एक विश्व, एक सूर्य, एक ग्रिड | 16 Jun 2020
संदर्भ:
हाल ही में ‘केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय’ द्वारा अपने ‘एक विश्व, एक सूर्य, एक ग्रिड’ (One Sun One World One Grid- OSOWOG) कार्यक्रम के लिये एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण, कार्यान्वयन योजना, रोड मैप और संस्थागत ढाँचे के विकास हेतु इच्छुक कंपनियों से प्रस्ताव माँगे गए हैं। वर्ष 2018 में दूसरे ‘वैश्विक अक्षय ऊर्जा निवेश सम्मेलन’ (Global RE-Invest meet) के उद्घाटन के मौके पर में भारतीय प्रधानमंत्री ने सौर ऊर्जा के महत्त्व पर जोर देते हुए वैश्विक स्तर पर 24x7 सौर ऊर्जा की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिये ‘OSOWOG’ के माध्यम से विश्व के सभी देशों से मिलकर कार्य करने का आह्वान किया था। इस कार्यक्रम का उद्देश्य विभिन्न देशों में स्थित नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को जोड़कर एक वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र की स्थापना करना है।
पृष्ठभूमि:
- वैश्विक स्तर पर ऊर्जा की मांग में वर्ष 2018 में 4% और वर्ष 2019 में 1.9% की वृद्धि देखी गई थी।
- वर्तमान में विश्व के अधिकांश देश अपनी ऊर्जा जरूरत के लिये अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर निर्भर हैं, वैश्विक स्तर पर ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित CO2 उत्सर्जन में 42% भूमिका विद्युत उत्पादन संयंत्रों की है।
- भारत अपनी कुल ऊर्जा ज़रुरत का 50% से अधिक कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों से प्राप्त करता है, जबकि भारत में विद्युत उत्पादन में नवीकरणीय स्रोतों की भूमिका लगभग 23% ही है।
- भारत सरकार द्वारा वर्ष 2022 तक देश में सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाकर 175 गीगावाट करने का लक्ष्य रखा गया है।
ऊर्जा से संबंधित वर्तमान चुनौतियाँ:
- वर्तमान में वैश्विक स्तर पर प्रचलित अधिकांश विद्युत उर्जा उत्पादन इकाइयों से होने वाले उत्सर्जन के कारण पर्यावरण को अत्यधिक क्षति होती है।
- साथ ही ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना और उनका संचालन अत्यंत खर्चीला है, जिससे कई अल्प विकसित देशों के लिये ऊर्जा की आपूर्ति एक बड़ी चुनौती है।
- वर्तमान में सौर ऊर्जा से जुड़ी सबसे बड़ी चुनौती दिन में प्राप्त हुई ऊर्जा को एकत्र करने के लिये बड़े पैमाने पर बैट्री या ऊर्जा संरक्षण से जुड़ी अन्य प्रणाली की स्थापना करना है।
- सौर ऊर्जा केवल दिन के समय ही प्राप्त की जा सकती है, जो इसकी सतत आपूर्ति के लक्ष्य को सीमित करता है।
- गैर-नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से पर्यावरण को हो रही क्षति को कम करने के लिये सौर ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की तरफ बढ़ना बहुत ही आवश्यक है, परंतु वर्तमान की ऊर्जा ज़रूरतों को देखते हुए बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना एक बड़ी चुनौती होगी।
‘एक विश्व, एक सूर्य, एक ग्रिड’ के बारे में
(One Sun One World One Grid- OSOWOG):
- एक विश्व, एक सूर्य, एक ग्रिड की अवधारणा भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2018 में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance- ISA) के पहली सभा में प्रस्तुत की गई थी।
- इस कार्यक्रम के तहत क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक दूसरे से जुड़े हुए ‘ग्रीन ग्रिड’ (Green Grid) की स्थापना के माध्यम से विभिन्न देशों के बीच ऊर्जा साझा करने तथा ऊर्जा आपूर्ति में संतुलन स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा।
