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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

पर्सपेक्टिव: भारत का सॉफ्ट पावर

  • 03 Jan 2023
  • 11 min read

चर्चा में क्यों?

विदेश मामलों की समिति ने हाल ही में भारत की सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक कूटनीति की संभावनाओं और सीमाओं पर अपनी 16वीं रिपोर्ट प्रस्तुत की है।

सॉफ्ट पावर क्या है?

  • सॉफ्ट पावर:
    • हार्ड पावर की आक्रामक प्रकृति के विपरीत, जोसेफ नी (Joseph Nye) ने शीत युद्ध के बाद की दुनिया में सॉफ्ट पावर की अवधारणा का सुझाव दिया
    • सॉफ्ट पावर अपील और आकर्षण के माध्यम से दूसरों की प्राथमिकताओं को आकार देने की क्षमता है।
    • सॉफ्ट पावर के तीन स्तंभ हैं:
      • राजनीतिक मूल्य, संस्कृति और विदेश नीति।
  • हार्ड पावर:
    • अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में शक्ति को परंपरागत रूप से सैन्य और आर्थिक शक्ति के संदर्भ में समझा जाता रहा है।
      • इसे हार्ड पावर (मात्रात्मक रूप में) के रूप में जाना जाता है।
      • हार्ड पावर को बलपूर्वक कार्य करवाने के रूप में देखा जाता है:
    • बल प्रयोग, बल प्रयोग की धमकी, आर्थिक प्रतिबंध आदि।

आवश्यकताएँ:

  • Nye का तर्क है कि सफल राज्यों को दूसरों को बलपूर्वक मजबूर करने की क्षमता के साथ-साथ उनके दीर्घकालिक दृष्टिकोण/व्यवहार और वरीयताओं को आकार देने की क्षमता यानी कि हार्ड और सॉफ्ट पावर दोनों की आवश्यकता होती है।

सॉफ्ट पावर: यह भारत के लिये क्यों महत्त्वपूर्ण है?

आर्थिक और सैन्य शक्ति के अलावा, सॉफ्ट पावर का विचार पिछले कुछ दशकों के दौरान आकर्षण का केंद्र बना है। भारतीय कला, संस्कृति, योग और अध्यात्मवाद, विभिन्न प्रकार के व्यंजन, त्योहार, संगीत और नृत्य आदि ने सदियों से दुनिया भर के लोगों को आकर्षित किया है।

  • साख बनाने हेतु: भारतीय लोकाचार और प्रथाओं ने विश्व स्तर पर एक उदार छवि और इसकी एक साख बनाने में मदद की है लेकिन इसके साथ ही गुणवत्तापूर्ण परियोजनाएं भी प्रदान करना चाहिये।
  • सामरिक निवेश के रूप में: व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य और वित्तीय रूप से आकर्षक सार्वजनिक-निजी भागीदारी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में एक प्रमुख रणनीतिक निवेशक बनने के लिये, भारत को अपने वादों को पूरा करने की आवश्यकता है।
  • महामारी के बाद के परिवर्तन: सहयोग के बढ़ते दायरे और इस अहसास के साथ कि वैश्विक समस्याओं के लिये वैश्विक प्रयासों की आवश्यकता है, भारत की भूमिका विश्व की फार्मेसी के रूप में सामने आई है।
  • व्यापार और निवेश प्रवाह: एक विश्वसनीय भागीदार की छवि बनाने के लिये भारत को अन्य देशों को वितरित करने की अपनी प्रतिबद्धता में विश्वास करने की आवश्यकता है। इससे बढ़ते व्यापार और बढ़ते भारतीय बाज़ारों में निवेश का प्रवाह बढ़ेगा।
  • समझौते और संचार: सॉफ्ट पावर का प्रक्षेपण भारत को शांतिपूर्ण तरीकों से राज्यों के बीच समझौता और संचार स्थापित करने में मदद कर सकता है। यह अपनी गुटनिरपेक्ष प्रतिबद्धताओं, लोकतांत्रिक मूल्यों, नैतिकता, लोकाचार आदि को बढ़ावा देकर अपने लिये एक ब्रांड बनाने में भी मदद करता है।
  • वैश्विक स्तर पर पहुँच के लिये: इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि भारत वैश्विक उपभोक्ताओं तक पहुचने के लिये सॉफ्ट पावर के उपकरणों का उपयोग कर सकता है- बदले में, दुनिया भर के बाज़ार पर व्यापक प्रभाव डाल सकता है।
    • दुनिया में भारत की नेतृत्वकारी भूमिका को भुनाने के लिये भारत के प्राचीन ज्ञान और आध्यात्मिकता का उपयोग करने की आवश्यकता है।

इसमें चुनौतियाँ क्या हैं?

