सुश्री के वी राबिया को सामाजिक कार्य के क्षेत्र में उनके प्रमुख योगदान के लिए 2022 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
वह मलप्पुरम जिले (केरल) के तिरुरंगडी की निवासी है, पोलियो के कारण 14 वर्ष की उम्र से ही वह व्हीलचेयर तक ही सीमित थी।
पोलियो के अलावा, वे 32 साल की उम्र में कैंसर से पीड़ित थीं तथा बाद में गिरने के बाद उनकी रीढ़ की हड्डी प्रभावित हुई थी। बाधाओं के खिलाफ उनकी वीरतापूर्ण लड़ाई ने राज्य में स्कूल की पाठ्य पुस्तकों में अपनी जगह बनाई।
उन्होंने अपनी आत्मकथा "स्वप्नंगलक्कु चिराकुकलंदु" (सपनों के पंख होते हैं) सहित कई किताबें भी लिखी हैं।
सामाजिक कार्य
उन्होंने 1990 में एक छोटा साक्षरता अभियान शुरू किया। बाद में, राज्य सरकार ने राज्य साक्षरता मिशन शुरू किया तथा उन्हें परियोजना का शुभंकर बनाया।
उन्होंने चालनम नामक एक संगठन की भी स्थापना की, जो जिले में विकलांग और बौद्धिक रूप से विकलांग बच्चों के लिए छह स्कूल चलाता है।
इसके अलावा, उन्होंने महिलाओं के लिए पड़ोस में 60 स्वयं सहायता समूहों की शुरुआत की तथा उन्हें अचार, कैरी बैग एवं अन्य उत्पाद बनाने के लिए प्रशिक्षित किया।