- प्रस्तावित योजना के तहत इस कार्यक्रम को तीन चरणों में लागू किया जाएगा:
1. इसके पहले चरण के तहत ‘मध्य एशिया, दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया’ [Middle East-South Asia -South East Asia (MESASEA)] के बीच हरित ऊर्जा स्रोतों (जैसे सौर ऊर्जा) को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।
2. दूसरे चरण के तहत एशिया में जोड़े हुए ग्रिडों को अफ्रीका के ‘पवार पूल्स’ (African Power Pools) से जोड़ दिया जाएगा।
3. योजना के तीसरे चरण में विद्युत आपूर्ति के लिये वैश्विक स्तर पर विद्युत ग्रिडों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance- ISA) :
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन एक अंतर-सरकारी संगठन है।
- ISA की स्थापना भारत और फ्राँस के द्वारा 30 नवंबर, 2015 को पेरिस में आयोजित ‘जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन फ्रेमवर्क’ (UNFCCC) की 21वीं वार्षिक बैठक के दौरान की गई थी।
- वर्तमान में विश्व के 67 देश ISA के सक्रिय सदस्य हैं।
- इसका मुख्यालय ‘गुरुग्राम’ (हरियाणा) में स्थित है।
- ISA का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 1000 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की राशि जुटाते हुए, सदस्य देशों की ऊर्जा ज़रूरतों के लिये सोलर उत्पादन, भंडारण और प्रौद्योगिकियों का मार्ग प्रशस्त करना है।
OSOWOG का महत्त्व::
सतत विद्युत आपूर्ति:
- OSOWOG के माध्यम से अलग-अलग देशों के ग्रिडों को जोड़कर 24x7 विद्युत् आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकेगी।
- विश्व के अलग-अलग महाद्वीपों पर स्थित और ऊर्जा ग्रिडों को जोड़ कर उत्पादित अतिरिक्त ऊर्जा को साझा कर इस समस्या को दूर किया जा सकेगा।
- सौर ऊर्जा के माध्यम से कम लागत पर ऊर्जा की आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी।
लागत:
- OSOWOG के तहत विभिन्न देशों के सहयोग से ऊर्जा साझा करने की व्यवस्था स्थापित कर इस चुनौती को कुछ सीमा तक कम करने में सफलता प्राप्त होगी।
- साथ ही इस कार्यक्रम के तहत ऊर्जा साझा करने के लिये वर्तमान में सक्रिय ग्रिडों का उपयोग किया जाएगा, जिससे बड़े पैमाने पर इसकी लागत में कटौती की जा सकेगी।
सामूहिक स्वामित्त्व (Common Ownership):
- OSOWOG कार्यक्रम सहभागिता और सामूहिक स्वामित्त्व के मूल्यों पर आधारित है, जहाँ इस पर सभी सदस्यों का सामूहिक अधिकार है।
- OSOWOG कार्यक्रम के तहत सदस्य देश नवीकरणीय ऊर्जा को साझा करने के लिये इस प्रणाली पर मिलकर कार्य करेंगे जिससे इन देशों के बीच संबंधों को सुधारने के साथ भविष्य में अन्य क्षेत्रों में भी सहयोग को भी बढ़ाया जा सकेगा।
नेतृत्त्व की भूमिका:
- इस कार्यक्रम के माध्यम से भारत पहली बार वैश्विक स्तर समस्या का हिस्सा होने के बजाय समाधान का हिस्सा बना है।
- इस कार्यक्रम के तहत एशिया और आगे चलकर अफ्रीका के देशों को जोड़ने की बात कही गई है, बड़े पैमाने पर देखा जाए तो ये देश कई क्षेत्रों में विविधता और संभावनाओं से परिपूर्ण हैं। परंतु इन देशों में ऊर्जा का संकट भी सबसे गंभीर रहा है, जो इनके विकास के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है।
- भारत ने वर्तमान वैश्विक ऊर्जा संकट के समाधान हेतु OSOWOG के माध्यम से विश्व के समक्ष अपनी नेतृत्त्व क्षमता का उदाहरण प्रस्तुत किया है।
- OSOWOG भारत को दक्षिण एशिया में ‘वन बेल्ट वन रोड’ (One Belt One Road- OBOR) के माध्यम से चीन की बढती आक्रामकता को कम करने का एक महत्त्वपूर्ण विकल्प प्रदान करेगा।
- OSOWOG चीन के ‘वन बेल्ट वन रोड’ (One Belt One Road- OBOR) से अलग परस्पर सहयोग और सतत विकास के मूल्यों पर आधारित है।
