ओपन स्काई संधि | 21 Jul 2020
संदर्भ:
हाल ही में रूस और ‘ओपन स्काई संधि' (Open Skies Treaty- OST) के अन्य सदस्यों ने वीडियो-कॉन्फ्रेंस के माध्यम से एक बैठक में हिस्सा लिया। इस बैठक में सदस्य देशों के बीच अमेरिका द्वारा मई माह में इस समझौते से बाहर होने की घोषणा की पृष्ठभूमि में समझौते के भविष्य पर चर्चा की गई। यह संधि सदस्य देशों को एक-दूसरे देश की सीमा में सैन्य गतिविधियों संबंधित मतभेद को दूर करने के लिये निगरानी उड़ानों की अनुमति देती है।
प्रमुख बिंदु:
- ओपन स्काई संधि को वैश्विक सुरक्षा के एक महत्त्वपूर्ण स्तम्भ के रूप में देखा जाता है।
- यह संधि सदस्य देशों को एक-दूसरे की सीमा में गैर-हथियारबंद विमानों के माध्यम सैन्य ठिकानों की निगरानी की सुविधा प्रदान करती है।
- यह संधि सदस्य देशों के बीच पारदर्शिता, परस्पर विश्वास और पूर्वानुमान की स्थिति बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण रही है।
- गौरतलब है कि वर्ष 2019 में अमेरिका ‘मध्यम दूरी परमाणु बल संधि’ (Intermediate-Range Nuclear Forces-INF Treaty) से स्वयं को अलग कर लिया था।
- ‘INF संधि’ और ‘संयुक्त व्यापक कार्ययोजना’ (Joint Comprehensive Plan of Action, JCPOA) या ‘ईरान परमाणु समझौता’ के बाद OST तीसरी ऐसी हथियार नियंत्रण संधि होगी जिससे अमेरिकी राष्ट्रपति डाॅनल्ड ट्रंप ने अमेरिका को अलग किया है।
- आलोचकों के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति के इस निर्णय को रक्षा क्षेत्र पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
‘ओपन स्काई संधि’ (Open Skies Treaty-OST):
- इस संधि पर मार्च 1992 में फिनलैंड की राजधानी हेलसिंकी (Helsinki) में हस्ताक्षर किये गए थे।
- यह संधि वर्ष 2002 में पूर्णरूप से लागू हुई थी।
- यह संधि में 34 हस्ताक्षरकर्त्ता देशों (अमेरिका और रूस सहित) को संधि में शामिल अन्य देशों की सीमाओं में सैन्य गतिविधियों की जाँच के लिये गैर-हथियार वाले निगरानी विमानों की उड़ान की अनुमति देती है।
- वर्तमान में इस संधि में 34 सदस्य हैं। किर्गिस्तान ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए थे परंतु इसे पूर्ण रूप से लागू नहीं किया है।
- भारत इस संधि का हिस्सा नहीं है।
अमेरिका द्वारा स्वयं को संधि से अलग करने का कारण:
- अमेरिकी राष्ट्रपति ने 21 मई, 2020 को ‘ओपन स्काई संधि’ (Open Skies Treaty-OST) से अमेरिका को अलग करने की चेतावनी दी थी।
- गौरतलब है कि इस संधि से अलग होने के लिये संबंधित देश द्वारा संधि में शामिल अन्य सभी देशों को 6 माह पूर्व इसके बारे में सूचित करना अनिवार्य है।
- अमेरिका के अनुसार, हाल के वर्षों में रूस द्वारा कई मौकों पर इस संधि का उल्लंघन किया गया है।
- पिछले कुछ वर्षों में रूस द्वारा अमेरिका और कुछ अन्य देशों को का कालिलिनग्राद (Kaliningrad) और जॉर्जिया के कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों जैसे- अब्खाज़िया में निगरानी में विमानों की उड़ानों की अनुमति नही दी गयी।
- अमेरिकी पक्ष के अनुसार, यदि दूसरा पक्ष (अमेरिका के अलावा) संधि में हुए समझौतों को पूरी तरह नहीं लागू करता है, तो यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद वैश्विक शांति के लिये बनी संपूर्ण बहु-पक्षीय संरचना (संयुक्त राष्ट्र) के अस्तित्त्व को निरर्थक बनाता है।
रूस का पक्ष:
- रूस ने अमेरिका द्वारा इस संधि से अलग होने के निर्णय को एक राजनीतिक निर्णय बताया है।
- रूस के अनुसार, अमेरिका और कुछ अन्य नाटो (NATO) सदस्य देशों द्वारा इस संधि का दुरुपयोग किया जाता रहा है।
