बिक्रम बहादुर जमातिया, जिन्होंने पूर्वोत्तर राज्य में उग्रवाद के खिलाफस्वदेशी 'आंदोलन' को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, को सामाजिक कार्य के क्षेत्र में पद्म श्री पुरस्कार, 2023 से सम्मानित किया गया ।
बिक्रम बहादुर ने वर्ष 1990 के दशक के अंत में त्रिपुरा में विद्रोह (दूसरे चरण) के खिलाफ आदिवासियों के बीच राय बनाने का काम किया था।
सामाजिक कार्य
जमातिया जनजाति के एक शीर्ष निकाय ‘जमातिया होदा’ के एकरा (प्रमुख) / के रूप में, वह खतरे की अनदेखी करते हुए उग्रवाद प्रभावित आदिवासी क्षेत्रों का दौरा करते थे और यह कहते हुए ग्रामीणों को उग्रवाद का विरोध करने के लिये प्रेरित करते थे कि इस लड़ाई ने जनजातीय क्षेत्रों में विकास के कार्य को आभासी रूप से समाप्त कर दिया है।
दशकों से स्थानीय लोगों की आस्था, संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देने वाले जमातिया ने राज्य के पहाड़ी इलाकों में कथित धर्मांतरण के खिलाफ राजदूत की भूमिका भी निभाई थी।
जमातिया को पूर्वोत्तर राज्य में स्थानीय जनजातियों के लिये प्रथागत कानून अपनाने में भी महत्त्वपूर्ण माना गया है।