रोज़गार:
- वर्तमान में विश्वभर में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में लगभग 11 मिलियन लोगों को रोज़गार प्राप्त होता है, जबकि विश्व के कुल ऊर्जा उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की भूमिका बहुत कम है, ऐसे में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के विस्तार के साथ इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में रोज़गार के अवसर उपलब्ध कराए जा सकेंगे।
OSOWOG की चुनौतियाँ:
तकनीकी:
- इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिये आवश्यक तकनीकी का विकास एक बड़ी चुनौती होगी।
वित्त की व्यवस्था:
- हाल के वर्षों में विश्वभर में ऊर्जा की मांग में सतत वृद्धि हुई है ऐसे में वर्तमान ऊर्जा ज़रूरतों की आपूर्ति के लिये बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा इकाईयों की स्थापना करने हेतु आवश्यक पूंजी का प्रबंध एक बड़ी बाधा हो सकती है।
- यह कार्यक्रम तभी सफल हो सकता है यदि इसमें शामिल सभी सदस्य देश ऊर्जा का उत्पादन करने और उसे अन्य देशों से साझा करने में अपना सक्रिय योगदान दें परंतु इस कार्यक्रम में शामिल छोटे देश या अल्प विकसित देशों के लिये वित्तीय प्रबंधन एक बड़ी चुनौती होगी।
विरोध:
- वर्तमान में खनिज तेल और गैर-नवीकरणीय ऊर्जा के अन्य माध्यम न सिर्फ ऊर्जा की ज़रूरतों को पूरा करते हैं बल्कि विश्वभर के ऊर्जा बाज़ार में इनका मज़बूत हस्तक्षेप है।
- ऐसे में सौर ऊर्जा जो बढ़ावा देने से ऊर्जा क्षेत्र में पहले से स्थापित आर्थिक तंत्र प्रभावित होगा जिसके कारण इससे जुड़े लोगों के द्वारा प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से सौर ऊर्जा से जुड़ी परियोजनाओं का विरोध देखा जा सकता है।
समाधान:
- OSOWOG कार्यक्रम को लागू करने के लिये विश्व बैंक (World Bank) द्वारा तकनीकी सहयोग उपलब्ध कराया जाएगा।
- शुरूआत में ISA को उष्णकटिबंधीय देशों के लिये सीमित रखा गया था जिसे बदल कर ISA को विश्व के सभी देशों के लिये खोल दिया गया है।
अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की भूमिका:
- इस योजना के तहत सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के साथ भौगोलिक परिस्थितियों के आधार पर अन्य नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (जैसे पवन ऊर्जा) को बढ़ावा देकर ऊर्जा के विकेंद्रीकरण के माध्यम से प्रस्तावित लक्ष्यों की प्राप्ति की जा सकेगी।
वर्ल्ड सोलर बैंक:
- भारत द्वारा OSOWOG के सफल क्रियान्वयन हेतु वित्तीय चुनौतियों को देखते हुए ‘वर्ल्ड सोलर बैंक’ (World Solar Bank-WSB) की स्थापना पर विचार किया जा रहा है।
- WSB और विश्व बैंक के सहयोग से OSOWOG के लिये प्रतिवर्ष 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रबंध कर वित्तीय चुनौतियों को कुछ सीमा तक कम किया जा सकेगा।
आगे की राह:
- भारत द्वारा इस योजना के संदर्भ में अभी तक जिस प्रकार की पारदर्शिता रखी गई है, उससे वैश्विक स्तर पर इसका विरोध होने की बजाय आगे भी समर्थन प्राप्त होता रहेगा।
- OSOWOG के माध्यम से नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के पार ऊर्जा स्थिरता के लक्ष्य को प्राप्त करने में सफलता प्राप्त होगी।
- OSOWOG का सफल क्रियान्वयन विश्व की वर्तमान ऊर्जा चुनौतियों को कम करने के साथ वैश्विक स्तर पर भारत को एक बड़ी रणनीतिक बढ़त प्रदान करने में सहायक होगा।
अभ्यास प्रश्न: ‘एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड’ परियोजना से आप क्या समझते हैं? वर्तमान वैश्विक ऊर्जा संकट को दूर करने में इसकी भूमिका पर चर्चा करते हुए इससे जुड़ी चुनौतियों का उल्लेख कीजिये।