विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
संसद टीवी विशेष: भारत में AI की तैयारी
- 03 Oct 2024
- 22 min read
प्रिलिम्स के लिये:कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), सकल घरेलू उत्पाद (GDP) मशीन लर्निंग, राष्ट्रीय AI रणनीति और राष्ट्रीय AI पोर्टल, रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन (RPA), कृत्रिम बुद्धिमत्ता मिशन, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR), भारत का ई-कॉमर्स क्षेत्र। मेन्स के लिये:भारतीय अर्थव्यवस्था में AI की भूमिका, चुनौतियाँ और सुझाव। |
चर्चा में क्यों?
पिछले दशक में भारत का सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product- GDP) लगभग दोगुना होकर 3.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है, जो इसकी तेज़ आर्थिक वृद्धि को दर्शाता है। परिवर्तनकारी बदलाव लाने के लिये कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence- AI) पर ज़ोर देना आवश्यक है।
भारत के AI बाज़ार की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ती स्वीकार्यता: राष्ट्रीय AI रणनीति और राष्ट्रीय AI पोर्टल जैसी पहलों से प्रेरित होकर, भारत में विभिन्न क्षेत्रों में AI का तेज़ी से एकीकरण हो रहा है।
- डेटा एनालिटिक्स पर जोर: कंपनियाँ अंतर्दृष्टि प्राप्त करने, परिचालन को बढ़ाने और नवाचार को बढ़ावा देने के लिये एनालिटिक्स का उपयोग कर रही हैं, जिसे नैसकॉम के AI फॉर ऑल कार्यक्रम जैसी पहलों का समर्थन प्राप्त है।
- उभरते AI क्लस्टर: बंगलुरु, हैदराबाद, मुंबई, चेन्नई, पुणे और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (National Capital Region- NCR) सहित प्रमुख शहर, सहायक नीतियों और शैक्षणिक संस्थानों द्वारा संचालित AI क्लस्टर विकसित कर रहे हैं।
- बंगलुरु, जिसे अक्सर "भारत की सिलिकॉन वैली" कहा जाता है, में 2,000 से अधिक स्टार्टअप और मज़बूत AI अनुसंधान हैं, तथा यहाँ प्रतिवर्ष 400 से अधिक पेटेंट दायर किये जाते हैं।
- अनुसंधान एवं विकास: IIT, ISI और IIS जैसे भारतीय संस्थान AI अनुसंधान में सक्रिय रूप से लगे हुए हैं और वैश्विक ज्ञान परिदृश्य में योगदान दे रहे हैं।
- निवेश के अवसर: भारत के AI बाज़ार में महत्त्वपूर्ण संभावनाएँ हैं, जैसे कि सटीक खेती के लिये IoT का उपयोग करना, बैंकिंग में धोखाधड़ी का पता लगाना और जोखिम मूल्यांकन बढ़ाना तथा पूर्वानुमानित निदान एवं व्यक्तिगत स्वास्थ्य देखभाल हेतु AI को नियोजित करना।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) क्या है?