- उदाहरण के लिये - रूसी पक्ष के अनुसार अमेरिका और नाटो सदस्य देशों द्वारा कालिलिनग्राद में लंबी अवधि तक निगरानी विमानों की अनावश्यक उड़ाने संचालित की गई थी, जिससे क्षेत्र में सार्वजनिक विमानन परिवहन तथा सैन्य विमानों की आवाजाही प्रभावित होती है।
- सीमावर्ती क्षेत्रों के अस्थिरता और सक्रिय सैन्य संघर्ष पहले से ही एक बड़ी समस्या रही है।
- इस संधि का मूल उद्देश्य सदस्य देशों के बीच सैन्य पारदर्शिता को बढ़ाना और किसी सदस्य द्वारा सैन्य अभ्यास के बहाने किसी स्थान पर एक बड़ी हमलावर फौज इकठ्ठा करने की स्थिति में उसकी जाँच करने की सुविधा प्रदान करना है।
- रूसी पक्ष के अनुसार,मात्र दो विवादित क्षेत्रो (जो क्षेत्रफल के हिसाब से बहुत छोटे हैं) में निगरानी उड़ानों को प्रतिबंधित करने के मुद्दे पर अमेरिका द्वारा इस महत्त्वपूर्ण संधि से अलग होने का निर्णय तर्कसंगत नही लगता।
- साथ ही इस संधि के माध्यम से रूस द्वारा अमेरिकी सैन्य गतिविधियों की निगरानी (जो रूस के लिये अन्य किसी माध्यम से आसान नहीं है) कर पाने की क्षमता के संदर्भ में भी अमेरिका संतुष्ट नहीं था।
- मई 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति के निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए रूस के उप-विदेश मंत्री ने कहा था कि जब तक यह संधि (OST) अस्तित्त्व में है वे संधि में निर्धारित अपने अधिकारों और दायित्त्वों का पालन करते रहेंगे।
- ध्यातव्य है कि इसी शताब्दी में अमेरिकी राष्ट्रपति ‘जॉर्ज एच.डब्ल्यू. बुश’ (George H.W. Bush) के प्रशासन के दौरान अमेरिका ‘एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल संधि’ (Anti-Ballistic Missile Treaty-ABM) से भी बाहर हुआ था।
आधुनिक तकनीकों के समय में इस संधि का औचित्य:
- वर्तमान में मानवरहित आधुनिक निगरानी विमानों (जैसे-ड्रोन आदि) और निगरानी कृत्रिम उपग्रहों के होते हुए कई बार इस संधि के औचित्य पर प्रश्न उठता रहा है।
- हाल के वर्षों में निगरानी कृत्रिम उपग्रहों की तकनीकी में काफी सुधार देखने जो मिला है। परंतु ये कृत्रिम उपग्रह एक पूर्व-निर्धारित मार्ग पर पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं और अधिकांश देशों को इसकी जानकारी होती है।
- जिससे वे अपनी किसी भी सैन्य गतिविधि को छुपा सकते हैं, साथ ही खराब मौसम जैसी कई अन्य परिस्थितियाँ कृत्रिम उपग्रह की क्षमता को प्रभावित करती हैं।
- आधुनिक ड्रोन भी बिना किसी पूर्व अनुमति के किसी दूसरे देश की सीमा में प्रवेश नहीं कर सकते हैं।
- ऐसे में किसी भी संदिग्ध गतिविधि (सैन्य या अन्य) की स्थिति में निगरानी विमानों के संचालन की क्षमता बहुत ही महत्त्वपूर्ण है।
- उदाहरण के लिये शीत युद्ध के समय किसी देश के पारंपरिक युद्धाभ्यास को भी हमले की तैयारी समझ लिया जाता था, ऐसी स्थिति में सही जानकारी का अभाव दोनों पक्षों के लिये क्षतिकारक हो सकता है।
- ऐसे में अमेरिका-रूस के वर्तमान तनावपूर्ण संबंधों की स्थति में यह संधि और भी अधिक महत्त्वपूर्ण हो गई है।
संधि के भविष्य पर अनिश्चतता :
- द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात OST और ऐसी ही कई अन्य महत्त्वपूर्ण संधियाँ वैश्विक स्तर पर शांति और देशों के बीच परस्पर विश्वास स्थापित करने में एक बड़ा योगदान रहा है।
- INF संधि और OST संधि से अमेरिका के अलग होने के बाद ‘नई सामरिक शस्त्र न्यूनीकरण संधि’ [New Strategic Arms Reduction Treaty-(START)] या ‘न्यू स्टार्ट संधि’ ही एक महत्त्वपूर्ण संधि बचती है जिसका अमेरिका अभी भी हिस्सा है।
