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09 Aug 2022
सामान्य अध्ययन पेपर 3
पर्यावरण
दिवस 30: कार्बन फार्मिंग क्या है? चर्चा कीजिये कि जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिये कार्बन फार्मिंग एक व्यवहार्य विकल्प क्यों है?
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- कार्बन फार्मिंग को परिभाषित कीजिये।
- चर्चा कीजिये कि जलवायु परिवर्तन को कम करने के लिये क्या कार्बन फार्मिंग एक व्यवहार्य विकल्प है।
- कार्बन फार्मिंग को प्रोत्साहित करने के लिये उठाए जा सकने वाले कदमों का उल्लेख कीजिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।
कार्बन फार्मिंग, जिसे कार्बन सीक्वेस्ट्रेशन (Carbon Sequestration) भी कहा जाता है, कृषि प्रबंधन की एक प्रणाली है जो भूमि को अधिक कार्बन जमा करने और वायुमंडल में उत्सर्जित ग्रीनहाउस गैसों (GHG) की मात्रा को कम करने में मदद करती है। इसमें वे अभ्यासों शामिल हैं जो वातावरण से CO2 को हटाने और इन्हें पादप सामग्री एवं मृदा के कार्बनिक पदार्थ में परिवर्तित करने की दर में सुधार लाने के लिये जाने जाते हैं। कार्बन फार्मिंग तब सफल मानी जाती है जब वर्द्धित भूमि प्रबंधन या संरक्षण प्रथाओं के परिणामस्वरूप कार्बन लाभ की स्थिति कार्बन हानि से अधिक हो जाती है।
कृषि पृथ्वी के आधे से अधिक स्थलीय पृष्ठ को कवर करती है और वैश्विक GHG उत्सर्जन में लगभग एक तिहाई का योगदान देती है। वर्ष 2021 के आरंभ में भारत सरकार द्वारा UNFCCC को सौंपी गई तीसरी द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट के अनुसार देश का कृषि क्षेत्र इसके कुल GHG उत्सर्जन में 14% हिस्सेदारी रखता है। भारत में कृषि उत्सर्जन मुख्य रूप से पशुधन क्षेत्र (54.6%) और नाइट्रोजन उर्वरकों (19%) के उपयोग से प्रेरित है। इनमें से वर्ष 2016 के दौरान चावल की खेती से GHG उत्सर्जन322 मिलियन टन ‘CO2 समतुल्य’ था और विश्लेषकों का अनुमान है कि यह वर्ष 2018-19 के दौरान 72.329 मिलियन टन ‘CO2 समतुल्य’ के स्तर तक पहुँच गया होगा।
पुनर्योजी कृषि पद्धतियों (Regenerative Agriculture Practices) की ओर आगे बढ़ने से इसे कम किया जा सकता है और कार्बन फार्मिंग इस संक्रमण की गति को तीव्र कर सकती है।
कार्बन फार्मिंग एक व्यवहार्य विकल्प है क्योंकि
- जलवायु के अनुकूल: कार्बन फार्मिंग एक साहसिक नए कृषि व्यवसाय मॉडल का वादा करती है जो जलवायु परिवर्तन का मुक़ाबला कर सकती है, नए रोज़गार अवसरों का सृजन करेगी और लाभहीन भविष्य से खेतों की रक्षा करेगी।
- संक्षेप में यह एक जलवायु समाधान है, यह आय सृजन के अवसरों में वृद्धि करती है और वृहत आबादी के लिये खाद्य सुरक्षा जाल सुनिश्चित करती है।
- ‘कार्बन कैप्चर’ को इष्टतम करना: यह ‘कार्बन कैप्चर’ को इष्टतम करने के लिये एक समग्र कृषि दृष्टिकोण है जो उन अभ्यासों का अनुपालन करती है जो वातावरण से CO2 को हटाने और इन्हें पादप सामग्री एवं मृदा के कार्बनिक पदार्थ में परिवर्तित करने की दर में सुधार लाने के लिये जाने जाते हैं।
- कार्बन फार्मिंग हमारे किसानों को उनकी कृषि प्रक्रियाओं में पुनर्योजी अभ्यासों का अनुपालन करने के लिये प्रोत्साहित कर सकती है, जहाँ वे अपना ध्यान पैदावार में सुधार लाने से कार्यशील पारिस्थितिकी तंत्र और कार्बन की जब्ती (जिन्हें फिर कार्बन बाज़ारों में बेचा जा सकता है) की ओर मोड़ सकते हैं।
- किसानों के अनुकूल: यह न केवल मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार लाता है, बल्कि हाशिये पर स्थित किसानों के लिये कार्बन क्रेडिट से प्राप्त वर्द्धित/द्वितीय आय के साथ-साथ बेहतर गुणवत्तायुक्त, जैविक और रसायन-मुक्त खाद्य (Farm-to-Fork Models) जैसे परिणाम दे सकता है।
- कार्बन बाज़ार का विकास: वर्ष 2020 में वैश्विक कार्बन बाज़ारों के कुल मूल्य में 20% की वृद्धि हुई (रिकॉर्ड वृद्धि का लगातार चौथा वर्ष) और यह अधिकाधिक निवेशकों को आकर्षित करने की राह पर है।
- वर्ष 2021 में कार्बन डाइऑक्साइड परमिट के लिये वैश्विक बाज़ारों का कारोबार 164% बढ़कर 760 बिलियन यूरो (851 बिलियन डॉलर) के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया।
- इस प्रकार कार्बन प्रभावी रूप से किसानों के लिये भविष्य की ‘नकदी फसल’ (cash crop) साबित हो सकता है
कार्बन फार्मिंग को प्रोत्साहित करने के लिये क्या कदम उठाए जा सकते हैं?