- परिचय: AI मशीनों की उन कार्यों को करने की क्षमता को संदर्भित करता है जिनके लिये आमतौर पर मानवीय बुद्धि की आवश्यकता होती है, जिसमें सीखना, निर्णय लेना और भाषा समझना शामिल है।
- सामान्य अनुप्रयोगों में वर्चुअल असिस्टेंट, पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण और रोबोटिक्स शामिल हैं, जो डेटा से सीखने में सक्षम बनाकर उपकरणों की दक्षता बढ़ाते हैं।
- "कृत्रिम बुद्धिमत्ता" शब्द का आविष्कार जॉन मैकार्थी ने किया था, जो एक अमेरिकी कंप्यूटर वैज्ञानिक और संज्ञानात्मक वैज्ञानिक थे, जिन्होंने इस क्षेत्र की स्थापना में आधारभूत भूमिका निभाई।
- विशेषताएँ और घटक:
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता की एक प्रमुख विशेषता विशिष्ट लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये तर्कसंगत ढंग से कार्य करने की इसकी क्षमता है।
- AI के भीतर, मशीन लर्निंग (Machine Learning- ML) एक ऐसा उपसमूह है जो सिस्टम को डेटा से सीखने की अनुमति देता है। डीप लर्निंग (Deep Learning- DL) तकनीकें टेक्स्ट, इमेज और वीडियो सहित बड़ी मात्रा में असंरचित डेटा के विश्लेषण को सक्षम करके इस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाती हैं।
- AI के प्रकार:
- रिएक्टिव AI: इसमें इनपुट के आधार पर आउटपुट को बेहतर करने के लिये एल्गोरिदम का उपयोग होता है। शतरंज खेलने वाली AI प्रणाली इसका उदाहरण है जिसमें गेम जीतने के लिये सर्वोत्तम रणनीति अपनाई जाती है।
- सीमित मेमोरी AI: यह प्रणाली पिछले अनुभवों के अनुकूल होने के साथ ही नवीन डेटा के आधार पर खुद को अपडेट कर सकती है। इसमें अक्सर अद्यतन की मात्रा सीमित होने के साथ मेमोरी की लेंथ अपेक्षाकृत कम होती है।
- थ्योरी-ऑफ-माइंड AI: इसमें पिछले अनुभवों से सीखने और उन्हें बनाए रखने की व्यापक क्षमता होती है। इस प्रकार के AI में उन्नत चैट-बॉट शामिल हैं जो ट्यूरिंग टेस्ट पास करने के साथ AI को एक इंसान के समान प्रस्तुत कर संशय में डाल सकते हैं।
- सेल्फ-अवेयर AI: जैसा कि नाम से पता चलता है यह अपने स्वयं के अस्तित्व के प्रति संवेदनशील और जागरूक होता है। हालाँकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि AI कभी भी चेतन या जीवित अवस्था में नहीं होगा।
- AI, ML, और DL के बीच अंतर:
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI): मशीनों द्वारा मानव बुद्धि का अनुकरण करना है।
- मशीन लर्निंग (ML): AI का एक प्रकार है जिसमें एल्गोरिदम का विकास शामिल है जिससे कंप्यूटर बिना किसी विशेष प्रोग्राम के सीखने के क्रम में डेटा का अनुकरण करता है।
- डीप लर्निंग (DL): ML का एक उपसमूह है जिसमें मानव मस्तिष्क के सीखने के तरीके के समान डेटा से सीखने के लिये कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क का उपयोग होता है।
वैश्विक स्तर पर AI का विनियमन क्या है?
- भारत: नीति आयोग ने AI के लिये राष्ट्रीय रणनीति और रिस्पॉन्सिबल AI फॉर ऑल रिपोर्ट जैसे मुद्दों पर कुछ मार्गदर्शक दस्तावेज़ जारी किये हैं। भारत सामाजिक और आर्थिक समावेशन, नवाचार और भरोसे को प्रोत्साहित करता है।
- ब्रिटेन: ब्रिटेन ने AI के लिये मौजूदा नियमों को लागू करने हेतु विभिन्न क्षेत्रों में नियामकों से जानकारी एकत्रित करने के लिये सरल दृष्टिकोण को अपनाया है। कंपनियों द्वारा पालन किये जाने वाले पाँच सिद्धांतों को रेखांकित करते हुए एक श्वेतपत्र प्रकाशित किया गया जिसमें सुरक्षा और मज़बूत, पारदर्शिता एवं व्याख्यात्मकता, निष्पक्षता, जवाबदेही तथा शासन, प्रतिस्पर्द्धात्मकता एवं निवारण की व्याख्या की गई है।
- संयुक्त राज्य अमेरिका: अमेरिका ने AI बिल ऑफ राइट्स (AIBoR) हेतु एक ब्लूप्रिंट जारी किया, जिसमें आर्थिक एवं नागरिक अधिकारों के लिये AI के नकारात्मक प्रभाव को रेखांकित किया गया है तथा इन प्रभावों को कम करने हेतु पाँच सिद्धांत दिये गए हैं।
- यह ब्लूप्रिंट स्वास्थ्य, श्रम और शिक्षा जैसे कुछ क्षेत्रों हेतु नीतिगत हस्तक्षेप के साथ यूरोपीय संघ की तरह क्षैतिज रणनीति के बजाय AI शासन के लिये क्षेत्र विशेष का समर्थन करता है, जिससे क्षेत्रीय संघीय एजेंसियों को अपनी योजनाओं को तैयार करने की अनुमति मिलती है।
- चीन: वर्ष 2022 में चीन ने विशिष्ट प्रकार के एल्गोरिदम और AI को लक्षित करने वाले विश्व के कुछ पहले राष्ट्रीय बाध्यकारी नियम बनाए हैं। इसने अनुशंसा एल्गोरिदम को विनियमित करने हेतु कानून बनाया, जिसमें इस बात पर ध्यान दिया गया कि वे सूचना का प्रसार कैसे करते हैं।
भारत की आर्थिक वृद्धि में AI की क्या भूमिका है?