- ‘न्यू स्टार्ट संधि’ की निर्धारित अवधि फरवरी 2021 में समाप्त हो जाएगी परंतु अभी तक इसे पुनः बढ़ाए जाने का कोई प्रयास नहीं किया गया है।
- अमेरिका, नाटो सदस्यों और यूरोपीय देशों के बीच इन संधियों के भविष्य के संदर्भ में काफी मतभेद देखने को मिले हैं।
- साथ ही अमेरिका में भी इस मुद्दे पर राजनीतिक मतभेद रहा है, अमेरिका के वर्तमान राष्ट्रपति जहाँ इस संधि के खिलाफ हैं वहीं डेमोक्रेटिक पार्टी अभी भी इसका समर्थन करती है।
- इसके अतिरिक्त हाल ही में संपन्न हुई OST सदस्यों की वर्चुअल बैठक में यूरोपीय देशों के लगभग 10 सदस्यों (फ्राँस, इटली आदि) ने अमेरिका के निर्णय पर खेद व्यक्त किया।
- हालाँकि अमेरिका के अनुसार, यदि रूस इस संधि के प्रावधानों का पूरी तरह पालन करना प्रारंभ कर देता है तो अमेरिका इस संधि में सक्रिय रहने पर विचार कर सकता है।
- वर्तमान राजनीतिक संकट के बीच यदि अमेरिका इस संधि से हटता है तो यह क्षेत्र और विश्व को वर्तमान की तुलना में अधिक असुरक्षित बना देगा।
चीन की बढ़ती आक्रामकता:
- अमेरिका और रूस के बीच विभिन्न हथियार नियंत्रण संधियों पर हस्ताक्षर के समय शीत युद्ध से बाहर आ रहे थे और दोनों ही देशों ने द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की प्रतिबद्धता दिखाई थी।
- परंतु वर्तमान में अमेरिका के लिये चीन एक बड़ी समस्या बन कर उभरा है क्योंकि वह इन संधियों में शामिल नहीं है।
- वर्तमान में अमेरिका का ध्यान रूस के अपेक्षा चीन पर अधिक केंद्रित है।
- हाल के वर्षों में चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति के बीच चीन का ऐसी किसी संधि में न होना उसे अधिक छूट प्रदान करता है, वहीं इस संधि में चीन के न होने से अमेरिका चीनी आक्रामकता को नियंत्रित करने में असफल रहा है।
- इस संधि से अलग होने के निर्णय के माध्यम से अमेरिका ने चीन को यह संदेश देने का प्रयास किया है कि वह चीन की आक्रामकता को रोकने के लिये कठिन निर्णय भी ले सकता है।
चुनौतियाँ:
- INF संधि से अलग होने के बाद अमेरिका द्वारा चीन को शामिल करते हुए एक नई संधि स्थापित करने की बात कही गई थी परंतु चीन ने ऐसी किसी संधि में शामिल होने पर असहमति जताई है।
- साथ ही चीन ने OST में भी न शामिल होने के संकेत दिए हैं।
- अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा इस संधि से अलग होने के निर्णय से अमेरिका की स्थानीय राजनीति में भी ध्रुवीकरण में वृद्धि देखने को मिल सकती है।
- बड़े पैमाने पर देखा जाए तो अमेरिका और रूस के अतिरिक्त इस संधि में अन्य सदस्य देशों का प्रभाव बहुत ही सीमित रहा है, ऐसे में दोनों में से एक भी देश के इस संधि के अलग होने से इसका महत्त्व समाप्त हो जाएगा।
- अमेरिका के इस संधि से अलग होने के बाद यह संधि भी ट्रांस पैसिफिक पार्टनरशिप (Trans-Pacific Partnership- TPP) की तरह ही जारी रह सकती है परंतु उस स्थिति में यूरोपीय देशों लिये अमेरिका के साथ रणनीतिक जानकारी साझा करना उतना आसान नहीं होगा।
आगे की राह:
- पूर्व में अमेरिका और रूस विश्व की दो बड़ी परमाणु शक्ति के रूप में रहे हैं परंतु हाल के वर्षों में चीन की सैन्य शक्ति अत्यधिक वृद्धि हुई है।
- अमेरिका और रूस के साथ संधि के अन्य देशों द्वारा चीन को इस संधि में शामिल करने का प्रयास किया जाना चाहिये, जिससे हाल के वर्षों में चीन की बढ़ी सैन्य शक्ति के बाद वैश्विक संतुलन को बनाया रखा जा सके।
अभ्यास प्रश्न: अमेरिका के ‘ओपन स्काई संधि’ (Open Skies Treaty-OST) से अलग होने के निर्णय की समीक्षा करते हुए वैश्विक शांति तथा शक्ति संतुलन पर इसके प्रभावों की चर्चा कीजिये।