- मृदा क्षमता का दोहन: मृदा जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध सबसे अप्रयुक्त और कम उपयोग किये गए रक्षात्मक उपायों में से एक है तथा एक कुशल कार्बन सिंक के रूप में कार्य करती है। भारत को अपने शुद्ध शून्य लक्ष्य की प्राप्ति और डीकार्बोनाइजिंग मार्ग पर आगे बढ़ने के लिये इसका लाभ उठाना चाहिये।
- अध्ययनों से पता चलता है कि मृदा हर साल दुनिया के जीवाश्म-ईंधन उत्सर्जन का लगभग 25% दूर करती है, लेकिन यह अभी तक वैश्विक स्तर पर निर्धारित कार्बन प्रबंधन अभ्यासों और आख्यानों की लापता कड़ी रही है।
- कार्बन फार्मिंग के लिये कानूनी समर्थन: एक व्यापक एवं भविष्योन्मुखी कार्बन फार्मिंग अधिनियम, एक सुदृढ़ संक्रमण योजना के साथ, कार्यशील भूमि पर कार्बन सिंक निर्माण के विचार को प्रभावी ढंग से प्रदर्शित कर सकता है और जलवायु संकट का मुक़ाबला करने, पोषण में सुधार, कृषक समुदायों के अंदर असमानताओं को कम करने, भूमि उपयोग में परिवर्तन लाने के साथ ही हमारी खंडित खाद्य प्रणालियों को ठीक करने हेतु अत्यंत आवश्यक समाधान प्रदान कर सकता है।
- किसानों के लिये प्रत्यक्ष प्रोत्साहन: जलवायु-तटस्थ अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिये भूमि क्षेत्र अत्यंत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह वातावरण से CO2 जब्त कर सकता है।
- हालाँकि कृषि एवं वानिकी क्षेत्रों को प्रोत्साहित करने के लिये जलवायु-अनुकूल अभ्यासों को अपनाने हेतु प्रत्यक्ष प्रोत्साहनों का सृजन आवश्यक है, क्योंकि वर्तमान में कार्बन सिंक की वृद्धि और संरक्षण को प्रोत्साहित करने के लिये कोई लक्षित नीति उपकरण मौजूद नहीं है।
- कार्बन क्रेडिट और कार्बन बैंक: किसानों को वैश्विक स्तर पर व्यापार योग्य कार्बन क्रेडिट के माध्यम से पुरस्कृत किया जा सकता है। कार्बन बैंक भी बनाए जा सकते हैं जो किसानों के साथ कार्बन क्रेडिट की खरीद और बिक्री करेंगे।
- इन क्रेडिटों को उन निगमों को बेचा जा सकता है जिन्हें अपने उत्सर्जन की भरपाई करने की आवश्यकता है।
- कार्बन-रिक्त मृदा के पुनरुद्धार के लिये किसानों को भुगतान करना प्राकृतिक जलवायु समाधान के लिये और ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस से नीचे स्थिर करने के लिये एक बड़ा अवसर प्रदान करता है।
- सामूहिक भागीदारी: कार्बन फार्मिंग के समग्र ढाँचे की सफलता के लिये इसमें ठोस नीतियों, सार्वजनिक-निजी भागीदारियों, सटीक परिमाणीकरण पद्धतियों और इस विचार को कुशलतापूर्वक लागू करने के लिये सहायक वित्तपोषण को शामिल करना होगा।
- इस कार्य को ऐसे पैमाने पर पूरा करने की आवश्यकता है जहाँ कार्बन को अवशोषित एवं संग्रहीत करने वाली स्वस्थ मृदा को बनाए रखने के साथ-साथ मापन-योग्य कार्बन कैप्चर की प्राप्ति हो सके।