कर्नाटक की आदिवासी महिला तुलसी गौड़ा को पर्यावरण संरक्षण में उनके योगदान हेतु वर्ष 2020 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
सामाजिक कार्य
इनका संबंध हलक्की स्थानीय जनजातिसे है। उन्होंने कभी औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की, फिर भी, आज उन्हें 'जंगल की विश्वकोश' (Encyclopedia of the Forest) के रूप में जाना जाता है।
इसका कारण पौधों और जड़ी-बूटियों की विभिन्न प्रजातियों के बारे में उनका विशाल ज्ञान है।
12 साल की उम्र सेउन्होंने हज़ारों वृक्ष लगाए और उनका पालन-पोषण किया है। वह एक अस्थायी स्वयंसेवक के रूप में वन विभाग में भी शामिल हुईं, जहाँ उन्हें प्रकृति संरक्षण के प्रति समर्पण के चलते पहचान मिली ।
बाद में उन्हें विभाग मेंस्थायी नौकरी का प्रस्ताव दिया गया।
72 साल की उम्र में भी, वह पौधों का पालन-पोषण करती रहती हैं और पर्यावरण संरक्षण के महत्त्व को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अपने विशाल ज्ञान को युवा पीढ़ी के साथ साझा करती हैं।