- बैंकिंग व वित्त:
- वित्तीय संस्थाएँ डेटा प्रविष्टि और अनुपालन जाँच जैसे दोहराव वाले कार्यों को स्वचालित करने के लिये रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन (Robotic Process Automation- RPA) का तेज़ी से उपयोग कर रही हैं, जिससे परिचालन लागत में 25% (मैककिन्से) तक की कमी आ सकती है।
- AI एल्गोरिदम धोखाधड़ी गतिविधियों का पता लगाने के लिये लेनदेन पैटर्न का विश्लेषण करते हैं।
- AI चैटबॉट 24/7 ग्राहक सहायता प्रदान करते हैं, अनुमान है कि वे वर्ष 2023 (जुनिपर रिसर्च) तक बैंकिंग क्षेत्र को वार्षिक 7.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर बचा सकते हैं।
- स्वास्थ्य देखभाल:
- AI निदान और उपचार विकल्पों को बढ़ाकर भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को बदल रहा है। उदाहरण के लिये AI एल्गोरिदम पारंपरिक तरीकों की तुलना में तपेदिक तथा मधुमेह रेटिनोपैथी जैसी स्थितियों का पता लगाने हेतु चिकित्सा छवियों का विश्लेषण अधिक सटीक एवं तेज़ी से कर सकते हैं।
- भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research- ICMR) ने "जैव चिकित्सा अनुसंधान और स्वास्थ्य देखभाल में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के क्षेत्र में नैतिक आचरण सुनिश्चित करने हेतु दिशा-निर्देश" जारी किये, जो स्वास्थ्य क्षेत्र में नैतिक आचरण सुनिश्चित करने हेतु 10 प्रमुख रोगी-केंद्रित नैतिक सिद्धांतों की रूपरेखा तैयार करता है।
- AI द्वारा संचालित व्यक्तिगत उपचार योजनाएँ, रोगी के डेटा का विश्लेषण करके उसके अनुरूप उपचार सुझाती हैं, जिससे रोगी के परिणामों में सुधार होता है। आयुष्मान भारत योजना जैसी भारत सरकार की पहलों को एआई द्वारा और अधिक समर्थन मिलता है, जो स्वास्थ्य सेवा वितरण और प्रबंधन की दक्षता को बढ़ाता है।
- कृषि:
- कृषि में खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण आय बढ़ाने के लिये AI महत्त्वपूर्ण है।
- परिशुद्ध कृषि में उपग्रह चित्रों और IoT डेटा का विश्लेषण करने के लिये AI का उपयोग किया जाता है, जिससे फसल प्रबंधन तथा सिंचाई को अनुकूलित किया जाता है।
- यह कीटों के प्रकोप का पूर्वानुमान भी लगाता है और फसल की उपज का पूर्वानुमान बढ़ाता है, जिससे बेहतर योजना बनती है तथा बर्बादी कम होती है।
- ये नवाचार भारत में उत्पादकता बढ़ाने और ग्रामीण आर्थिक लचीलेपन को मज़बूत करने के लिये आवश्यक हैं।
- ई-कॉमर्स:
- भारत का ई-कॉमर्स क्षेत्र तेज़ी से बढ़ रहा है, जो AI के कारण संभव हो पाया है। मशीन लर्निंग, अनुकूलित उत्पाद अनुशंसाओं के माध्यम से व्यक्तिगत खरीदारी को बढ़ाता है, जबकि AI मांग का पूर्वानुमान लगाकर और लॉजिस्टिक्स को स्वचालित करके आपूर्ति शृंखलाओं को अनुकूलित करता है।
- AI-संचालित मार्केटिंग लक्षित विज्ञापनों के साथ ग्राहक के साथ जुड़ाव को बढ़ाती है, रूपांतरण दरों और ब्रांड निष्ठा में सुधार करती है । ये नवाचार इस क्षेत्र में निरंतर विकास के लिये आवश्यक हैं।
- नवप्रवर्तन को बढ़ावा देना:
- AI स्टार्टअप्स और स्थापित व्यवसायों को नए उत्पाद और सेवाएं विकसित करने में सक्षम बनाकर विभिन्न उद्योगों में नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देता है।
- भारत में स्टार्टअप इकोसिस्टम में हेल्थकेयर ऐप्स से लेकर फिनटेक समाधानों तक AI-संचालित उपक्रमों में उछाल देखा गया है।
- नैसकॉम की रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि AI क्षेत्र से अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान मिलने की उम्मीद है, जिससे रोज़गार सृजन होगा और आर्थिक गतिविधियों में विविधीकरण को बढ़ावा मिलेगा।
- नवाचार के लिये सहायक वातावरण को बढ़ावा देकर, भारत अपनी युवा, तकनीक-प्रेमी आबादी का लाभ उठाकर वैश्विक बाज़ार में प्रतिस्पर्द्धी बना रह सकता है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता से संबंधित भारत की पहल क्या हैं?
- भारत का अपना AI स्टैक बनाना:
- भारत
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर वैश्विक भागीदारी (GPAI)
- अमेरिका भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता पहल
- युवाओं के लिये उत्तरदायी कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI)
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता अनुसंधान, विश्लेषण और ज्ञान आत्मसात मंच
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता मिशन
भारतीय अर्थव्यवस्था में AI से जुड़ी चुनौतियाँ क्या हैं?
- कुशल कार्यबल की कमी: भारत में AI प्रतिभाओं की कमी है। AI में शिक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ाने के प्रयासों के बावजूद, कुशल पेशेवरों की मांग आपूर्ति से अधिक बनी हुई है।
- यह कमी विभिन्न क्षेत्रों में AI समाधानों को नया रूप देने और लागू करने की क्षमता को सीमित करती है।
- डेटा एक्सेस और गुणवत्ता: प्रभावी AI मॉडल के लिये विविध और उच्च गुणवत्ता वाले डेटासेट की आवश्यकता होती है। वर्तमान डेटासेट, विशेष रूप से भारतीय भाषाओं हेतु अक्सर अपर्याप्त होते हैं, जिससे मज़बूत स्वदेशी AI समाधानों के विकास में बाधा आती है।
- व्यापक डेटा की कमी मशीन लर्निंग की प्रभावशीलता और मापनीयता को बाधित करती है।
- उच्च कार्यान्वयन लागत: विशेष रूप से विनिर्माण और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में AI प्रौद्योगिकियों को लागू करने से जुड़ी लागतें निषेधात्मक हो सकती हैं।
- इन खर्चों में बुनियादी ढाँचे में निवेश और AI प्रणालियों का एकीकरण शामिल है, जो व्यापक रूप से अपनाने में बाधा डाल सकता है।
- बुनियादी ढाँचे की कमी: प्रभावी AI तैनाती के लिये उन्नत क्लाउड कंप्यूटिंग बुनियादी ढाँचा महत्त्वपूर्ण है। जबकि AIRAWAT जैसी पहल सही दिशा में कदम हैं, भारत में अभी भी AI अनुप्रयोगों को कुशलतापूर्वक बढ़ाने हेतु आवश्यक व्यापक सुविधाओं का अभाव है।
- भू-राजनीतिक और नियामक चुनौतियाँ: वैश्विक भू-राजनीति और निर्यात नियंत्रण विनियमों में तनाव आवश्यक AI प्रौद्योगिकियों तक पहुँच को प्रतिबंधित कर सकते हैं।