  • वित्त की कमी: इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को फंड करने की सीमित क्षमता के साथ, भारत को अपने रणनीतिक उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए अपने फंड को तर्कसंगत रूप से आवंटित करने की आवश्यकता है।
    • इसके अलावा, भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार और बाज़ार को खोलने से भारत को अंतर्राष्ट्रीय परियोजनाओं के लिये धन जमा करने में मदद मिल सकती है।
  • संस्थागत ढाँचे का अभाव:
    • भारत को एक स्वतंत्र विकास साझेदारी एजेंसी की आवश्यकता है जो दीर्घकालिक और अल्पकालिक रणनीतियों को विकसित करे, प्राथमिकताओं की पहचान करे, आवश्यक ज्ञान प्रदान करने के साथ ही, सीखने की सुविधा भी प्रदान करे।
  • इसे अपने बुनियादी ढाँचे के लक्ष्यों को पूरा करने के लिये आंतरिक संस्थागत बाधाओं, जैसे नीति और नौकरशाही के कारण होने वाली देरी को दूर करने की ज़रूरत है।

कमिटी की सिफारिशें क्या हैं?

  • विदेशी केंद्र: विदेश मंत्रालय (MEA) को "रणनीतिक और नियोजित तरीके" से विदेशों में आयुष (आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध, सोवा-रिग्पा और होम्योपैथी) केंद्र अधिक संख्या में खोलने की सुविधा प्रदान करनी चाहिये।
  • योग प्रमाणन बोर्ड: अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस और अन्य संबंधित सुविधाओं की स्थापना जैसी पहलों के माध्यम से योग को लोकप्रिय बनाने के लिये सरकार के प्रयास के संदर्भ में पैनल ने सिफारिश की है कि भारतीय योगाभ्यासों और उपचारों को प्रमाणित करने के लिये आयुष और विदेश मंत्रालयों को एक 'योग प्रमाणन बोर्ड' स्थापित करना चाहिये।
  • डायस्पोरा का सहयोग: भारतीय डायस्पोरा भी भारत की सॉफ्ट पावर कूटनीति की एक प्रमुख संपत्ति है। भारतीय डायस्पोरा के साथ सहयोग को उन क्षेत्रों में भारत की सॉफ्ट पावर का प्रसार करने के लिये प्रोत्साहित किया जाना चाहिये जहाँ यह अभी तक व्यापक रूप से ज्ञात नहीं है।
  • चिकित्सा के क्षेत्र में: आयुर्वेद को एक चिकित्सा प्रणाली के रूप में मान्यता दिलाने और भारत के फार्माकोपिया (Pharmacopeia) को अपनाने के लिये ठोस प्रयास ताकि उत्पादों को दवा के रूप में निर्यात किया जा सके।
    • आयुर्वेद में मान्यता प्राप्त फार्माकोपिया नहीं है, यही वजह है कि ऐसे उत्पादों को आहार पूरक और न्यूट्रास्यूटिकल्स (Nutraceuticals) के रूप में निर्यात किया जा रहा है। उत्पादों को अभी भी अधिकांश विदेशी देशों में मान्यता प्राप्त नहीं है।
  • मूल्य निर्धारण प्रणाली: विदेशियों और भारतीयों के लिये स्मारकों के टिकटों के अलग-अलग मूल्य के मुद्दे पर पैनल ने सुझाव दिया कि मूल्य निर्धारण प्रणाली पर "पुनर्विचार किया जा सकता है" क्योंकि वैश्वीकृत दुनिया में ऐसी नीति अनावश्यक है।
    • इस तरह के अंतर मूल्य निर्धारण से विदेशी यात्रियों के एक बड़े वर्ग का नुकसान होता है।
  • बजटीय आवंटन: पैनल ने "भारत की सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक कूटनीति को एक मजबूत और व्यापक तरीके से संचालित करने" के लिये भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) के लिये ₹500 करोड़ के वार्षिक बजटीय आवंटन की मांग की।
  • समन्वय समिति: भारत की सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक कूटनीति को पेश करने में कई संस्थानों के बीच समन्वय की कमी को दूर करने के लिये विदेश मंत्रालय और अन्य मंत्रालयों के प्रतिनिधियों वाली एक समन्वय समिति की स्थापना।
  • एक नीति दस्तावेज़: विदेश मंत्रालय को "भारत के सॉफ्ट पावर अनुमानों, भारत के सॉफ्ट पावर टूलबॉक्स को चित्रित करने और इसे भविष्य के लिये एक विज़न स्टेटमेंट के साथ विदेशों में किस प्रकार प्रोजेक्ट किया जा रहा है" पर एक नीति दस्तावेज़ भी तैयार करना चाहिये।

आगे की राह

  • दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत की सॉफ्ट पावर को केवल चुनाव की सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के अलावा लोकतांत्रिक संस्थानों के एक परिष्कृत ढाँचे के माध्यम से कार्यपालिका के अतिरेक को भी नियंत्रित करना चाहिये।
  • वित्त और मानव संसाधन की कमी को दूर करने का दूसरा तरीका यह जाँचना है कि आधिकारिक एजेंसियों द्वारा छोड़े गए कुछ अंतरालों को भरने के लिये निजी क्षेत्र को कैसे शामिल किया जा सकता है।

  यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQ)  

प्र. आतंकवादी गतिविधियों और आपसी अविश्वास ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को धूमिल कर दिया है। खेल और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसी सॉफ्ट पावर का उपयोग किस हद तक दोनों देशों के बीच सद्भावना पैदा करने में मदद कर सकता है। उपयुक्त उदाहरणों के साथ चर्चा कीजिये। (वर्ष 2015)

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