रोज़गार सृजन, निर्यात विविधीकरण तथा क्षेत्रीय एकीकरण में भी योगदान दे सकती है। हालाँकि नीति के सफल कार्यान्वयन के लिये विभिन्न स्तरों पर सभी हितधारकों के बीच प्रभावी समन्वय, सहयोग और प्रतिबद्धता की आवश्यकता होगी।

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