- ऐसी सीमाएँ भारत की AI समाधानों को प्रभावी ढंग से विकसित करने और लागू करने की क्षमता को प्रभावित करती हैं, तथा संभवतः उसे प्रमुख प्रगति से अलग-थलग कर देती हैं।
आगे की राह
- AI इकोसिस्टम का विकास: महत्त्वपूर्ण डिजिटलीकरण के बावजूद, भारत की कंप्यूटिंग पहुँच कम बनी हुई है। जबकि देश ने सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology- IT) सेवाओं में उत्कृष्टता हासिल की है, ये वैश्विक USD 30 ट्रिलियन प्रौद्योगिकी उद्योग में केवल 1% का योगदान देते हैं।
- इसके विपरीत चीन जैसे देशों ने AI अनुसंधान, बुनियादी ढाँचे और प्रतिभा में तेज़ी से सैकड़ों अरबों का निवेश किया है।
- भारत को अपना स्वयं का AI स्टैक स्थापित करने के लिये डेटा, कंप्यूटिंग और एल्गोरिदम में अपनी ताकत का लाभ उठाना चाहिये।
- डेटा संप्रभुता: डेटा उपनिवेशीकरण से तात्पर्य विदेशी संस्थाओं द्वारा डेटा संसाधनों पर नियंत्रण और शोषण से है, जिससे डेटा संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे उठते हैं।
- यद्यपि भारत विश्व का 20% डेटा उत्पन्न करता है, परंतु आश्चर्यजनक रूप से 80% डेटा विदेशों में संग्रहीत किया जाता है, कृत्रिम बुद्धि में संसाधित किया जाता है, तथा फिर मुद्रा के रूप में वापस आयात किया जाता है।
- यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (Unified Payments Interface- UPI), भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) और ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (Open Network for Digital Commerce- ONDC) जैसी सफलताओं के आधार पर, भारत अपने सिद्धांतों पर आधारित विश्व का सबसे बड़ा ओपन-सोर्स AI प्लेटफॉर्म विकसित कर सकता है।
- डेटा गुणवत्ता और पहुँच: प्रभावी AI प्रशिक्षण के लिये उच्च गुणवत्ता वाले, विविध डेटासेट महत्त्वपूर्ण हैं।
- प्रयासों को डेटा संग्रहण, सफाई और लेबलिंग प्रक्रियाओं को बढ़ाने के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिये डेटा साझाकरण को बढ़ावा देने पर केंद्रित होना चाहिये।
- सतत् शिक्षा और कार्यबल विकास: AI-संचालित भविष्य के लिये कार्यबल को तैयार करना आवश्यक है।
- AI शिक्षा और कौशल उन्नयन पर केंद्रित पहल, व्यक्तियों को उभरते रोज़गार बाज़ार के लिये आवश्यक कौशल से लैस कर सकती है।
- शिक्षा जगत, उद्योग तथा सरकार के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करने से इन प्रयासों को और बढ़ावा मिल सकता है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और मानक: AI में ज्ञान और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिये वैश्विक सहयोग महत्त्वपूर्ण है।
- अंतर्राष्ट्रीय मानकों और ढाँचों की स्थापना से AI विकास तथा परिनियोजन में अंतर-संचालनशीलता, निष्पक्षता एवं सुरक्षा को बढ़ावा मिल सकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न 1. विकास की वर्तमान स्थिति के साथ, कृत्रिम बुद्धिमत्ता निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है? (2020)
नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2, 3 और 5 उत्तर: (b) |